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महाराणा प्रताप को लेकर राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला 2

महाराणा प्रताप को लेकर राजस्थान सरकार का बड़ा फैसला

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क्या महाराणा प्रताप ने जीता था हल्दीघाटी का युद्ध?

आज से 441 वर्ष पहले सन 1576 में हल्दीघाटी के मैदान में महाराणा प्रताप और अकबर के मध्य लड़ा गया युद्ध राजस्थान के इतिहास का सबसे भीषण युद्ध था। सन 1576 में हुए इस भीषण युद्ध में अकबर को नाको चने चबाने पड़े थे और आखिर में जीत महाराणा प्रताप की हुई थी, यह दावा राजस्थान सरकार की ओर से किया गया है। इसके पीछे सरकार ने इतिहासकार डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा के ताजा शोध का हवाला दिया गया है. डॉ. शर्मा ने अपने शोध सबूतों के साथ प्रताप को इस युद्ध का विजेता बताया है.
हालांकि हल्दीघाटी युद्ध के संबंध में इतिहासकारों का अलग-अलग मत है। हल्दीघाटी का विनाशकारी युद्ध हल्दीघाटी के मौदान में 1576 में महाराणा प्रताप और अकबर की तरफ से मान सिंह के बीच लड़ा गया था। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि युद्ध में किसी की विजय नहीं हुई थी। वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इस युद्ध में अकबर की विजय हुई थी।

इतिहास में बेनतीजा माना जाता है यह युद्ध-

उल्लेखनीय है कि राजस्थान की धरती पर १५७६ में हुए इस भीषण युद्ध को आज तक बेनतीजा माना जाता रहा था। कुछ दिन पहले राजस्थान विश्वविद्यालय सिंडिकेट की बैठक में भाजपा विधायक और राज्य सरकार के प्रतिनिधि मोहनलाल गुप्ता ने इस युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय का मुद्दा उठाया था और उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए कॉलेज शिक्षा पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप की इस विजय के उल्लेख किए जाने की मांग रखी थी। इसमें कहा गया कि 1576 में हुए हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप विजेता रहे। कार्यकारी वाइस चांसलर राजेश्वर सिंह के मुताबिक इस प्रस्ताव को विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ स्टडीज को भेज दिया गया है। राजस्थान यूनिवर्सिटी में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई, सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री ने यूनिवर्सिटी में हुई बैठक में इस बात की पैरवी की। वहीं शहरी विकास और आवास मंत्री राजपाल ने भी इस बात का समर्थन किया।

गौरवशाली है राजस्थान का इतिहास- वासुदेव देवनानी

राजस्थान सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का कहना कि राजस्थान का इतिहास गौरवशाली है और आज की पीढ़ी को इस सच से अवगत कराना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के इतिहास को लेकर स्कूली पाठ्यक्रम में तथ्यों के आधार पर कुछ बदलाव किए जा चुके हैं और आने वाले समय में तथ्यों के आधार पर और भी बदलाव किये जा सकते हैं उन्होंने आगे कहा यदि महाराणा प्रताप के शौर्य और पराक्रम को कॉलेज पाठ्यक्रम में जोड़ा जाता है तो इसमें गलत क्या है?

महाराणा प्रताप की जीत के सबूत-

राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में उदयपुर के मीरा कन्या महाविद्यालय के प्रोफेसर और इतिहासकार डॉक्टर चन्द्रशेखर शर्मा ने यह शोध प्रस्तुत किया है। महाराणा प्रताप के समकालीन ताम्र पत्रों को आधार बताते हुए डॉ. शर्मा ने हल्दीघाटी के युद्ध में प्रताप की जीत का दावा किया है। डॉ. शर्मा के मुताबिक 18 जून 1576 ई. को हल्दीघाटी का भीषण युद्ध मेवाड़ तथा मुगलों के मध्य हुआ था।  अभी तक यह युद्ध बेनतीजा बताया जाता रहा है। लेकिन असल में इस युद्ध में महाराणा प्रताप की विजय हुई थी। डॉ. शर्मा ने विजय को दर्शाते प्रमाण राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा करा दिए हैं।

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महाराणा प्रताप और अकबर के बीच 1576 में हल्टीघाटी में हुए इस भीषण युद्व का परिणाम अब सामने आया है. डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने अपने ताजा शोध में महाराणा प्रताप की विजय को दर्शाते ताम्र पत्रों से जुडे़ प्रमाण जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में जमा कराए गए हैं। उनके अनुसार युद्ध के बाद अगले एक साल तक महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के आस-पास के गांवों की जमीनों के पट्टे ताम्र पत्र के रूप में जारी किए थे। इन ताम्र पत्रों पर एकलिंगनाथ के दीवान प्रताप के हस्ताक्षर थे।  उस समय जमीनों के पट्टे जारी करने का अधिकार सिर्फ राजा को ही होता था।

क्या अकबर ने दी थी अपने सेनापतियों को सजा-

राजस्थान के ही एक दूसरे इतिहासकार ने भी डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा के शोध का समर्थन किया है।  इतिहासकार डॉ. शर्मा बताते है कि शोध में एक नया तथ्य सामने आया कि हल्दीघाटी युद्ध के बाद मुगल सेनापति मान सिंह व आसिफ खां से युद्ध के परिणामों को लेकर अकबर नाराज हो गया था और  दोनों को छह महीने तक दरबार में नहीं आने की सजा दी गई थी। उन्होंने आगे कहा कि अगर मुगल सेना विजयी होती तो अकबर अपने सबसे बड़े विरोधी प्रताप को हराने वालों को पुरस्कृत जरूर करता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया,  इस घटना से ये सिद्ध होता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की ही विजय हुई थी।

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