आज़ादी तो पिंजरे में बंद परिंदे को भी चाहिए, फिर महिला तो इंसान है… उसे आज़ादी क्यों ना मिले?आजादी का मतलब क्या सिर्फ पुरुषों के लिए आजाद घूमना है महिलाओं के लिए नही ? आज समाज में जो कुछ भी हो रहा है उसके बाद महिलाओं की आजादी खत्म होती जा रही है। अभी हाल ही में नॉएडा में एक ऐसी ही घटना घटित हुई जिसने एक बार फिर सोचने को मजबूर कर दिया है
ये घटना है नॉएडा की जहाँ एक ऐसा गर्ल्स हॉस्टल हैं जहां शाम 7 बजे के बाद ना तो कोई अंदर आ सकता है और ना ही किसी महिला को हॉस्टल से बाहर जाने की इजाजत है। आप 7 बजे से पहले-पहले जहां भी हैं, वापस हॉस्टल लौ आएं और उससे पहले ही बाहर के सारे काम निपटा लें…
जबकि दूसरी ओर पास ही में स्थित लड़कों के हॉस्टल में ऐसा किसी भी प्रकार का नियम नहीं है। लड़के चाहे तो रात में किसी भी वक्त आ सकते हैं, किसी भी समय कहीं भी जा सकते हैं फिर चाहे रात के 2 या 3 ही क्यों ना बज रहे हों। बस इस बात पर नाराज़ लड़कियों के गुट ने नोएडा में रोज़ाना धरना देना आरंभ कर दिया है।
वे रोज़ प्रदर्शन करती और मांग करती हैं कि ‘यदि लड़कों को रात में 2 बजे तक बाहर टहलने की आज़ादी है तो हमें क्यों नहीं?’ सवाल साफ है, लेकिन किसी के पस इसका जवाब नहीं। हॉस्टल वाले अपने नियम को बदलने के लिए राज़ी नहीं, और लड़कियां हैं कि रोज़ाना तरह-तरह के अंदाज़ में विरोध करती दिखाई दे रही हैं।
यह एक महिला का अधिकार है कि वह अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीये। वह जब चाहे तब अपनी मर्ज़ी से कहीं भी कभी भी जा सकती है। लेकिन एक सवाल…. उसकी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
आज ऐसा जमाना है जब जगह-जगह इंसान की शक्ल में भेड़िये घूम रहे हैं। वह भेड़िया आपके साथ में बैठा ऑफिस का कर्मचारी हो सकता है, आपका बॉस हो सकता है, आपके साथ बस या मेट्रो में बैठा यात्री हो सकता है, आपका अपना कोई रिश्तेदार हो सकता है या फिर स्वयं आपका कोई अच्छा और विश्वास पात्र मित्र भी।
किस वक्त कौन सा भेड़िया हमला बोल दे, इसकी क्या गारंटी है। आज हमारा समाज महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। केवल समाज ही क्यों… आज तो घर में भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।
घर में तो सभी अपने होते हैं, जिनसे हम अपनी सुरक्षा की उम्मीद कर सकते हैं। फिर जब घर के भीतर ही किसी महिला पर यौन हमले हो सकते हैं तो हम बाहरी समाज से अपनी सुरक्षा की अपेक्षा कैसे लगा सकते हैं। और यह केवल आज की ही बात नहीं है… महिलाओं पर यौन हमले तो बरसों से हो रहे हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि आज शायद मीडिया की मदद से यह हमले सुर्खियों में जल्दी आ जाते हैं।
चलिए वापस आते हैं नोएडा के गर्ल्स हॉस्टल के मुद्दे पर…. एक सवाल है उन लड़कियों के पैरेंट्स से । क्या आप अपनी बच्ची को रात के 2 या 3 बजे सड़क पर पार्क में घूमने की आज़ादी देंगे? माना यह उनका हक है लेकिन उनकी इस इच्छा को पूरा करने के लिए क्या आप इतना बड़ा जोखिम उठाना चाहेंगे? ज़रा विचार कीजिएगा..
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