यूपी में बीजेपी की योगी सरकार बनते ही देश में एक बार फिर राम मंदिर सुर्खियों में आ गया है. सड़क से संसद तक, गाँव से लेकर शहर तक और हिन्दू से लेकर मुसलमान तक हर किसी जुबान और जेहन में राम को लेकर तरह तरह के ख्याल संवेदनाएं और आस्थाएं चल रही हैं. राम केवल हिन्दुओं के लिए ही नहीं वल्कि भारतीय मुसलमानों के लिए भी आस्था का मुद्दा रहा है. इसी का प्रमाण बताने के लिए आपको आज हम वाराणसी की एक मुसलमान महिला नाज़नीन अंसारी के बारे में बता रहे हैं जो रोजे और नमाज की पाबंद हैं लेकिन इन्हें पूरा बनारस रामभक्त के नाम से जनता हैं.
जनीन अंसारी वाराणसी के एक बुनकर परिवार से हैं. लेकिन गरीबी के बावजूद नाजनीन ने अपनी पढ़ाई की और आज वह वाराणसी में मुस्लिम महिला फाउंडेशन की सदर हैं. 30 वर्षीय नाजनीन वैसे तो मुस्लिम हैं लेकिन उनका मानना है कि सभी धर्म एक सामान हैं और सबको सारे धर्मों का सम्मान करना चाहिए. नाजनीन कहती हैं कि अयोध्या रामचंद्र जी की जन्मभूमि है तो वहां राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए. नाजनीन कहती हैं कि जब वो अयोध्या में श्रीराम को टेंट में देखकर उनको बहुत कष्ट हुआ. उनका कहना है की अगर मुसलमान चाहते तो वहां अभी तक राम मंदिर बन चुका होता. नाजनीन अयोध्या में राम मंदिर बनाए जाने की पक्षधर हैं और खुद पहल भी कर चुकी हैं. उन्होंने खुद अयोध्या जाकर वहां मंदिर बनाने के लिए चन्दा भी कटवा चुकी हैं.नाजनीन बताती हैं कि 2006 में बनारस के संकट मोचन में बम ब्लास्ट हुआ तो हिन्दुओं का मुसलमानों के प्रति नजरिया बदल गया जिसके बाद उनके साथ कई मुस्लिम महिलाओं ने संकट मोचन मंदिर जाकर पूजा-पाठ किया. इसके बाद नाजनीन ने हिंदू धार्मिक ग्रंथों का उर्दू में अनुवाद किया और लोगों को जागरूक किया.
नाजनीन ने हनुमान चालीस समेत दुर्गाचालीसा और अन्य हिन्दू ग्रंथो का उर्दू में अनुवाद किया है.यही नहीं नाजनीन ने खुद राम आरती भी लिखी हुई हैं और जिसे वो हर वर्ष राम नवमी के दिन राम की आरती कर गाती भी हैं. नाजनीन ने कहा कि बाबर मुसलमान नहीं था वो एक लूटेरा , हत्यारा व खुनी था लेकिन यहाँ के मुस्लिम लोग उसे अपना पूर्वज मानते हैं . नाजनीन कहती हैं कि अयोध्या में पहले मंदिर था, ये इतिहास में भी दर्ज है जिसे क्रूर आक्रान्ता बाबर ने गिरवा दिया था. अब जब हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ये सलाह दी है तो इस पर बातचीत होनी चाहिए. नाजनीन का कहना है कि विवादित जगह पर कभी नमाज नहीं पढ़ना चाहिए इसलिए अब वहां राम मंदिर बनवा देना चाहिए. मस्जिद तो वैसे कोई धार्मिक आस्था का स्थल नहीं वल्कि इक्कठे होकर अल्लाह की इबादत या नमाज़ अता करके का एक केंद्र है. इसलिए यह केन्द्र तो कहीं दूसरी खुली जगह पर भी विकसित किया जा सकता है. लेकिन भगवान् राम तो करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ भावनात्मक मुद्दा है. इसलिए भगवान् राम के बारे में मुसलमान जब अपनी हेकड़ी दिखा रहे हैं तो उनकी इस हेकड़ी को लेकर क्यूँ न उनको कट्टरपंथी माना जाए.