क्या है मुलायम अखिलेश के झगड़े का असली मकसद ?
पिछले काफी समय से यूपी की समाजवादी पार्टी में छिड़ा गृहयुध्द नित नए मोड़ ले रहा है, लेकिन क्या ये महज एक दिखावा है या बास्तव में बाप बेटे, एवं चाचा भतीजे के बीच अपने अपने बर्चस्व की जंग।
सपा के गृहयुद्ध का परिणाम आने वाले चुनाव में चाहे कुछ भी हो इसका लाभ किस पार्टी को मिलता है ये तो परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन पिछले दिनों अखिलेश के राजनैतिक रणनीतिकार स्टीव जार्डिग के एक कथित ईमेल के खुलासे से ये साफ़ नजर आ रहा है कि सपा में छिड़ी बर्चस्व की जंग महज एक दिखावा है ताकि अखिलेश को एक बार फिर सत्ता में स्थापित किया जा सके।
आखिर क्या है स्टीव जॉर्डिंग के कथित ईमेल का सच :
शुक्रबार को मुलायम द्वारा अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी से बाहर किये जाने के कुछ ही देर बाद ये कथित मेल सामने आया और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
इस मेल के सामने आने से इस बात को और ज्यादा बल मिलता है बाप बेटे का झगड़ा महज एक दिखावा है और कुछ नहीं। यह एक सोची समझी रणनीति का एक हिस्सा है जिसके तहत चाचा की कीमत पर अखिलेश की साफ़ छवि को मजबूत किया जा रहा है ताकि आने वाले चुनाव में जनता की सुहानुभूति अखिलेश को मिल सके और भविष्य में अखिलेश को समाजवादी पार्टी के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सके।
आइये आपको बताते हैं कौन है स्टीव जॉर्डिंग :
स्टीव जोर्डिग दुनिया के जाने-माने पॉलिटिकल एडवाइजर और कैंपेन मैनेजर हैं। वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल में पॉलिटिकल सांइस और पब्लिक पॉलिसी के सीनियर प्रफेसर हैं। स्टीव जोर्डिग अमेरिका में डेमोक्रेट्स (हिलेरी क्लिंटन) के चुनाव अभियान के प्रबंधक व राजनीतिक सलाहकार की भूमिका निभा चुके है।
स्टीव जॉर्डिंग ने ही सपा सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार अभियान को फिर से डिजाइन कराया है। उन्हीं की सलाह पर अभिनेत्री विद्या बालन को समाजवादी पेंशन योजना का एंबेसडर बनाकर इस योजना के प्रचार का बड़ा अभियान शुरू किया गया है।
स्टीव के एक वयान के अनुसार समाजवादी पेंशन योजना दूरदराज के लोगों तक पहुंच तो रही है लेकिन वे नहीं जानते कि यह स्कीम प्रदेश सरकार की है या केंद्र सरकार की। इसीलिए उन्होंने इसके प्रचार अभियान को नए अंदाज में लॉंच कराया है, ताकि गांव के लोग और युवा अखिलेश को विकास के लिए समर्पित मुख्यमंत्री के तौर पर देखें। अतः इन सब बातों से ये साफ़ होता है कि सपा कुनबे की अन्तर्कलह का मकसद अखिलेश को राजनैतिक रूप से स्थापित करना है।
क्या मुलायम का भावुक होना यूपी की जनता को मूर्ख बनाना हैं ?
मुलायम सिंह यादव राजनीती के एक मझे हुए खिलाडी है। जिसकी राजनीती ही परिवारबाद और जातिबाद पर केंद्रित हो, जिसने अपने शासनकाल में सिर्फ अपने परिवार एवं अपनी यादव विरादरी का ही हित साधा हो उससे ऐसी उम्मीद करना कि वो अपने बेटे को पार्टी से निकाल सकता है सबसे बड़ी बेवकूफी होगी। अगर मुलायम सिंह का मकसद वास्तव में समाजवादी पार्टी को टूटने से बचाने का ही था तो अखिलेश को आचार संहिता लगने के बाद भी निष्कासित किया जा सकता था। पहले अखिलेश एवं रामगोपाल को नोटिस भेजना और उसके बाद बिना किसी नोटिस का जवाब लिए आचार संहिता लगने से पूर्व ही दोनों को पार्टी से बाहर कर देना। आखिर मुलायम ने ऐसा क्यों किया ? क्यों मौका दिया कि अखिलेश स्वतंत्र चुनाव लड़ सके ? इतने भोले भी नहीं है मुलायम सिंह। ये महज एक रणनीति का हिस्सा है ताकि अखिलेश को सुहानुभूति दिलवाकर आने वाले चुनाव में जीत हासिल कर सके और एक बार फिर अखिलेश को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया जा सके।