एक महिला चार महीने में तीन बार तो दूसरी महिला 10 महीने में 5 बार प्रेगनेंट होती है, जबकि एक अन्य महिला 12 साल बाद गर्भधारण कर पाती है। ये सारी महिलाएं उत्तर प्रदेश की हैं, जिनके नाम पर जननी सुरक्षा योजना की राशि लूटी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही इस योजना को लेकर हुई छानबीन में जो बातें सामने आई हैं, वो किसी को भी हैरान करने के लिए काफी हैं। मसलन, योजना का लाभ लेने के लिए एक महिला को महज चार महीने में तीन बार प्रेगनेंट बता दिया गया, जबकि दूसरी महिला के बारे में बताया गया है कि वह 12 साल पहले प्रेगनेंट हुई थी।
इस फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद योजना को लागू करने की जिम्मेदारी वा.ले अधिकारी छानबीन में जुटे तो एक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। फर्जीवाड़े के लिए 60 साल की एक महिला को महज 10 महीने में पांच बार प्रेगनेंट कर दिया गया। जांच अधिकारियों ने कहा कि इस फर्जीवाड़े में प्राइमरी हेल्थ सेंटरों के कर्मचारियों ने जमकर कमाई की है। वे कुछ रुपयों का लालच देकर क्षेत्र की महिलाओं को फर्जीवाड़े के लिए राजी कर लेते हैं। कागजों पर उन हरेक महिला के नाम पर 1,400 रुपये जारी किया जाता है, जबकि ज्यादातर रुपये कर्मचारी ही डकारते हैं। अकेले बौंदी पीएचसी में इस तरह के 200 मामले सामने आए हैं।
दरअसल, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब बदायूं में आशा देवी नाम की एक महिला चार महीने में तीन बार योजना के तहत मिलने वाली राशि का चेक लेकर बैंक पहुंच गई। उसने इसी साल 28 फरवरी को बच्चे को जन्म देने का दावा कर 1,400 रुपये लिए, फिर मार्च में भी ऐसा ही दावा किया और फिर कहा कि 20 मई को भी उसे बच्चा हुआ। बैंक अधिकारी को आशा देवी पर शक हुआ और उसने स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दे दी। उसके बाद जब जांच शुरू हुई तो फर्जीवाड़े का एक से बढ़कर एक नमूना सामने आने लगा। एक मामला बरही के राजेश्वरी देवी का है। राजेश्वरी ने 24 अगस्त, 2011 को बच्चे के जन्म दिए जाने का दावा किया। जांच में पता चला कि उसने 12 साल पहले बच्चे को जन्म दिया था।
साल 2005 में सरकार ने गरीब महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत की थी। इसका मकसद बच्चे के जन्म के वक्त मां की मौत की घटनाओं को कम करना और प्रसव के लिए अस्पताल आने को बढ़ावा देना था। बहरहाल, स्वास्थ्य विभाग के अडिशनल डायरेक्टर डॉ. सुबोध शर्मा ने कहा, ‘मैंने सार्वजनिक और सामुदायिक केंद्रों से जुटाए गए रिकॉर्ड्स देखे हैं और अब बैंकों की रिपोर्टों का इंतजार कर रहा हूं। जब वे मुझे मिल जाएंगी, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। योजना के तहत सरकारी अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को पौष्टिक भोजन के लिए 1,400 रुपये दिए जाते हैं। ताकि जच्चा-बच्चा की सेहत सही रहे। दुर्भाग्य है कि इस योजना का दुरुपयोग हो रहा है।’