लंबे अरसे से लैंड बिल पास कराने के लिए जद्दोजहद कर रही केंद्र सरकार ने आखिरकार विपक्ष के 6 बदलावों को मान लिया है । नतीजतन, अब यह बिल कुछ प्रावधानों को छोड़कर यूपीए के लैंड बिल जैसा ही है।
दरअसल, भूमि अधिग्रहण के दायरे में आने वाले लोगों की रजामंदी लेने और अधिग्रहण के दायरे में आने वाली जमीन पर रोजी-रोटी के लिए निर्भर लोगों पर अधिग्रहण से पड़ने वाले असर का सामाजिक आकलन करने की यूपीए सरकार के 2013 वाले कानून की बातें जहां इस बिल में शामिल की जाएंगी, वहीं इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स से जुड़ी शर्तें मोदी सरकार के बिल से हटाई जाएंगी।
मेटी के एक मेंबर ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘सरकार कांग्रेस, शिवसेना, बीजेडी, वाम दलों, एआईएडीएमके, बीएसपी और अन्य दलों की मांगों पर राजी हो गई। एनडीए के लैंड एक्विजिशन बिल में संशोधन के जो 15 प्रस्ताव दिए गए थे, उनमें से 12 पर आम सहमति बनी। सरकार ने एनडीए के लैंड बिल में छह बड़े बदलावों पर सहमति जताई है।’
यह होंगे 6 अहम बदलाव:
* प्राइवेट कंपनियों को बदलकर ‘एंटिटी’ किया गया था, जिसे फिर से कंपनी कर दिया गया है। ‘एंटिटी’ शब्द से सामाजिक व गैर सरकारी संगठनों के लिए अधिग्रहण आसान हो जाता।
* निजी परियोजनाओं में अधिग्रहण के लिए 80 फीसदी व पीपीपी में 70 फीसदी की सहमति को खत्म करने वाला प्रावधान बहाल।
* साथ ही, डिफेंस, रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर, अफोर्डेबल हाउसिंग, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए सोशल इंपैक्ट असेसमेंट से छूट देने वाला प्रावधान भी खत्म कर दिया गया है।
* औद्योगिक गलियारे के दोनों ओर की एक-एक किलोमीटर जमीन के अधिग्रहण के प्रावधान को हटाने पर आम राय।
* भूमि अधिग्रहण में किसी अपराध के लिए किसी भी सरकारी अधिकारी पर संबंधित राज्य या केंद्र सरकार की सहमति के बिना मुकदमा न चलाने की बात करने वाला प्रावधान भी हटाने पर केंद्र राजी हुआ है।
* सरकार ने एक नया सेक्शन 10ए जोड़कर कई क्षेत्रों को भूमि अधिग्रहण के लिए खोल दिया था। इन्हें हटाने पर आम राय।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि इन संशोधनों के साथ जो बिल सामने आएगा, उसका पार्टी समर्थन करेगी। ज्वाइंट कमिटी की आखिरी सुनवाई मंगलवार को होगी, जिसमें तीन और क्लॉज पर चर्चा की जाएगी।
विपक्ष ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व में बनी रणनीति के मुताबिक कदम बढ़ाया था, जिन्होंने पिछले सप्ताह अपने आवास पर इन दलों को आमंत्रित किया था। शिवसेना भी इसमें शामिल हुई थी।
माना जा रहा है कि इन प्रस्तावों के साथ कमिटी आम सहमति के साथ रिपोर्ट पेश कर सकती है। कमिटी को इसके लिए चार दिनों की मोहलत और मिली है। कमिटी के सूत्रों के मुताबिक, इन संशोधनों के बाद मोदी सरकार का यह बिल भी कुछेक छोटे-मोटे बदलावों को छोड़कर यूपीए के 2013 के बिल जैसा होगा।