बिहार से नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश शर्मा पर हमला :
साल 2018 के पहले दिन ही पश्चिम बंगाल की धर्मनगरी तारापीठ पूजा करने गए बिहार से नगर विकास और आवास मंत्री सुरेश शर्मा और उनके सुरक्षा दस्ते पर वीरभूम जिले के होटल सोनार बांग्ला में हमला किया गया।
होटल में कमरा बुक करने को लेकर हुए विवाद में दोनों पक्षों के बीच तू-तू-मैं-मैं के बाद स्थिति बिगड़ी। होटल स्टाफ और अन्य लोगों ने मंत्री के साथ ही सुरक्षाकर्मियों और अन्य लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस दौरान मंत्री बच गए पर उनके बॉडीगार्ड व ड्राइवर जख्मी हो गए।
कमरा अच्छा नही बुकिंग के पैसे वापिस दे दो :
जानकारी के अनुसार, मंत्री ने 15 हजार रुपये में यहां पर कमरे की बुकिंग की थी। यह बुकिंग ऑन लाइन हुई थी। मंत्री सुरेश शर्मा जब होटल पहुंचे तो उन्होंने कहा कि उन्हें होटल पसंद नहीं है, बुकिंग का पैसा वापस दे दिया जाए। होटलकर्मियों ने कहा कि ऐसा करना संभव नहीं है। ऑन लाइन बुकिंग हुई है, इसलिए ऑनलाइन ही रुपये भेजा जाएगा।
हमले के बाद सभी किसी तरह भाग कर रामपुर हाट थाने पहुंचे। इसके बाद मंत्री और उनकी गाड़ियों के साथ कुछ स्टाफ और लोगों को भी होटल कर्मियों ने बंधक बना लिया।
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स्थिति उस समय अजीबोगरीब हो गई जब रामपुर हाट थाने ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। बाद में उच्चस्तरीय दखल पर मामला दर्ज हुआ। घायल बॉडीगार्ड व ड्राइवर का इलाज स्थानीय अस्पताल में कराया गया। इस बीच मुख्यमंत्री ने मंत्री शर्मा से मोबाइल पर बात कर घटना की जानकारी ली।
मंत्री जी दूर से आए हैं। थके हुए हैं, कमरा जल्दी खुलवा दो :
रिसेप्शन पर क्लर्क से कहा गया कि मंत्री जी दूर से आए हैं। थके हुए हैं, कमरा जल्दी खुलवा दो। इस पर क्लर्क ने बदतमीजी करते हुए कहा कि बिहार के लोग ऐसे ही मंत्री और सांसद की धौंस देते हैं। वेटिंग हॉल में बैठिए। कमरा तैयार होने पर सूचना देंगे। बार-बार बिहारी कहने और असभ्य भाषा देख मंत्री ने क्लर्क से बुकिंग के पैसे वापस करने को कहा। इस पर क्लर्क अभद्रता करने लगा। विवाद होने पर मंत्री काउंटर से हट गए।
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तभी होटल के मैनेजर ने रॉड और डंडा से लैस 50 लोगों के साथ हमला कर दिया। मंत्री को बचाने में रॉड के प्रहार से बॉडीगार्ड मनीष कुमार का हाथ टूट गया। ड्राइवर गणेश कुमार का सिर फट गया।
शाम छह बजे तारापीठ थाने के एसएचओ मंत्री का बयान लेने होटल पहुंचे। इससे पहले बीते 29 दिसंबर को ही मंत्री के यात्रा की विधिवत जानकारी पश्चिम बंगाल सरकार को दे दी गई थी। फिर भी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था। कॉल करने पर भी डीएम व एसपी ने रिसीव नहीं किया।