इस देश की सबसे बड़ी खूबी है अनेकता में एकता। वह चाहे भाषा और बोली के आधार पर हो या फिर रहन-सहन या फिर पहनने ओढ़ने को लेकर हो। हर इलाके की अपनी पहचान है। शायद यही वजह है कि इस देश की संस्कृति से किसी को भी प्यार हो जाता है। खासकर यहां के परिधानों का चलन तो पूरी दुनिया में है। विदेशियों के सिर चढ़कर बोलती है यहां की रंग-बिरंगी और कलाकारी से युक्त वेशभूषा। हो भी क्यों न। इस देश के अलग-अलग हिस्सों में आपको खास तरह के धागों से बने परिधान भी देखने को मिलते हैं। उत्तर भारत में जहां बनारसी साड़ी की खूबियां हैं वहीं गुजरात में सूती के परिधानों की, पंजाब में रंग-बिरंगे धोती और कुर्ते का आकर्षण हो या फिर दक्षिण में रेशम के वस्त्र।
इस देश के हर कोने में यहां के परिधान विविधता लिए हुए हैं। और जब बात इस देश के परिधानों की हो रही है तो लखनऊ की मशहूर चिकनकारी का ज़िक्र होना लाज़िमी है। आपको बता दें कि इस ख़ास चिकनकारी के चाहनेवाले देश ही नहीं विदेशों में भी हैं। होना जायज़ भी है। इस ख़ास कलाकारी की बात सबसे अलग जो है। सूती कपड़े पर हाथो से की गई खूबसूरत कढ़ाई को लखनउवी चिकनकारी भी कहा जाता है। इसकी यही खूबसूरती हर किसी को अपना दीवाना बना लेती है। असल में बढ़िया क्वालिटी की चिकनकारी का काम सबसे ज्यादा लखनऊ में होता है इसलिए इसका नाम लखनउवी चिकनकारी पड़ गया।
इंटरनेट की उपलब्धता के कारण अब ज्यादातर लोग ऑन लाइन शॉपिंग के जरिए भी कपड़ों की खरीद-फरोख्त करते हैं। ऐसी ही एक महिला ने भी ऑन लाइन शॉपिंग के माध्यम से जब लखनउवी चिकनकारी की तलाश करनी शुरू की उन्हें जानकर आश्चर्य हुआ कि ऑन लाइन की दुनिया में लखनउवी चिकनकारी की स्थिति बहुत ही खराब थी। लखनउवी चिकनकारी अभी तक ऑन लाइन की दुनिया में सीमित रूप से उपलब्ध है और जो कंपनियां इसे दे रहीं हैं वह ज्यादा अच्छी क्वालिटी की नहीं थीं। उन्हें जानकर आश्चर्य हुआ कि लखनउवी चिकनकारी की तलाश उनकी तरह और लोगों को भी थी। लेकिन सभी लोगों को निराशा का ही सामना करना पड़ता था । ऑन लाइन शॉपर्स की इसी निराशा को खुद इस महिला ने समझा और उन्होंने फैसला कर लिया कि वो ड्रेस 365 के माध्यम से लोगों को लखनऊ की मशहूर चिकनकारी के परिधान आसानी से उपलब्ध करवाएंगी वह भी अच्छी क्वालिटी के साथ। इस महिला का नाम है आंचल गुप्ता जिनके जुनून और कुछ ख़ास करने की चाहत ने उनको आज एक सफल कंपनी का मालिक बना दिया है । आज आंचल ऑन लाइन की दुनिया में ड्रेस 365 नामक ऑन लाइन स्टोर के जरिए देश ही नहीं विदेशों तक में लखनउवी चकिनकारी के काम को पेश कर रहीं हैं ।
आसान नहीं थी शुरूआत
आंचल गुप्ता के लिए इसकी शुरूआत करना आसान नहीं था। वह एक विवाहित गृहणीं थीं साथ ही उन्हें अपने 2 साल के बच्चे की भी देखभाल करनी होती थी। आंचल इस सपने को यदि सच कर सकने में सफल हुईं तो इसके पीछे वो श्रेय अपनी पति को देतीं हैं । उनके पति ने उनकी इस अनोखी सोच के लिए न सिर्फ उन्हें उत्साहित किया बल्कि आंचल की पूरी तरह से ड्रेस 365 की सफल शुरूआत करने में मदद भी की।
“कहा जाता है कि एक सफल आदमी के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है लेकिन मेरे मामले में ये उलटा है। मेरी सफलता के पीछे एक पुरूष का हाथ है और वो हाथ मेरे पति का है। घर की जिम्मेदारियां और बच्चों की देखभाल करने के उनके फैसले ने मुझे उत्साह दिया। इसके साथ ही मेरे काम में मेरे पति और परिवार का निरंतर सहयोग मिलने से मुझमें भरोसा आया। मेरी सोच पर मेरे परिवार और पति का भरोसा ही मेरी शक्ति बने ।
सही कहतीं हैं आंचल कि उनके पति ने उनकी सोच पर विश्वास किया और वो ड्रेस 365 को लोगों के सामने लेकर आने में सफल रहीं। लखनउवी चिकनकारी के बारे में वो बतातीं हैं कि ये मुगल काल से हमारे देश में प्रचलित रहा है। अगर लिखित दस्तावेजों की बात करें तो मेगस्थनीज ने अपनी यात्रा वृत्तांत में इसका वर्णन किया है । पर्शियन सभ्यता से प्रेरित होकर मुगलकाल में भारत में चिकन की कढ़ाई लखनऊ में शुरू हुई थी। बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि नूरजहां ने इस कलाकारी को प्रचलन में लाया था। सिल्क और ज्यादातर सूती कपड़ों पर सूई की सहायता से बहुत ही खूबसूरती के साथ की गई हाथ की कढ़ाई को चिकनकारी कहा जाता है और लखनऊ इसके लिए खास तौर पर जाना जाता है । लेकिन निराश करने वाली बात यह थी कि लोगों को इसके बारे में कम जानकारी है जिसके कारण उन्हें असली चिकनकारी के कपड़े पहनने को नहीं मिलते। हालांकि ऑन लाइन की दुनिया में इसके चाहने वालों की संख्या काफी है लेकिन यहां पर भी इसकी उपलब्धता न होने के कारण उन्हें भी निराशा ही हाथ लगती है।
आंचल बतातीं हैं कि वह इंटरनेट पर ऑन लाइन शॉपिंग का शौक रखतीं हैं और इसके माध्यम से वह विभिन्न तरह के कपड़ों का ऑर्डर करती रहतीं थीं । लेकिन यहां पर उन्हें जानकर आश्चर्य हुआ कि ई-कामर्स कंपनियां लोगों को लखनउवी चिकनकारी युक्त पतले रेशम के लहंगे, साड़ियां और कामदानी अनारकली जैसे कपड़ों की मांग पूरी कर सकने में असमर्थ थीं। और कुछ कंपनियां जो डिजाइनर चिकनकारी दे भी रहीं थीं वो या तो खराब क्वॉलिटी की थी या फिर उनमें लखनऊवी चिकन कढ़ाई थी ही नहीं। आंचल गुप्ता ने पाया कि एक बहुत बड़ा वर्ग ऑन लाइन की दुनिया में है जिसे लखनउवी चिकनकारी के कपड़ों का शौक है। चूंकि आंचल गुप्ता खुद लखनऊ की रहने वालीं थीं इसलिए उन्होंने इसी ख़ास वर्ग की मांग को पूरा करने के लिए खुद एक वर्कशॉप शुरू करने की सोची । उन्होंने इसकी शुरूआत सबसे पहले अपने करीबी दोस्तों से की। उन्हें जानकार खुशी हुई कि जिन लोगों से उन्होंने संपर्क किया था उन लोगों के बीच लखनउवी चिकन के प्रति खास मांग थी। आंचल जब भी लखनऊ जातीं तो अपने दोस्तों के लिए लखनउवी चिकन कढ़ाई के कपड़े ले आया करतीं थीं। धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती गई और आंचल ने लोगों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अप्रैल 2013 में अपना एक ऑन लाइन वेब पोर्टल ड्रेस 365 के नाम से लांच कर दिया ।
आंचल को वेब पोर्टल को शुरू करने में काफी मेहनत करनी पड़ी। वो बतातीं हैं कि 5 लाख की लागत से उन्होंने ड्रेस 365 की शुरूआत की थी लेकिन ऑन लाइन ग्राहकों का विश्वास जीतना इतना आसान नहीं था। धीरे-धीरे लोगों ने ड्रेस 365 के जरिए लखनउवी चिकनकारी का अनुभव किया और फिर उसकी विश्वसनीयता प्रामाणिक होने के बाद इसकी मांग प्रतिदिन बढ़ने लगी और विदेशों से भी आंचल के पास ग्राहक आने शुरू हो गए । ये ड्रेस 365 की सफलता की पहली सीढ़ी थी जिसे आंचल गुप्ता ने लोगों का विश्वास से पाई थी।
क्या खास है ड्रेस 365 में
ड्रेस 365 के बारे में विस्तार से बात करते हुए आंचल बताती हैं कि इस ऑन लाइन शॉपिंग स्टोर में लखनऊ की मशहूर चिकनकारी से युक्त कुर्ती, साड़ियां, बच्चों के कपड़े और पुरुष परिधानों को सस्ते और अच्छी क्वालिटी की चीज़ें खरीदी जा सकती है। ड्रेस 365 अपने ग्राहकों के सामने उच्च स्तर की चिकन कढ़ाई के ढेर सारे कलेक्शन्स लेकर आया है। ड्रेस 365 की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां पर आपको डिजाइनर चिकनकारी रेशम के कपड़ों और सूती के कपड़ों में प्राप्त हो सकती है। घनी कढ़ाई से युक्त साड़ियां, कुर्ती और शुद्ध रेशम की अनारकली जैसी अनेकों डिजाइन यहां पर आसानी से देखी व खरीदी जा सकतीं हैं। भारत के बड़े फैशन हाउस के बेहतरीन कपड़े लखनउवी चिकनकारी के साथ आपको दिए जाते हैं वह भी काफी किफायती दरों पर। लखनउवी चिकनकारी की डिमांड सबसे ज्यादा होली, ईद, दिवाली जैसे त्योहारों पर पूरे विश्व में होती है ।
ड्रेस 65 का उद्देश्य देश की इस बेशकीमती कलाकारी को पूरे विश्व में एक नई पहचान देना है । आंचल ये बताते हुए खुशी महसूस करतीं हैं कि लखनउवी चिकनकारी की बढ़ती मांग के कारण यहां के हजारों कामगारों को रोज़गार भी मिल रहा है। उन्हें खुशी है उनका यह प्रयास बहुत ही कम समय में विभिन्न देशों में अपनी लोकप्रियता बढ़ा सकने में सफल रहा है। आज ड्रेस 365 के पास भारत ही नहीं बल्कि भारत के बाहर इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका और मिडिल ईस्ट जैसे देशों से ग्राहक आ रहे हैं ।
चिकनकारी का बाजार
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चिकनकारी का बाजार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में है। विभिन्न प्रकार के फैब्रिक्स (कपड़ों) पर की गई चिकनकारी हर किसी को अच्छी लगती है और जब वह लखनउवी कढ़ाई से युक्त हो तो उसके चाहने वालों की संख्या बढ़ जाती है। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में लोगों के बीच इसकी काफी मांग है और ड्रेस 365 के पास इन देशों से सबसे ज्यादा ग्राहक हैं। इसकी एक खास वजह और भी है कि इन देशों में सबसे ज्यादा भारतीयों की संख्या है इसलिए वहां के लोगों के बीच लखनउवी चिकनकारी के प्रति आकर्षण बढ़ा है। एनआरआई (प्रवासी भारतीय) ग्राहकों के बीच चिकनकारी का एक खास क्रेज रहता है।
किससे मिलती है प्रेरणा –
किसी काम को शुरू करना और उसका सफल होना ये कोई चमत्कार नहीं बल्कि आपका अपना आत्मविश्वास होता है। आपको अपने ऊपर भरोसा रखने की जरूरत होती है। आंचल गुप्ता को भी इसी आत्मविश्वास से आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है। वो बताती हैं कि वह स्वयं लखनऊ से हैं और एक शिल्पकार भी हैं। ऐसे में उनका लखनऊ के हथकरघा व्यवसाय के प्रति एक जिम्मेदारी बनती थी कि वो उनके लिए कुछ करें। ड्रेस 365 के माध्यम से वो ऐसा कर सकने में सफल भी हो रहीं हैं। और जब सब कुछ पूरे विश्वास व ईमानदारी के साथ किया जाता है तो सामने से परिणाम भी अच्छा ही मिलता है जैसे आंचल को उनके ग्राहकों के द्वारा मिल रहा है।
वो कहती हैं कि अगर दिन भर की थकान के बाद उन्हें अपने ग्राहकों की तरफ से एक भी सकारात्मक प्रक्रिया मिलती है तो उनमें आगे काम करने के लिए नई शक्ति और ऊर्जा का संचार हो जाता है। सच में आंचल गुप्ता की ये कहानी हर उस महिला को प्रेरित करती है जो अपने सपनों को साकार करने, बीच में घर , बच्चे और पति की जिम्मेदारियों को बाधा मानतीं हैं। सपनों को सच करना है तो अपने अंदर एक आत्मविश्वास पैदा करने की जरूरत होती है और उसके बाद, जिसे आप अपनी सफलता की राह में बाधा मानतीं हैं वही आपके सपनों को साकार करने में सहायक सिद्ध होते हैं। जैसा कि हमने आंचल गुप्ता के साथ देखा। किस तरह एक महिला ने लखनऊ की चिकनकारी को भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में लोगों के सामने पेश किया और आज अपनी मंज़िल खुद तक कर रही हैं।
Source – Yourstory