भारत देश बहुत सारी विविधताओं से भरा हुआ देश है। फिर भी सांस्कृतिक रूप से इसका अस्तित्व प्राचीनकाल से बना हुआ है। इस विशाल देश में उत्तर का पर्वतीय भू – भाग, जिसकी सीमा पूर्व में ब्रह्मपुत्र और पश्चिम में सिन्धु नदियों तक विस्तृत है।
इसके साथ ही गंगा, यमुना, सतलुज की उपजाऊ कृषि भूमि, विन्ध्य और दक्षिण का वनों से आच्छादित पठारी भू – भाग, पश्चिम में थार का रेगिस्तान, दक्षिण का तटीय प्रदेश तथा पूर्व में असम और मेघालय का अतिवृष्टि का सुरम्य क्षेत्र सम्मिलित है।
यहाँ पर कई ऐसी जगहें हैं जो काफी अनोखी और रहस्मयी हैं। आज जानते हैं ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में…
1. कुम्भलगढ़ का किला-
यह किला राजस्थान के राजसमन्द जिले में स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण महाराणा कुम्भा ने कराया था। इस किले को ‘अजेयगढ’ कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है जो चीन की दीवार के बाद दूसरी सबसे बडी दीवार है।
2. लेक ऑफ़ लद्दाख़-
यह दृश्य आपका मन मोह सकता है। यह भारत के खूबसूरत जगहों में से एक है। यह जगह लद्दाख़ में मौजूद है और इसे लेक ऑफ़ लद्दाख़ के नाम से भी जाना जाता है।
3. चेरापूंजी-
चेरापूंजी के साँस लेने वाले पुल “फैकास एलास्तिका” नामक पेड़ की जड़ों से बने हुए हैं। इन पेड़ों के ऊपरी हिस्सों से सहायक जड़ों की श्रृंखलांए पैदा होती हैं जो कि विशाल पत्थरों या नदी के किनारे बसेरा कर लेती हैं।
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रबर के पेड़ की जड़ों को सही दिशा में बढ़ने में ख़ासी पान पेड़ के तना का उपयोग करते हैं। वे पान पेड़ के तना को बीच में से काटके और खोखला करके एक जड़-मार्गदर्शन प्रणाली बनाते हैं। रबर के पेड़ की पतली और मुलायम जड़ें सुपारी चड्डी से बाहर नहीं निकल पाती हैं और और एकदम सीधी उगती हैं। जब यह जड़ें नदी के दूसरी ओर पहुँचती हैं, तब उन्हें उस पार की मिट्टी में गाढ़ दिया जाता है। पर्याप्त समय के साथ एक मजबूत और स्थायी पुल का निर्माण हो जाता है।
इस तस्वीर को आप देखकर कह सकते हैं कि यह प्रकृति की एक अनोखी रचना है। इसमें आप देख सकते हैं कि कैसे पेड़ों की जड़ों से यहाँ पुल का निर्माण हो गया है। यह जगह चेरापूंजी में स्थित है।
4. पेड़ से पानी निकलना-
ऐसा दृश्य शायद ही पहले आपने कभी देखा होगा। यह तस्वीर बिल्कुल सच है। इस पेड़ से पानी निकलता है और इसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। यह जगह जम्मू और कश्मीर में स्थित है।
5. करणी माता मंदिर-
करणी माता का प्रसिद्ध मंदिर बीकानेर से लगभग 33 कि.मी. दूर देशनोक (Deshnok) में स्थित है। करणी माता के मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है मंदिर प्रांगण में हजारों की संख्या में चूहे निर्भय होकर स्वच्छंद होकर विचरण करते हैं। ये चूहे करणीमाता के ‘काबा’ कहलाते हैं। इनको मारना या पकड़ना सर्वथा वर्जित है। अनजाने में भी यदि किसी श्रद्धालु के पाँव से कोई चूहा मर जाये तो उसके प्रायश्चित स्वरूप मंदिर में सोने का चूहा भेंट स्वरूप चढ़ाना पड़ता है।