इस्लामिक नेता कनथापुरम एपी अबूबकर मुस्लीयर ने लैंगिक समानता की संकल्पना को गैर इस्लामी बताकर नया विवाद शुरू कर दिया है. सुन्नी नेता ने कहा कि इस्लाम में औरतों की भूमिका तय है और वह सिर्फ बच्चा पैदा कर उनका लालन-पालन करें. उनके इस बयान की दूसरे धर्मगुरुओं ने निंदा की है और अबूबकर से जवाब मांगा है.
केरल की एक पत्रकार ने कांथापुरम मदरसे में 20 साल पहले हुए यौन शोषण का खुलासा किया था, जिस पर बयान देते हुए अबूबकर ने यह टिप्पणी की है. मदरसे ने पत्रकार के यौन शोषण के खुलासे को गलत बताते हुए इस ओर सबूत पेश करने की मांग की है.
ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा के प्रमुख अबूबकर ने अपनी टिप्पणी में कहा कि महिलाओं में मानसिक मजबूती और दुनिया को नियंत्रित करने की शक्ति नहीं होती, क्योंकि यह पुरुषों के हाथ में होती है. उन्होंने कोझीकोड में मुस्लिम स्टूडेंट्स फेडरेशन के एक शिविर में कहा, ‘लैंगिक समानता ऐसी चीज है जो कभी वास्तविकता में तब्दील होने वाली नहीं है. यह इस्लाम, मानवता के खिलाफ है और बौद्धिक रूप से गलत है.
अबूबकर ने आगे कहा, ‘महिलाएं कभी पुरुषों के बराबर नहीं हो सकतीं. वे केवल बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं. महिलाएं संकट की स्थितियों का सामना नहीं कर सकतीं.’ उन्होंने पूछा कि क्या हार्ट के हजारों सर्जनों में एक भी महिला है.
‘इस्लाम की गलत व्याख्या’
दूसरी ओर, मुस्लिम धर्म गुरु राशिद फिरंगी महली ने अबूबकर के बयान का विरोध किया है. उन्होंने बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सुन्नी नेता इस्लाम की गलत व्याख्या कर रहे हैं और उन्हें इस ओर जवाब देना होगा.
पहले भी रहे हैं विवादों में
गौरतलब है कि इस्लामी शिक्षाविद अबूबकर (76) ने हाल ही चुनावों में महिलाओं के आरक्षण के खिलाफ टिप्पणी करके विवाद खड़ा कर दिया था. उन्होंने कहा था कि नगर निकायों में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षित सीटें बहुत ज्यादा हैं. हालांकि विवाद खड़ा होने के बाद वह इससे पलट गए थे.
कॉलेजों में लड़के और लड़कियों के सीटें साझा करने की अनुमति पर जारी बहस के संदर्भ में अबूबकर मुस्लीयर ने कहा कि यह इस्लाम और संस्कृति को खराब करने के सुनियोजित अभियान का हिस्सा है.