अफजल गुरु , जिसने लोकतंत्र के मंदिर पर हमला किया, उसकी फ़ासी के विरोध लिए आयोजित किया गया एक कार्यक्रम।
यह बात सब जानते हैं की अफजल गुरु का संसद के हमले में भागीदारी रही है जिसमे 9 लोगो की जान गयी और 16 लोग घायल हुए जिसे उसने खुद भी कुबूल किया पर बाद में अपने बयान से मुकर गया उसे भारत की सबसे प्रतिष्ठित कोर्ट द्वारा फसी दी गयी
उसकी माफ़ी की विनिती भारत के राष्टपति ने भी ठुकरा दी। आज उसके लिए एक शैक्षणिक संस्थान में कार्यक्रम के नाम पर विद्रोह हो रहा है जेएनयू का युवा संगठन एक आतंकवादी के पक्ष में विरोध प्रदर्शन कर रहा है। और यही नहीं उस प्रदर्शन में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगा रहा है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय हैं।जेएनयू प्रशासन ने अफजल गुरु की फांसी के विरोध में परिसर में कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति रद्द कर दी थी, लेकिन इसके बाद भी पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जेएनयू प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि कार्यक्रम आयोजित करने की छात्रों की यह हरकत अनुशासनहीनता है और देश के विघटन की कोई भी बात ‘राष्ट्रीय’ नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि जेएनयू के मुख्य प्रॉक्टर की अध्यक्षता वाली समिति मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट देगी।
जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार ने कहा, ‘अधूरी सूचना’ देकर कार्यक्रम की इजाजत मांगी गई थी। लिहाजा, यह अनुशासनहीनता है। मुख्य प्रॉक्टर की अध्यक्षता वाली समिति कार्यक्रम के फुटेज की जांच करेगी और वहां मौजूद रहे लोगों से बात करेगी। रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय उचित कार्रवाई करेगा।
‘अधूरी सूचना’ के बारे में बताते हुए जेएनयू के रजिस्ट्रार बी. जुत्शी ने कहा, अनुमति के लिए किए गए अनुरोध में कहीं भी यह नहीं लिखा गया था कि अफजल गुरु पर कार्यक्रम आयोजित किया जाने वाला है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वे एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना चाहते हैं। देश के विघटन के बारे में कोई बात राष्ट्रीय कैसे हो सकती है?