जिन्ना की दिक्कत यही थी। वे पाकिस्तान को मुस्लिम बहुल सेकूलर राष्ट्र के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन इस सफर में उन्होंने मजहबी वर्चस्व वाले समूहों के साथ समझौता कर लिया। जाहिर है, उनके लिए अपना मुकदमा कानून से ज्यादा अहम था। उनकी पैरोकारी ने पाकिस्तान को तो गढ़ दिया, पर उसकी विचारधारा के प्रति उनकी अपेक्षाकृत तटस्थता ने उन ताकतों के लिए जगह छोड़ दी जो जिन्ना के सेकूलर सपनों पर पानी फेरने को आमादा थी।
बेशक मुहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के कायदे आजम हैं। पाकिस्तान के हर सरकारी ऑफिस में उनकी तस्वीर लगाई जाती है। लेकिन उनकी एक तस्वीर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्वालय (एएमयू) में भी लगी हुई है।
तस्वीर एएमयू के स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी हुई है। इस बात का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है। आरटीआई में ये सवाल आलोक कुमार नाम के एक युवक ने पूछा है। लेकिन आरटीआई दाखिल होते ही एएमयू में जिन्ना की तस्वीर तलाशने का काम शुरु हो गया। क्योंकि खुद एएमयू के केन्द्रीय सूचना अधिकारी को भी ये नहीं मालूम था, कि आखिरकार जिन्ना की तस्वीर किस विभाग में लगी है।
जानकारों की मानें तो सूचना अधिकारी ने खुद एक-एक विभाग में जाकर विभागाध्यक्ष से तस्वीर के बारे में जानकारी मांगी। तब कहीं जाकर मालूम हुआ कि जिन्ना की तस्वीर स्टूडेंट यूनियन हॉल में लगी हुई है।
इस संबंध में जब यूनियन के निवर्तमान फैजुल हसन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिन्ना की तस्वीर यूनियन हॉल की दूसरी मंजिल पर बने एक हॉल में लगी हुई है। इस हॉल में करीब 30 से अधिक तस्वीरें लगी हुई हैं।