fbpx
पति की बेवफाई ने बनाया एक महिला को सफल व्यवसायी 2

पति की बेवफाई ने बनाया एक महिला को सफल व्यवसायी

कोलकाता के एक शिक्षक परिवार में जन्मी सुदेशना बनर्जी आज एक इंजीनियरिंग कंपनी की सर्वेसर्वा हैं और देश की कई नामी कंपनियों को सेवाएं दे रही हैं। एक सामान्य गृहणी से लेकर स्कूल टीचर तक और टीचर से आज तक, उनकी कहानी उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपना आत्मसम्मान बनाए रखकर जीना चाहती हैं।

सुदेशना ने पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रेमविवाह किया और शायद यही एक फैसला उनकी कामयाबी का राज है। शादी के बाद सुदेशना को पता चला कि उनके पति का उनके अलावा और भी कई महिलाओं से संबंध हैं। उनके पैरों के नीचे ज़मीन तो तब खिसक गई जब उन्हें पता चला कि उनकी ही एक सहेली के साथ भी नाजायज़ संबंध हैं और इस संबंध से उन दोनों का एक बच्चा भी है। इसके बाद बेऔलाद सुदेशना ने एक बड़ा फैसला लिया। अपने पति से तलाक ले लिया।

इस दौरान सुदेशना एक स्थानीय स्कूल में टीचर की नौकरी कर रही थीं। पति का साथ छोड़ने के बाद सुदेशना के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिर छुपाने के लिये एक छत की व्यवस्था करना था। सुदेशना ने काफी मशक्कत के बाद एक किराये का घर लिया और संघर्ष और मेहनत से भरा अपना सफर शुरू कर दिया।

उन दिनों को याद करते हुए सुदेशना बताती हैं, ‘‘उस जमाने में एक अकेली महिला को कोई किराये पर घर देने को तैयार नहीं था। मुझे स्कूल से 10 हजार रुपये की तनख्वाह मिलती थी और मकान का किराया देने के बाद कई बार महीने के आखिर में मेरे पास कुछ भी नहीं बचता था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और उन दिक्कत भरे दिनों में भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाए।’’

सुदेशना ने काॅलेज के दिनों में आॅटोकैड सीखा था और इसी दौरान उन्होंने स्कूल की नौकरी के बाद एक मित्र के संस्थान में कंप्यूटर सिखाने का पार्ट टाइम काम भी कर लिया। अपनी मेहनत के बल पर जल्द ही वे अपने मित्र के उस संस्थान में साझेदार हो गईं और उसका नाम बदलकर ‘डिजीटेक एचआर’ रख दिया। इस काम को करने के लिये उन्हें पूंजी की आवश्यकता थी जिसका इंतजाम उन्होंने अपने कुछ गहने बेचकर किया।

2

‘‘गहने होते ही इसलिये हैं कि मुश्किल समय में उनका उपयोग किया जा सके। हमारी कंपनी का मुख्य लक्ष्य आॅटोकैड और स्टाईप्रो ट्रेनिंग शुरू करना था और इस काम को पूरा समय देने के लिये मैंने टीचर की नौकरी भी छोड़ दी थी। जल्द ही हमारे सामने एक नया अवसर आया जब हमारे यहां से ट्रेनिंग ले चुके कुछ लोगों ने हमें सुझाव दिया कि हम अपने पास मौजूद कैड ड्राॅइंगों को हार्ड काॅपी से साॅफ्ट काॅपी में बदलें। इस तरह से हमने डिजिटाईज़ेशन की दुनिया में कदम रखा।’’

इंजीनियरिंग की प्राथमिक जानकारी न होने के बावजूद सुदेशना अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के बूते लगातार सीखती रहीं। मेहनत का फल सुदेशना को 2008 में मिला जब वे रायपुर एक ट्रेनिंग सेशन के सिलसिले में गईं और उन्हें स्टुवर्ट एण्ड लाॅयड नामक कंपनी के लिए ‘डिटेल्ड इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट’ तैयार करने का काम मिला।

‘‘मैंने इस प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये जी जान लगा दिया और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। कंपनी हमारे द्वारा किये गए काम से बहुत खुश हुई और इसके बाद हमें माॅनेट इस्पात, जिंदल स्टील एंड पाॅवर सहित कई बड़ी कंपनियों से ऐसी ही ट्रेनिंग सेमिनार करने के कॉन्ट्रैक्ट मिले।’’

1

2011 में सुदेशना के व्यवसासिक जीवन में एक और सुखद मोड़ आया जब उन्होंने अपनी कंपनी को प्राईवेट लिमिटेड कंपनी में बदलकर इसका नाम पीएस डिजीटेक एचआर कर दिया जिसमें पीएस का मतलब प्रोजेक्ट साॅल्यूशन था। इसी समय उनकी कंपनी एसीसी सीमेंट की माॅनीटरिंग पार्टनर बनी।

सुदेशना यहीं नहीं रुकी। अपनी कंपनी का विस्तार करते हुए विदेश का भी रुख किया। उन्होंने आॅस्ट्रेलिया और दुबई में प्रोजेक्ट हासिल किये। इसके अलावा उनकी कंपनी ने श्रीलंका में आई भयंकर सूनामी में तबाह हुई रेलवे लाइन को भी पूरा करने का प्रोजेक्ट हाथ में लिया और सफलतापूर्वक पूरा किया।

सुदेशना बताती हैं कि अब काम के सिलसिले में उन्हें महीने में 20 दिन के आसपास सफर करना पड़ता है। ‘‘मैं कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरपर्सन का पद संभाल रही हूँ और पूरी तरह से कंपनी के प्रति समर्पित हूँ। मार्च 2012 में हमारी कंपनी की सालाना आय लगभग डेढ़ करोड़ रुपये थी और मैं भविष्य में कंपनी के टर्नओवर को 60 करोड़ रुपये सालाना तक पहुँचाना चाहती हूँ।’’

सुदेशना मानती हैं कि उनकी सफलता का राज़ उनका पूर्व पति है। जिसे वो दिखाना चाहती है कि एक अकेली महिला भी तरक्की कर सकती है और दुनिया को जीत सकती है। इसके अलावा वे यह भी मानती हैं कि जीवन में आई दिक्कतों ने उन्हें आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करने के अलावा एक बेहतर इंसान भी बनाया।

3

अंत में सुदेशना कहती हैं कि, ‘‘चाहती तो मैं भी किसी तरह एक टीचर की नौकरी करते हुए अपना जीवन बिता सकती थी लेकिन मैं सिर्फ जीना ही नहीं चाहती थी बल्कि शान से जीना चाहती थी और आज मैं जहां हूँ मुझे लगता है कि मैं अपने मिशन में कामयाब रही।’’

source – Yourstory

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

बदलते मौसम में अक्सर हो जाती है गले में खराश, गर्मियों में ये उपाय करें! क्या आप भी अपने बच्चे की स्किन पर white patches देख कर हैं परेशान,जानिए इसकी वजह! चीनी को कर दें ना, वर्ना हो सकता है बहुत बड़ा नुक्सान ! पूरी बनाने के बाद, अक्सर तेल बच जाता है,ऐसे में महंगा तेल फैंक भी नही सकते और इसका reuse कैसे करें! रक्तदान है ‘महादान’ क्या आपने करवाया, स्वस्थ रहना है तो जरुर करें, इसके अनेकों हैं फायदे! गर्मियों में मिलने वाले drumstick गुणों की खान है, इसकी पत्तियों में भी भरपूर है पोषण! क्या storage full होने के बाद मोबाइल हो रहा है हैंग, तो अपनाएं ये तरीके!