बच्चे की पहली शिक्षा घर से ही शुरू होती है। उनके पहले गुरु माता-पिता होते हैं। अच्छी बातें,अच्छे संस्कार आप बचपन से ही उनमे डाल सकते हो। कहा भी गया है-कच्ची मिटटी को आप किसी भी तरह का आकर देकर मनचाही चीज बना सकते हो,उसी तरह बचपन में ही अपने बच्चे को आप अच्छे संस्कार दे सकते है।
हर माता-पिता की दिल की तमन्ना होती है कि उसका बच्चा पढ़ लिख कर अच्छा इंसान बने।बच्चा स्कूल में तो दूसरे बच्चों के साथ मिलकर काफी कुछ सीख-पढ़ लेता है,लेकिन घर पर उसे पढ़ाना थोड़ा मुश्किल है।
आमतौर पर मां-बाप को पता ही नहीं होता कि बच्चे को पढ़ाने का सही तरीका क्या है?उन्हें लगता है कि बच्चे को डांट देना या मार देना ही एक विकल्प है ताकि डरकर वह पढ़ाई करने लगे।लेकिन सवाल है कि क्या वाकई यह सही तरीका है।
बिल्कुल नहीं! बच्चे को डराकर आप उसे अपने सामने तो पढ़ने के लिए मजबूर कर सकते हैं लेकिन आपकी नजर हटते ही वह पढ़ाई को बोझ समझकर टाल देगा।
बच्चों के साथ सख्ती बरतना ठीक नही।बच्चे को अगर आप मारकर पढ़ाते है तो धीरे-धीरे आपका बच्चा मार खाने का आदि हो जाएगा और फिर आपका बच्चा आपसे डरेगा भी नही,न ही बात मानेगा।
बच्चों को पढ़ाने से पहले यह जान लें कि इस काम में आपको धैर्य की आवश्यकता है।बच्चा आपसे एक ही सवाल कई बार करेगा और आपको उसे समझाना पड़ेगा।
इसके अलावा बच्चे को पढ़ाने के दौरान इन बातों का भी खास ख्याल रखें:
अगर बच्चा बहुत छोटा है तो उसे खेल खेल में,रंगीन तस्वीरों वाली किताब, कविताओं वाली किताब या फिर कविताओं वाले वीडियो की मदद से सिखाने की कोशिश करें।
बच्चों के साथ सख्ती बरतने का एकमात्र विकल्प नहीं मानें। बच्चों को अलग-अलग तरीके से समझाने की कोशिश करें। वे जिद्द कर सकते हैं लेकिन एक बार उनके मन से मार या डांट का डर निकल गया तो वे बात भी नही मानेंगे।
बच्चे को घर में बांधकर मत रखें, कुछ समय उनको खेलने के लिए दें, बच्चे के साथ समय बिताएं, उन्हें पार्क में ले जाएँ।
बच्चों के साथ जानकारी भरी बातें करे। उनके सवालों का तार्किक जवाब देने की कोशिश करें।सुनकर कोई भी चीज ज्यादा जल्दी समझ आती है
बच्चे को कभी भी दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने डांटे नही इससे उनके दिमाग पर बुरा असर पड़ता है।
बच्चा कोई भी बात आपको बताये, उसे नजरअंदाज न करें, धैर्यपूर्वक सुने और सहजता से जवाब दें।