तापमान के अब तक के आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल 2014 में तापमान को लेकर बना रिकॉर्ड टूटने के साथ ही यह अवधारणा भी ध्वस्त हो जाएगी कि ग्लोबल वार्मिंग में ठहराव आने की स्थिति बनी हुई है। दुनियाभर के बढ़ते तापमान के आंकड़ों में ध्यान देने की बात है कि 1880 में वैश्विक तापमान के आंकड़े जुटाने की शुरुआत से सबसे गर्म तीन साल (2015, 2014 और 2010) पिछले पांच सालों में रहे हैं
मौसम संगठन का कहना है कि इस साल कार्बन उत्सर्जन भी रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा है। पिछले साल यह 400 पीपीएम के स्तर पर था, जो इस साल बढ़कर 481 पीपीएम तक पहुंच गया है। यह बताता है कि स्थितियां लगातार बदतर हो रही हैं।
सर्दी ने दस्तक दे दी है, आने वाले दिनों में यह और बढ़ सकती है। लेकिन विश्व मौसम संगठन के आंकड़े इस नतीजे पर पहुंच रहे हैं कि 2015 इतिहास का सबसे गरम साल होने जा रहा है। इस साल न सिर्फ धरती और वायुमंडल का, बल्कि समुद्र का तापमान भी सबसे ज्यादा बढ़ा है।
इतना ही नहीं अब तक के 10 सबसे गर्म साल भी 2000 के बाद के ही हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये आंकड़े ग्लोबल वार्मिंग की भयावहता दर्शाने के लिए काफी है। इस स्थिति ने जलवायु परिवर्तन पर इस साल दिसंबर में पेरिस में होने जा रही अंतरराष्ट्रीय बैठक के महत्व को और बढ़ा दिया है।
दुनिया में 1880 से हर साल के तापमान का रिकॉर्ड रखा जा रहा है, 130 साल के इतिहास में सबसे गरम साल साबित हो सकता है। ये इशारा है कुदरत के उस गुस्से का जिसकी वजह से दुनिया में बारहोमासी मौसम एक जैसा होने की तरफ बढ़ रहा है। यानी मई-जून, दिसंबर-जनवरी हर महीने में दुनिया एक जैसी होगी। ऐसा हुआ तो गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे।