अक्सर देखा गया है कि माएं बच्चों से कहती हैं कि मेरे होते हुए तुम्हें काम करने की क्या जरूरत? इस बात का आदि हो चुका आपका बच्चा काम से जी चुराने लगता है तो उसे आप कामचोर कहने लगती हैं।
कई माएं लड़के-लड़की में भेद करते हुए कहती हैं कि यह काम लड़के नहीं करते, लड़कियां करती हैं। कई बार माएं सजा के तौर पर काम कराती हैं,जैसे कि पढ़ नहीं रहे हो तो चलो सफाई करो, किचन में हेल्प करो आदि।
बच्चे को काम बताएं और बार-बार टोकें नहीं कि गिर जाएगा या तुमसे होगा नहीं। बड़ों से भी चीजें गिर जाती हैं। बार-बार टोकने से बच्चे का आत्मसम्मान और इच्छा दोनों खत्म हो जाती हैं। इसके बजाय उसे प्रोत्साहित करें।
बच्चे से पानी मंगवाएं। थोड़ा बड़ा होने पर चाय बनवाएं। सबसे सामने उसकी तारीफ करें कि वह कितनी अच्छी चाय बनाता है। इससे घर के कामों में उसकी दिलचस्पी बनने लगती है क्योंकि आज के वक्त में यह जरूरत बन गई है।
बच्चे टीचर्स की बातें मानते हैं। टीचर से बात करके टिफिन में ज्यादा और पौष्टिक खाना पैक कर सकते हैं, ताकि वह स्कूल में खा ले। ‘दूसरों के सामने बार-बार शान से यह न कहें कि मैं अपने बच्चे से घर का कोई काम नहीं कराती। इससे उसे लगेगा कि घर का काम नहीं करना शान की बात है।
अगर आपका बच्चा हेल्थी खाने से बचे …
अक्सर मां को लगता है मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं है। वह जबरन उसे खिलाने की कोशिश करती है। अगर वह हेल्दी खाना नहीं खाना चाहता तो मां उसे मैगी, पिज्जा, बर्गर आदि खिला देती है। उसे लगता है कि इस बहाने वह कुछ तो खाएगा।
छोटे बच्चों को खाने में क्रिएटिविटी अच्छी लगती है इसलिए उनके लिए जैम, सॉस आदि से डिजाइन बना दें। सलाद भी अगर फूल, चिड़िया, फिश आदि की शेप में काटकर देंगे तो वह खुश होकर उसे भी खा लेगा।
इस डर से कि खा नहीं रहा है, तो कुछ तो खा ले, नूडल्स, सैंडविच, पिज्जा जैसी चीजें बार-बार न बनाएं। वरना वह जान-बूझकर भूखा रहने लगेगा और सोचेगा कि आखिर में उसे पसंद की चीज मिल जाएगी। भूख लगेगी तो बच्चा नॉर्मल खाना खा लेगा।
बच्चे को हर वक्त जंक फूड खाने से न रोकें। उसके साथ बैठकर तय करें कि वह हफ्ते में एक दिन जंक फूड खा सकता है। इसके अलावा, दोस्तों के साथ पार्टी आदि के मौके पर इसकी छूट होगी।
नहीं खाना है’, कहने के बजाय उसे समझाएं कि ज्यादा जंक फूड खाने के क्या नुकसान हो सकते हैं। logic देकर समझाने से वह खाने की जिद नहीं करेगा।
पैरंट्स खुद भी जंक फूड न खाएं। इसके अलावा, जिस चीज के बारे में एक बार कह दिया कि इसे खाना गलत है, बाद में किसी बात से खुश होकर बच्चे को उसे खाने की छूट न दें।
एक-आध दिन नूडल्स जैसी चीजें शामिल कर सकते हैं। अगर बच्चा रूल बनाने में शामिल रहेगा तो वह उन्हें फॉलो भी करेगा। यह काम तीन-चार साल के बच्चे के साथ भी बखूबी कर सकते हैं। कभी-कभी बच्चे की पसंद की चीजें बना दें लेकिन हमेशा ऐसा न करें। पसंद की चीजों में भी ध्यान रहे कि पौष्टिक खाना जरूर हो।
अगर बच्चे को कुछ सिखा नहीं पा रहे हैं या कुछ दे नहीं पा रहे हैं तो यह न सोचें कि एक टीचर या पेरेंट्स के नाते हम फेल हो गए हैं। बच्चों के फ्रेंड्स बन कर आप उन्हें अच्छी तरह समझा सकते हैं,घर में ही दोस्त मिल जाएँ तो वो आपसे हर बात बतायेंगे।