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गुजरात विधानसभा चुनाव 2017: क्या गुजरात में फिर चलेगा मोदी का जादू? 2

गुजरात विधानसभा चुनाव 2017: क्या गुजरात में फिर चलेगा मोदी का जादू?

क्या इस बार भी गुजरात में चलेगा,मोदी का जादू?

गुजरात विधानसभा चुनाव 2017, गुजरात में घूमने पर पता चलता है कि अधिकतर लोगों के बीच अभी यही दुविधा है। वे बीजेपी सरकार से नाराज हैं।बीजेपी के खिलाफ पूरा माहौल है, लेकिन फिर भी लोगों को मोदी जी पर भरोसा है। वह बताते हैं कि लोग अभी तक नहीं भूले हैं कि कांग्रेस शासन में किस तरह दंगे होते थे। धंधा रुकता था। फसाद से डर लगता था।

अब वह नहीं होता है। वह बताते हैं कि उन्हें याद है कि किस तरह अहमदाबाद में पाकिस्तान के मैच जीतने पर रैली निकलती थी। बात-बात पर गोली चलती थी, लेकिन अब वह सालों से शांत है।  22 साल की सत्ता विरोधी लहर की भी बात है। जातिगत आंदोलन की चर्चा जोरों पर है। जीएसटी-नोटबंदी की मार का असर है, लेकिन इनके बीच मोदी से इमोशनल कनेक्शन है। कांग्रेस से पुराने अनुभव अच्छे नहीं हैं।

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पीएम मोदी की 27 नवंबर से शुरू होने वाली हैं रैलियां:

ऐसे में वोटर मोदी के 12 साल के शासन को याद रखेंगे या पिछले तीन सालों को, यह सबसे बड़ा सवाल है। फिलहाल इलाके में वोटिंग दिन से अधिक 27 नवंबर का इंतजार है। पक्ष हो या विपक्ष, सभी को पीएम मोदी की 27 नवंबर से शुरू होने वाली रैलियों का इंतजार है।

modi gujarat chunav

दरअसल इस चुनाव में भी बीजेपी मोदी के सहारे ही जीत का सफर जारी रखना चाहती है। पूरा चुनाव उनके नाम पर ही लड़ा जा रहा है। पोस्टर से लेकर पंपलेट तक पर मोदी की ही बड़ी तस्वीर लगी है। सिर्फ उनके और उनके किए काम के नाम पर वोट भी मांगे जा रहे हैं। बीजेपी मीडिया सेंटर में एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘एक बार मोदीजी को सामने आने दीजिए, 150 सीटें से तो कम नहीं आएंगी।’

कांग्रेस पार्टी को दूर से कहीं जीत की आहट दिख रही है:

22 सालों बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी को दूर से कहीं जीत की आहट दिख रही है। माहौल और समीकरण भी उसके पक्ष में हैं। राहुल की सभा में भीड़ भी आ रही है। लोग उनकी सुन भी रहे हैं। यूथ कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि इस बार इतना बदलाव तो आया कि लोग जनसंपर्क अभियान में उनकी बात सुन रहे हैं, वरना पिछले चुनावों में तो वे कांग्रेस को सुनना भी पसंद नहीं करते थे।

rahul gandhi 2017

कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या यह है कि भले वह राज्य में चर्चा के केंद्र में खुद को लाने में सफल रही हो, लेकिन अगर उन्हें मुकाबले में आना है तो सबसे पहिले बुनियादी जरूरत है कि वोटर को विश्वास दिलाना होगा कि वह जीतने की स्थिति में है।

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तभी वोटरों को अपने पक्ष में करने में पार्टी सफल हो सकती है। अगले पंद्रह दिन क्या मोदी अपने करिश्मे से अपने वोटरों की नाराजगी को दूर करते हैं और कांग्रेस वोटरों को कितना विश्वास दिलाने में सफल होती है,इनसे ही गुजरात चुनाव का नतीजा पता चल जाएगा।

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