धूल रहित थ्रेसर: अनूठा उपाय प्रदूषण के खिलाफ
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले की बेटी, पूजा, ने अपनी मेहनत और संघर्ष से कबाड़ से जुगाड़ कर एक अनूठा थ्रेसर बनाया है। इस थ्रेसर की खासियत यह है कि वह गेहूं कटाई के दौरान उत्पन्न होने वाली धूल और मिट्टी को अलग कर सकता है, जिससे प्रदूषण की समस्या को कम किया जा सकता है।
IIT दिल्ली के वैज्ञानिकों की सराहना
पूजा के द्वारा बनाए गए इस अनोखे थ्रेसर के मॉडल ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली के वैज्ञानिकों की भी प्रशंसा पाई है। इस उपलब्धि ने न केवल पूजा की मेहनत को महत्वपूर्ण बनाया है, बल्कि यह दिखाता है कि छोटे से गाँव की बेटियाँ भी अपने काम में महानता प्राप्त कर सकती हैं।
मजदूरी के बीच उभी रही मेहनत
पूजा की कहानी उसके माता-पिता की मजदूरी में बड़े होने की एक अद्भुत उदाहरण है। उनके पिता, पुत्तीलाल, मजदूरी काम करते हैं जबकि मां, सुनीला देवी, मिड डे मील कार्यक्रम में शामिल हैं।
सपने में ही जाना था IIT दिल्ली
पूजा का सपना है कि वह IIT दिल्ली में अध्ययन करे। उसकी उम्र केवल 14 वर्ष है और वह कक्षा 8 में पढ़ रही है, लेकिन उसका निरंतर प्रयास और मेहनत उसे उसके लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करेंगे।
गुरु की प्रेरणा
पूजा की उपलब्धि में उनके विज्ञान शिक्षक, राजीव श्रीवास्तव, की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने पूजा की प्रतिभा को पहचाना और उसे IIT दिल्ली के विज्ञानिकों के सामने प्रस्तुत किया।
नेक प्रयासों का परिणाम
पूजा ने कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने आत्म-विश्वास को कम नहीं किया और नेक प्रयासों के बावजूद एक अनोखा थ्रेसर बनाया। उसकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उसे यह महत्वपूर्ण सफलता दिलाई है।
समर्पण से सफलता की ओर
पूजा का सपना IIT दिल्ली में पढ़ाई करने का है और उसके लिए यह एक बड़ा कदम हो सकता है। उसकी मेहनत, संघर्ष और आत्म-संजीवनी भावना उसे उसके लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करेंगे।
पूजा की कहानी हमें यह सिखाती है कि समर्पण, मेहनत, और लगन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। छोटे से गाँव से निकलकर IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में पढ़ना वाकई गर्व की बात होगी ।
इस अनोखे कबाड़ से बनाए गए थ्रेसर के सफल प्रयासों की कहानी हमें प्रेरित करती है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और आत्म-समर्पण से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
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