हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों से हिन्दुओं को ही बेदखल करने का हिन्दुओं के त्योहारों पर पर प्रतिबन्ध लगाने का कुचक्र निरंतर जारी है और समय समय पर ऐसी घटनाएँ सामने आती रहती हैं. आखिर हम किस युग में जी रहे हैं हिंदुस्तान में या मुग्लिस्तान में। हिंदुस्तान में ही हिन्दुओ को पूजा पाठ करने से बंचित किया जा रहा है।
हिन्दुओं के अधिकार अस्वीकृत करने वाले धर्मांध अभी तक के शासनकर्ताओं द्वारा की गई उनकी चापलूसी के कारण ही हिन्दुओ के साथ उद्दंडता से व्यवहार करने का दु:स्साहस रखते हैं। इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु शासन सत्ता को हर प्रकार की तुष्टिकरण की नीति को त्याग कर अपराधियों और मज़हबी आक्रान्ताओं को कठोर दंड देना आवश्यक हो गया है।
28 दिसंबर को कल्याण में शिवसेना की टिळक चौक शाखा में शिवसेना द्वारा पत्रकार परिषद आयोजित की गई थी। पत्रकार परिषद् में शिवसेना के कल्याण जिला प्रमुख श्री. गोपाळ लांडगे ने कहा कि, ‘कल्याण के निकट श्री मलंगगड पर पुनः एक बार हिन्दुओं के पूजा पाठ पर प्रतिबन्ध लगाने का काम शुरू हो चूका है।
हिन्दुओ को पूजा आरती बंद करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि कल्याण के किले दुर्गाडी पर स्थित देवी का मंदिर हिन्दुओं का है, लेकिन दहशतगर्दों द्वारा वहां दहशत फैलाई जा रही है। इस संदर्भ में पुलिस की ओर परिवाद प्रविष्ट किया गया है; पुलिस ने यदि कार्रवाई नहीं की, तो शिवसेना की पद्धति से उत्तर देंगे।
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उन्होंने कहा कि अब मलंगगड पर केवल वर्ष में एक बार ही बल्कि प्रतिमाह महाआरती करने का निर्णय लिया गया है। पत्रकार परिषद के लिए शहर प्रमुख श्री विश्वनाथ भोईर, श्री दिनेश देशमुख, महिला अघाडी की श्रीमती विजया पोटे, परिवहन भूतपूर्व सभापती श्री रवींद्र कपोते, श्री दीपक सोनाळकर आदि उपस्थित थे।
श्री. लांडगे ने आगे कहा कि हाजी मलंग बाबा ट्रस्ट के ‘लेटरहेड’पर एक प्रसिद्धी पत्रक प्रकाशित किया गया था। उसमें ऐसा लिखा गया है कि, ‘उस स्थान पर हिन्दू संघटनाएं उपस्थित रहती हैं। आरती करती हैं। अतः हिन्दु-मुसलमानों में अनबन पैदा की जा रही है। हिन्दू गढ़ पर आकर आरती न करें। यदि आरती की, तो इसका कुछ भी अंजाम हो सकता है।
इसके विरोध में हिल लाईन पुलिस थाने में शिवसेना द्वारा शिकायत दर्ज कराई गयी है। साथ ही उल्हास नगर पुलिस उपायुक्त से भेंट कर कार्रवाई की मांग की है; किंतु पुलिस ने कुछ भी कार्रवाई करने की बजाय सिर्फ आश्वासन दिया है।
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श्री. गोपाळ लांडगे ने आगे कहा कि, कल्याण के दुर्गाडी को सर्वोच्च न्यायालय ने मंदिर का स्तर देकर ऐसा निर्णय किया कि, ‘यह हिन्दुओं का मंदिर है !’ मंदिर की पीछे की दिवार के पीछे वर्ष में दो बार मुसलमान नमाज पढ़ते हैं। इस समय उस स्थान पर हिन्दुओं को प्रवेश करने के लिए प्रतिबंध लगाया जाता है। साथ ही मंदिर में आरती के लिए भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है !
मुसलमानों द्वारा लगाया जा रहा यह प्रतिबंध अवैध है। सरकार ने मंदिर का क्षेत्र वक्फ बोर्ड के अधिकार में दिया। मुसलमानों का आना-जाना नहीं होने के कारण मंदिर का क्षेत्र वक्फ बोर्ड का नहीं हो सकता। फिर भी वक्फ बोर्ड ने कल्याण न्यायालय में यह क्षेत्र वक्फ बोर्ड के अधिकार में देने का परिवाद प्रविष्ट किया है।
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यह परिवाद वर्ष १९७६ से कल्याण न्यायालय में न्यायप्रविष्ट है। उसकी सुनवाई आगामी २ जनवरी को होगी। शिवसेना ने भी न्यायालय के पास ऐसी मांग की है कि, ‘यह क्षेत्र हिन्दुओं के आने-जाने का होने के कारण वक्फ बोर्ड के अधिकार में न दें !’
साथ ही शिवसेना ने ऐसी भी मांग की है कि, ‘ हिन्दू आरती कर धर्म में अनबन निर्माण नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें आरती का अधिकार अस्वीकृत करनेवाले लोग ही समाज में अनबन निर्माण कर रहे हैं। उसका प्रबंध पुलिस ने करना चाहिए !’ दुर्गाडी किले की हानि भी की गई है। उसकी मरम्मत एवं देखभाली का कार्य आरंभ किया गया है।