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पहले खेला, फिर खेल-खेल में बनाने लगे वीडियो गेम्स 2

पहले खेला, फिर खेल-खेल में बनाने लगे वीडियो गेम्स

बचपन की यादें सबसे ख़ास होतीं हैं । स्कूल में मिला होमवर्क हो या फिर छोटी- छोटी शरारतों पर माता-पिता की डांट , दोस्तों के साथ ढेर सारी मस्ती करनी हो या फिर गली-मोहल्ले में वक्त-बेवक्त खेलना हो । ये सभी वो पल हैं जिन्हें कोई कभी नहीं भूलता। समय के बदलने के साथ वीडियो गेम्स से बच्चों ने दोस्ती कर ली । टीवी पर वीडियो गेम खेलने के प्रति बच्चों में एक क्रेज़ होता है जिसे वो कभी भी भूल नहीं पाते । लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वीडियो गेम खेलने वाले एक शख़्स को इससे इतना प्रेम हो जाएगा कि वह इसमें ही अपने

कैरियर की संभावनाओं को तलाशना शुरू कर देता और खड़ी कर देता है अपनी एक कंपनी । वीडियो गेम खेलते- खेलते इस शख़्स ने उसे अपनी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बना लिया और आज महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर में बैठकर वो दुनिया को अपने गेम्स का दीवाना बना रहा है । हम बात कर रहे हैं नासिक के रहने वाले अनूप सरोदे की, जो अपने जुनून और आत्मविश्वास के दम पर लोगों के सामने खुद का बनाया Xaxistarts नाम का गेम लाने में सफल रहे ।

गेम्स के प्रति लगाव

खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब

gजी हां भारत के हर बच्चे को उसके बचपन में ये कहावत तो जरूर सुनाई जाती है लेकिन अनूप ने इस कहावत को दूसरे ही नज़रिए से देखा , खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब पर विश्वास करने वाले अनूप सरोदे का बचपन वीडियो गेम्स के बीच ही गुजरा था । उन्हें बचपन में वीडियो गेम्स खेलने का बेहद शौक था । उस वक्त के प्रचलित गेम्स सुपर मारियो , कॉन्ट्रा, डंकी कॉग , पोपये , टैंक , डक हंट और अलादीन ये सभी वीडियो गेम्स उनके बचपन का हिस्सा थे । उस वक्त इन सभी गेम्स को खेलने के लिए एक विशेष प्रकार का बॉक्स और कैसेट्स मिला करते थे । अनूप के पास ऐसे 15 कैसेट्स हुआ करते थे जिनमें 200 से भी ज्यादा मज़ेदार गेम्स का कलेक्शन उनके पास था । अपने दोस्तो के बीच में वो इन गेम्स कलेक्शन की वजह से मशहूर भी थे ।

महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक बहुत ही छोटे से कस्बे से आने वाले अनूप के जीवन में वीडियो गेम काफी मायने रखता था । जैसे – जैसे समय बीतता गया इन गेम्स का स्तर भी बढ़ने लगा और अनूप नए गेम्स के प्रति भी आकर्षित होने लगे । वो याद करते हुए बताते हैं कि उनके माता-पिता उनके इस रुचि के बीच कभी बाधा नहीं बने बल्कि उन्होंने उनका उत्साहवर्धन ही किया । अनूप के 17वें जन्मिदन पर उन्हें उनकी माता ने पर्सनल कंप्यूटर तोहफे के रूप में दिया तो उनका कंप्यूटर गेम्स के प्रति लगाव बढ़ गया । रोड रैश , क्वेक – 3 और मिडटाउन मैडनेस ये सभी वो कंप्यूटर गेम्स थे जो अनूप अपने कंप्यूटर पर खेला करते थे ।

Xaxistarts का जन्म

a1वक्त के साथ अनूप बड़े होने लगे और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेना पड़ा । यहां पर उनका सामना एक बार फिर कंप्यूटर से हुआ । अब अनूप कंप्यूटर की दुनिया की बारीकियों को समझने का नया खेल सीख रहे थे । हालांकि अनूप का मन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में कम लग रहा था जिसके कारण वो पहले साल में अनुत्तीर्ण भी हो गए लेकिन इस बीच उन्हें एक बात का विश्वास हो गया था कि उनको गेम्स की दुनिया से प्यार हो गया । अनूप ने अब अपना भविष्य गेमिंग की दुनिया में बनाने का निर्णय कर लिया था । वो गेम प्रोगामर के तौर पर अपने आपको स्थापित करना चाहते थे । इसी जुनून को मन में ठानकर उन्होंने 2007 में कंप्यूटर लैंग्वेज सी , सी प्लस और जावा में महारत हासिल कर ली । जब वह इंजीनियरिंग कोर्स के अंतिम वर्ष में थे तो उन्होंने जॉब के लिए विभिन्न गेमिंग कंपनियों में एप्लाई किया । इन्हीं में से कंपनी थी गेमसाफ्ट । अनूप इस गेमसॉफ्ट में जब जॉब के लिए एप्लाई करने गए तो उन्हें जानकर निराशा हुई कि उस कंपनी में सभी वैकेंसी भर चुकीं थीं । लेकिन अनूप ने हिम्मत नहीं हारी और कोडवाला नाम की एक दूसरी कंपनी में जॉब के लिए एप्लाई किया । कोडवाला में अनूप का सेलेक्शन हो गया और अनूप यहां पर गेम प्रोग्रामर के तौर पर काम करने लगे । इस कंपनी में काम करने के दौरान ही अनूप को महसूस हुआ कि वह गेम की दुनिया में कुछ नया कर सकते हैं और इसी सोच के साथ उन्होंने कोडवाला कंपनी से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र रूप से अपना काम करने लगे ।

Xaxistarts की टीम

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अनूप ने कई कंपनियों में काम करने के दौरान अपने रिश्ते अच्छे लोगों से काफी मजबूत कर लिए थे । उन्होंने कई गेमिंग स्टूडियोज से संपर्क कर लिया था और इसका फायदा उन्हें तब हुआ जब उन्होंने अपना स्वतंत्र काम करना शुरू किया । नासिक अपने शहर वापस आकर अनूप ने Xaxistarts नामक की अपनी एक कंपनी खोल ली । उनके पास जितने भी पैसे थे उसी से ही उन्होंने अपनी कंपनी का काम शुरू कर दिया था और Xaxistarts को एक विश्व स्तर की गेम कंपनी के तौर पर खड़ा करने लगे । अनूप बताते हैं कि दिसंबर 2012 तक उनकी कंपनी में सिर्फ दो लोग ही थे । एक स्वयं वह जिसका काम था गेम से संबंधित प्रोग्रामिंग करना जबकि दूसरे उनके खास दोस्त व जाने माने 2डी आर्टिस्ट परशुराम कोराडे जिनका काम था गेम से संबंधित सभी आर्ट वर्क देखना। दुर्भाग्यवश निजी कारणों की वजह से कुछ ही महीनों में अनूप व परशुराम अलग हो गए । हालांकि इससे कंपनी को कोई नुकसान नहीं हुआ ।

धीरे-धीरे काम शुरू करने के बाद 16 महीने बाद Xaxistarts ने अपना एक गेम मार्केट में उतारा । इस गेम का नाम था रोलिंग-ज़िमरो । ये एक बहुत ही तेज व बेहतरीन तकनीकि के साथ लैस था । Xaxistarts कंपनी में अन्य लोगों का मानना था कि बाजार में नया गेम लाने के बाद लोगों को उसे फ्री में देना चाहिए जिससे उसकी पॉपुलरिटी बढ़ जाए लेकिन अनूप इस सोच के विपरीत राय रखते थे । गेम का मूल्य 1.99 डालर रखा गया। अनूप का मानना था कि जिसे भी ये गेम अच्छा लगेगा वो इसकी कीमत देने में जरा सी भी देर नहीं करेगा । गेम की पॉपुलरिटी के बारे में अनूप बताते हैं कि बिना एक पैसा मार्केटिंग में खर्च किए ये गेम लोगों के बीच बहुत पॉपुलर हो रहा है । जिन लोगों ने इस गेम को डाउनलोड किया है उनके फीडबैक से Xaxistarts कंपनी उत्साहित है ।

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Xaxistarts कंपनी ने दावा किया है कि लोगों से मिलने वाली सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद कंपनी इस गेम का एंड्रायड वर्जन कुछ ही समय में बाजार में लेकर आ रही है । इसके बाद लोग आसानी से इसे अपने मोबाइल पर भी डाउनोलोड करके इसका आनंद उठा सकेंगे । अनूप कहते हैं कि Xaxistarts टीम का भरोसा है कि उनके बनाए गेम मार्केट में लोगों के द्वारा पसंद किए जाएंगे और अभी तक के उनके अनुभव से Xaxistarts कंपनी उत्साहित है । खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नवाब के अपने कांसेप्ट को किस तरह से एक युवक ने अपने जुनून व जिद्द से साकार किया इसे आपने जाना । अनूप का मानना है कि हर वो काम जो आपको हमेशा से ही अपनी ओर आकर्षित करता हो उसमें अपना 100 परसेंट दिया जाए तो आप उस काम को सफलतापूर्वक एक नई ऊंचाई तक ले जा सकते हैं । अनूप सरोदे का ये आत्मविश्वास व कुछ कर सकने के जुनून से लाखों युवकों को प्रेरणा ही मिलती है ।

Source – Yourstory

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