परंपरा के नाम पर अत्याचार, इन देशों में अब भी जारी है महिला खतना
गर्मी की छुट्टियों से लोगों की खुशनुमा यादें जुड़ी होती हैं, लेकिन मिस्र में ऐसा नहीं है। यहां गर्मी की छुट्टियां आते ही लड़कियों की बेचैनी बढ़ गई है। उन्हें खतने का डर सता रहा है। दरअसल, मिस्र में गर्मी की छुट्टियों के दौरान ही खतना किया जाता है, ताकि लड़कियों की सेहत सुधरने का वक्त मिल जाए।
आमतौर पर 9 से 12 साल की उम्र में ही लड़कियों का खतना कर दिया जाता है। सरकार की ओर से मई में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र में 92 फीसदी शादीशुदा महिलाएं खतना की प्रक्रिया से गुजर चुकी है। 2000 में ये आंकड़ा 97 फीसदी था। यूएन के आंकड़ों के मुताबिक, इस प्रक्रिया से गुजरने वाली सबसे ज्यादा महिलाएं मिस्र की हैं।
फ्रेंच गुयाना
दक्षिण अफ्रीकी देश गुयाना को आधिकारिक तौर फ्रेंच गुयाना के नाम से जाना जाता है। यहां खतना गैरकानूनी है, इसके बावजूद दुनिया में खतने के मामले में यह दूसरे नंबर पर है। 2005 के एक सर्वे के मुताबिक, 15 से 49 साल की 96 फीसदी महिलाएं खतना की प्रक्रिया से गुजरीं। इसके लिए यहां धर्म या क्षेत्र का कोई भेद नहीं है।
माली
दक्षिण अफ्रीका में स्थित माली में भी खतना परंपरा आम है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक, माली में 2006 में 15-49 साल की उम्र की 85.2 फीसदी महिलाएं इस प्रक्रिया से गुजरीं। वहीं, 2007 की एक रिपोर्ट में यह आंकड़ा करीब 92 फीसदी देखा गया। यहां के सोनरई, तामाचेक और बोजो लोगों में ही इसका आंकड़ा कम है। माली में 64 फीसदी महिलाएं एफएमजी को धार्मिक दृष्टि से जरूरी मानती हैं। यहां इसके खिलाफ अब तक कोई सख्त कानून भी नहीं है।
एरिट्रिया
दक्षिण अफ्रीकी देश एरिट्रिया में सरकार की ओर से 2003 में जारी रिपोर्ट में FGM की दर 89 फीसदी बताई गई थी। यहां भी ग्रामीण इलाकों में धार्मिक दृष्टि से इसे जरूरी माना जाता है। ये मुस्लिम और ईसाई, दोनों ही धर्मों में प्रचलित है। मार्च 2007 में सरकार ने इसके खिलाफ कानून बनाया गया। इसके तहत जुर्माने से लेकर कैद तक की सजा का प्रावधान है।
सोमालिया
सोमालिया में करीब 80 से 98 फीसदी महिलाओं का खतना होता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 2005 की अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि सोमालिया में 97.7 फीसदी महिलाएं और लड़कियां खतने की प्रक्रिया से गुजरीं। वहीं, यूनिसेफ ने भी अपनी रिपोर्ट में सोमालिया में खतने की दर को दुनिया में सबसे ज्यादा बताया था। अगस्त 2012 में संविधान के आर्टिकल 15 में खतना पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन इस पर रोक नहीं लग पाई है।
जिबूती
मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी वाले जिबूती में 93 फीसदी से 98 फीसदी महिलाओं का खतना होता है। यूनिसेफ की 2010 की रिपोर्ट में जिबूती को दुनिया का दूसरा ऐसा देश बताया गया था, जहां तीसरे स्तर के खतने की दर बहुत ज्यादा है। हालांकि, यहां के मौलवी भी इस प्रक्रिया को लेकर दो धड़ों में बंटे हैं। देश में इसके खिलाफ सख्त कानून है, जिसके तहत दोषी पाए जाने पर पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान भी है।
बुर्किना फासो
बुर्किना फासो को बुर्किना और आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ अपर वोल्टा के नाम से जाना जाता है। इस छोटे से देश की आबादी डेढ़ करोड़ से थोड़ी ज्यादा होगी। खतना यहां की संस्कृति में शामिल है। डब्ल्यूएचओ ने 2006 की अपनी रिपोर्ट में यहां खतने की दर 72.5 फीसदी बताई गई थी। 1996 में देश में इसके खिलाफ कानून बनाया गया, जो फरवरी 1997 से लागू है।
सूडान
सूडान मुस्लिम बहुल देशों में से है। यहां खतने की दर 90 फीसदी है। हालांकि, यहां के कुछ राज्यों में इसके खिलाफ कानून है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है। यहां सबसे खतरनाक माने जाने वाले तीसरे स्तर के खतने पर 1925 दंड संहिता के तहत प्रतिबंध है, लेकिन कम खतरनाक तरीकों को मंजूरी मिली हुई है। इसका विरोध करने वाले कुछ एनजीओ, धार्मिक संगठन और मीडिया पिछले 50 साल इस परंपरा को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
चाड
चाड भी एक अफ्रीकी देश है। यहां एजीएम को लेकर पहला सर्वे 2004 में हुआ था, जिसमें इसकी दर 45 फीसदी सामने आई थी। ये देश के सभी हिस्सों में प्रचलन में है। आंकड़े बताते हैं कि यहां कम से कम 60 फीसदी महिलाएं इस प्रक्रिया से गुजरती हैं, चाहे वो मुस्लिम हों या ईसाई। देश में इसके लिए अलग से कोई कानून नहीं है।