डेंगू या ‘हड्डी तोड़ बुखार’ विषाणु के द्वारा होता है। यह विषाणु एडीज इजीप्टी नाम के मच्छर के काटने से शरीर के अंदर प्रवेश करता है। इस प्रकार के मच्छर बरसात के दिनों में कृत्रिम रूप से संचित पानी में मिलते हैं। उदाहरणार्थ टूटे-फूटे डिब्बे, बोतलें, फूलदान, मिट्टी के बर्तन वगैरह। ये मच्छर दिन में काटते हैं। ये मच्छर 100 गज से अधिक दूरी तक उड़ सकते हैं। मच्छर की इस विशेषता के कारण डेंगू के हर रोगों में बीमारी का उद्गम ढूँढकर उसे नष्ट करके इस महामारी को फैलने से रोका जा सकता है।
इस बीमारी में तेज बुखार के साथ शरीर में भयंकर दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द होता है। जोड़ों में अत्यधिक दर्द के कारण रोगी चल-फिर नहीं सकता। इसी कारण इसे ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहते हैं। इसके साथ सिरदर्द, आँखों के आसपास दर्द तथा आँखों को घुमाने में दर्द होता है। आँखें लाल हो जाती हैं और पानी बहता है। तेज प्रकाश को देखने में डर लगता है। उल्टी, जी घबराना, भूख नहीं लगना तथा नींद नहीं आना भी होता है।
गंभीर रोगियों में 7-8 दिन तक तेज बुखार बना रहता है। अधिकांशतः एक सप्ताह में बुखार उतर जाता है, उसके बाद बहुत दिनों तक भयंकर कमजोरी और उदासी बनी रहती है। होम्योपैथी में इसके लिए यूपेटोरियम- परफोलियेटम 30 की मात्रा में 3 गोली (छोटी साबूदाना जैसी) दिन में 3-4 बार देना चाहिए। उपरोक्त लक्षणों के साथ मरीज यदि सुस्त हो और अधिक प्यास लगती हो तो ब्रायोनिया-30 की मात्रा में 3 गोली 3-4 बार देना चाहिए।
यदि रोगी बेचैन हो और मांसपेशियों में अत्यधिक दर्द हो तो रस टाक्स 30 की मात्रा में 3 गोली 3-4 बार देना चाहिए। डेंगू या ‘हड्डी तोड़ बुखार’ इस बीमारी में तेज बुखार के साथ शरीर में भयंकर दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द होता है साथ ही सिरदर्द, आँखों के आसपास दर्द तथा जोड़ों में अत्यधिक दर्द के कारण रोगी चल-फिर नहीं सकता।