सरकार के लिए ये हफ्ता संसद में मुश्किल भरा हो सकता है। आज दोनों सदनों में विपक्षी दलों ने असहिष्णुता पर बहस के लिए नोटिस दिया जिस पर दोपहर 12 बजे के बाद बहस शुरू हो गई। संसदीय कार्य मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा कि सरकार को रूल 193 के तहत इस मुद्दे पर बहस करना में कई आपति नहीं है।
बहस कराए जाने से पहले स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि मैं सभी पक्षों को कहती हूं कि जब कोई असहिष्णुता को लेकर कुछ कह रहा हो तो असहिष्णुता दिखाए और सुने। वहीं गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं उस सदस्य को कहूंगा कि अगर उनकी दृष्टि से असहिष्णुता बढ़ रही है तो वो उसके लिए सुझाव भी दें।
बहस के दौरान मो. सलीम ने कहा कि खुद राजनाथ सिंह ने कहा था कि 800 साल की गुलामी के बाद हिंदू शासन लौटा है। लेकिन इस पर राजनाथ ने गहरा ऐतराज जताया। राजनाथ ने सीट से उठकर कहा कि मो. सलीम के आरोप बहुत गंभीर हैं। मैं चाहता हूं कि वो बताएं कि मैंने कब ऐसा बयान दिया नहीं तो उन्हें माफी मांगनी होगी। इसके बाद सत्तापक्ष की ओर से शोरगुल शुरू हो गया।
कांग्रेस-सीपीएम ने दिया नोटिस
कांग्रेस और जेडीयू ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत इस पर चर्चा के लिए नोटिस दिया, जबकि लोकसभा में कांग्रेस और सीपीएम ने नियम 193 के तहत चर्चा कराने का नोटिस दिया। नियम 193 के तहत वोटिंग का नियम नहीं होता। जेडीयू उन पांच मंत्रियों को बर्खास्त करने की मांग कर रही है जिन पर विवादास्पद बयान देने का आरोप है। जेडीयू ने निंदा प्रस्ताव भी पास करने की मांग की है। सरकार की तरफ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस पर बयान देंगे।
वहीं समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा है कि असहिष्णुता के मुद्दे पर जितनी चर्चा हो रही है, उतना ही नुक्सान हो रहा है। इस मामले पर ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर चर्चा न हो। भारत से ज्यादा असहिष्णुता पूरी दुनिया में कहीं नहीं है।
हालांकि केंद्र सरकार न तो निंदा प्रस्ताव के लिए तैयार है और न बैकफुट पर दिखना चाहती है। वैसे राज्यसभा में आज शुरुआत तो संविधान के लिए प्रतिबद्धता पर शुरू हुई बहस से ही होगी। इसके पूरा होने के बाद असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा होगी।