दिल्ली में जबर्दस्त पल्यूशन से लड़ने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कैबिनेट की आपात बैठक कर इस समस्या के समाधान की खातिर कई उपायों की घोषणा की। इनमें निर्माण कार्य पर बैन, सड़कों पर पानी का छिड़काव, कूड़ा जलाने पर पाबंदी और जेनरेटर सेट पर रोक के अलावा एक और कदम उठाने का जिक्र किया गया। यह कदम है artificial rain यानी कि कृत्रिम बारिश कराने की।
केजरीवाल ने कहा कि स्मॉग से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश की संभावना पर भी विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार इसके लिए केंद्र से बात करेगी। दरअसल, बारिश होने से स्मॉग की समस्या से जल्द निजात मिल जाएगी।कृत्रिम बारिश को क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है। पिछले साल महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सूखाग्रस्त क्षेत्रो में क्लाउड सीडिंग की कोशिश की गयी थी, जो नाकाम रही। दिल्ली में artificial rain कितनी फायदेमंद होगी ये तो बाद में पता चलेगा, आइये आपको बताये क्या है कृत्रिम बारिश या artificial rain :
कैसे होती है कृत्रिम बारिश
इस तरह की बारिश करवाने के लिए एक रॉकेटनुमा यंत्र में केमिकल भर कर आकाश में दागे जाते हैं। केमिकल के रूप में सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल किया जाता है। यह केमिकल आकाश में छितराए हुए बादलों से रासायनिक क्रिया कर बारिश कराता है। इस प्रयोग से सामान्य तौर पर 20 किलोमीटर के दायरे में बारिश होती है। कृत्रिम बारिश के लिए बादलों में व्याप्त वाष्पीकरण की क्षमता, क्षेत्र का तापमान और हवा की दिशा तथा वेग महत्वपूर्ण तत्व होते हैं। इनमें से एक भी तत्व अंसतुलित हुआ तो कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफल नहीं होता।
इस प्रक्रिया का सफल प्रयोग चीन ने अपने सूखाग्रस्त प्रान्तों में करके एक बड़े भूभाग पर लगभग २० mm बारिश की थी।