मंदाकिनी नदी के किनारे विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर 3500 मी0 के लगभग उंचाई पर स्थित है और 1000 वर्षो से भी ज्यादा पुराना है । कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवो ने या उनके वंशज जन्मेजय द्धारा करवाया गया था और इसका जीर्णोद्धार जगदगुरू आदि शंकराचार्य जी ने कराया था । श्री केदार नाथ जी को पंचकेदारो में भी गिना जाता है जिसके बारे में इस तरह की कथा प्रचलित है कि महाभारत के युद्ध में पांडव विजयी तो हो गये पर वे अपने ही भाइयो की हत्या करने के पाप से मुक्ति चाहते थे और भगवान शंकर जी से इस बारे में आर्शीवाद चाहते थे पर भगवान शंकर ऐसा नही चाहते थे इसलिये काशी में जब पांडव पहुंचे तो भगवान शंकर वहां से केदार में पहुंच गये ।
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पांडव भी पीछे पीछे वहीं आ पहुंचे । उनसे छुपने के लिये भगवान शंकर ने बैल का रूप धारण कर लिया और वहां चर रहे और पशुओ में जा मिले । पांडवो ने उन्हे पहचान लिया और उनको वास्तविक रूप में मिलने के लिये भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडो पर फैला दिया । और सब पशु तो भीम के नीचे से होकर निकल गये पर बैल के रूप में मौजूद भगवान शिव ने ऐसा नही किया । अब संदेह पक्का हो गया था सेा भीम बैल को पकडने के लिये झपटे तो बैल गायब हो गया और जब प्रकट हुआ तो धड से उपर का भाग काठमांडू में पशुपतिनाथ के रूप में और भुजाऐं तुंगनाथ में , मुख रूद्रनाथ में , नाभि मदमहेश्वर में और जआ कल्पेशवर में प्रकट हुए । इन चार स्थानो के साथ श्री केदारनाथ को पंचकेदार कहा जाता है