बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, बुद्धि, वाणी और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस साल ये त्योहार 26 जनवरी के दिन मनाया जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या, कला और संगीत के क्षेत्र में सफलता मिलती है। भारत के कई राज्यों में स्कूल,कॉलेज में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए यह दिन पूजनीय है। बसंत पंचमी से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष मनाए जाने वाले बसंत पंचमी पर्व पर चार अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है।शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन विद्यार्थियों को मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कई बार घर में वास्तु दोष होने से विद्यार्थियों को शिक्षा में बाधाएं उत्पन्न करते हैं। उन्हें परिक्षा में उचित परिणाम नहीं मिल पाते। ऐसे में उन्हें बसंत पंचमी के दिन पूर्व, उत्तर या पूर्वोतर दिशा में बैठकर पढ़ाई करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है।
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बसंत पंचमी तिथि:
25 जनवरी 2023 की दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से होगी और 26 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी।
पूजा विधि:
- इस दिन सुबह स्नान करके साफ पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं।
- इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं।
- माता को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें।
- आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें। फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।
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