कुछ विद्वानों द्वारा गुरुवारा को जारी एक वक्तव्य में किये गये दावे के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि लेखकों और विद्वानों द्वारा पुरस्कारों का लौटाना जाहिर तौर पर स्वत:स्फूर्त कदम है और विरोध के इस तरीके ने असहिष्णुता के मुद्दे पर देशव्यापी बहस छेड़ दी है।
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति ने राय व्यक्त की कि पुरस्कार वापसी विरोध का एक तरीका है और जाहिर तौर पर स्वत:स्फूर्त है।’ राष्ट्रपति ने तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से जो कहा, उसके हवाले से बताया गया, ‘लेखकों, कलाकारों, वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों के हालिया विरोध प्रदर्शन ने असहिष्णुता के मुद्दे पर देशव्यापी बहस शुरू की है।’
बढ़ती असहनशीलता के खिलाफ विचार रखने के लिए राष्ट्रपति का शुक्रिया अदा करते हुए प्रतिनिधिमंडल ने उनसे अनुरोध किया कि राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते वह केंद्र और राज्यों की सरकारों, राजनीतिक दलों और अन्य सभी को हरसंभव तरीके से सलाह दें और समझाएं कि असहनशीलता की घटनाओं को रोकने के लिए निर्णायक तरीके से काम करें।