वैदिक गणित के 16 सूत्र-
1. एकाधिकेन पूर्वेण – पहले से एक अधिक के द्वारा
2. निखिलं नवतश्चरमं दशत: – सभी नौ में से तथा अन्तिम दस में से
3. उध्र्वतिर्यक् भ्याम् – सीधे और तिरछे दोनों विधियों से
4. परावत्र्य योजयेत् – विपरीत उपयोग करें।
5. शून्यं साम्यसमुच्चये – समुच्चय समान होने पर शून्य होता है।
6. आनुररूप्ये शून्यमन्यत् – अनुरूपता होने पर दूसरा शून्य होता है।
7. संकलनव्यवकलनाभ्याम् – जोड़कर और घटाकर
8. पूरणापूराणाभ्याम् – पूरा करने और विपरीत क्रिया द्वारा
9. चलनकलनाभ्याम् – चलन-कलन की क्रियाओं द्वारा
10. यावदूनम् – जितना कम है।
11. व्यष्टिसमिष्ट: – एक को पूर्ण और पूर्ण को एक मानते हुए।
12. शेषाण्यङ्केन चरमेण – – अंतिम अंक के सभी शेषों को।
13. सोपान्त्यद्वयमन्त्यम् – अंतिम और उपान्तिम का दुगुना।
14. एकन्यूनेन पूर्वेण – पहले से एक कम के द्वारा।
15. गुणितसमुच्चय: – गुणितों का समुच्चय।
16. गुणकसमुच्चय: – गुणकों का समुच्चय।
वैदिक गणित के उपसूत्र-
1. आनुरूप्येण – अनुरूपता के द्वारा।
2. शिष्यते शेषसंज्ञ: – बचे हुए को शेष कहते हैं।
3. आद्यमाद्येनान्त्यमन्त्येन – – पहले को पहले से, अंतिम को अंतिम से।
4. केवलै: सप्तकं गुम्यात् – “क”, “व”, “ल” से 7 गुणा करें।
5. वेष्टनम् – भाजकता परीक्षण की एक विशिष्ट क्रिया का नाम।
6. यावदूनं तावदूनम् – जितना कम उतना और कम।
7. यावदूनं तावदूनीकृत्य वर्ग च योजयेत्
8. अन्त्ययोर्दशकेऽपि
9. अन्त्ययोरेव
10. समुच्चयगुणित:
11. लोपनस्थापनाभ्याम्
12. विलोकनम्
13. गुणितसमुच्चय: समुच्चयगुणित: