माघ मास का विशेष महत्व :
हिन्दू धर्म के अनुसार सभी महीनों में माघ मास का विशेष महत्व होता है। यह महीना दान-पुण्य, धर्म-कर्म और त्याग का महीना माना जाता है। मघा नक्षत्र के नाम पर इस महीने का नाम माघ होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह महीना साल का ग्यारहवां महीना होता है। माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार इस माह पूजा-अर्चना और स्नान ध्यान करने से पुण्य लाभ मिलता है। माघ महीने में ही षटतिला एकादशी आती है इस दिन जल में तिल डाल कर स्नान करने की परंपरा होती है। इस दिन काले तिल से बनी हुई साम्रगी को दान किया जाता है। माना जाता है इससे कई तरह के पापों का नाश होता है।
इस माह में शुक्ल पक्ष अष्टमी को भीमाष्टमी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर प्राण-त्याग किया था। मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान और पूजा-अर्चना करने से सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं।
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पूरे दिन मौन धारण करने की परंपरा :
इस महीने कृष्ण पक्ष में मौनी अमावस्या भी आती है इसमें पूरे दिन मौन धारण करने की परंपरा होती है। साथ ही इसी महीने बसंत पंचमी भी पड़ती है। इस दिन विद्या, बुद्धि, ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। छात्रों के लिए यह दिन विशेष महत्व का होता है।
माघ माह में ही शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी का व्रत रखा रखा जाता है। सप्तमी को अचला भानू सप्तमी भी कहा जाता है और इसे बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा इस महीने में माघी पूर्णिमा भी आती है जिसका विशेष महत्व माना जाता है।
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इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इनमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण उत्पन्न होते हैं। मान्यता यह भी है कि माघ पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है
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