हार्ट अटैक की बीमारी:
ज़्यादातर नौजवान लोगों में हार्ट अटैक आने की काफी मामले सामने आ रहे हैं। हार्ट अटैक की बीमारी आजकल एक आम समस्या बनती जा रही है और हमारे भारत में तो यह बिल्कुल कॉमन हो गया है।
हार्ट अटैक आने वाले व्यक्ति में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे छाती के अंदर तेज दर्द होना, पसीना आना, घबराहट होना साथ ही उस इंसान को लगने लगता है कि अब मैं मरने वाला हूं। और अगर यह लक्षण 15 से 20 मिनट तक आराम करने से भी ठीक नहीं होते हैं तो यह हार्ट अटैक के लक्षण होते हैं।
ऐसे में उस व्यक्ति को सबसे पहले किसी नजदीकी मेडिकल सेंटर में लेकर जाये। लेकिन अगर आपको लगता है कि मेडिकल सेंटर में जाने में समय लग सकता है तो डिस्प्रिन की टेबलेट्स पानी में मिलाकर उसे दें।
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इससे ब्लड क्लॉट बढ़ना कम हो जाता है। हार्ट अटैक में बनने वाला ब्लड क्लॉट धीरे-धीरे साइज में बढ़ने लगता है। डिस्प्रिन लेने से कम से कम बढ़े हुए क्लॉट का साइज नहीं बढ़ेगा, वह उसी साइज में रुक जायेगा।
लेकिन कई बार इनसे हालात और भी ज्यादा बिगड़ जाते हैं इसलिए एस्प्रिन या डिस्प्रिन देने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेना चाहिए लेकिन आपको फिर भी किसी भी मेडिकल सेंटर पर जल्दी से जल्दी जाना है।
ऐसी सिचुएशन में क्या करना चाहिए:
1. मरीज़ को देखकर आप खुद घबराएं नहीं और फटाफट मदद के लिए आस-पास के लोगों और डॉक्टर को बुलाएं।
3. अगर मरीज़ बेहोश है तो उसकी सांसे चेक करें। इसके लिए उसकी नाक के पास अंगुलियों या कानों से चेक करें कि सांसे चल रही है या नहीं।
4. मरीज़ की पल्स चेक करें।
5. अगर मरीज़ सांस भी ना लें और उसकी पल्स भी नहीं आ रही है तो उसे CPR दें।
6. CPR के लिए अपने बाएं हाथ को सीधा रखें उसके ऊपर दाएं हाथ को रख अंगुलियों को लॉक करें।
7. अब हाथों को छाती के बीचो-बीच लाएं और अपने पूरे प्रेशर से छाती को दबाएं।
8. सबसे ज़रूरी है कि आपको प्रति मिनट 100 कंप्रेशन देने हैं।
9. कंप्रेशन तब तक करते रहें जब तक उस मरीज़ को होश ना आ जाए या फिर डॉक्टर ना आ जाए।
10. इस बात की बिल्कुल फिक्र ना करें कि कहीं मरीज़ की चेस्ट बोन में फ्रैक्चर ना हो जाए, क्योंकि उस वक्त होश में लाना ज़्यादा ज़रूरी है।
दूसरा तरीका :
हार्ट पेशेंट को लंबी सांस लेने को कहें और उसके आसपास से हवा आने की जगह छोड़ दें ताकि उन्हें पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके। कई बार ऐसा देखा गया है के घर में या कहीं किसी को अटैक आया और लोग उसको बुरी तरह से चारों तरफ घेर लेते हैं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें के रोगी को ऑक्सीजन लेने के लिए पर्याप्त खुली जगह होना चाहिए।
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अटैक आने पर पेशेंट को क्या महसूस होता :
अटैक आने पर पेशेंट को उल्टी आने जैसी फीलिंग होती है ऐसे में उसे एक तरफ मुड़ कर उल्टी करने को कहें ताकि उल्टी लंग्स में न भरने पाए और इन्हें कोई नुकसान ना हो।
पल्स रेट कम होने पर हार्ट पेशेंट को आप इस तरह से लिटा दें उसका सर नीचे रहे और पैर थोड़ा ऊपर की और उठे हुए हों।इससे पैरों के ब्लड की सप्लाई हार्ट की और होगी जिससे ब्लड प्रेशर में राहत मिलेगी।
इस दौरान पेशेंट को कुछ खिलाने पिलाने की गलती ना करें इससे उसकी स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
एस्प्रिन ब्लड क्लॉट रोकती है इसलिए हार्ट अटैक के पेशेंट को तुरंत एस्प्रिन या डिस्प्रिन खिलानी चाहिए।
पल्स रेट बहुत ज्यादा कम हो जाने पर पेशेंट के चेस्ट पर हथेली से दबाब देने से थोड़ी राहत जरूर मिलती है लेकिन गलत तरीके से हार्ट को प्रेस करने में प्रॉब्लम और भी बढ़ सकती है इसलिए इसके लिए विशेष अभ्यास की जरूरत होती है।
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