जिस दौर में महिलाओं के लिये कोई व्यवसाय करना या घर से कोई काम करने के लिये निकलना एक बड़ा दुश्वार काम था उस दौर में एक गृहणी एक ऐसी महिला उद्यमी के रूप में उभरी जो आज भी सफल महिला व्यवसाइयों के लिये एक मिसाल हैं। मात्र 300 रुपये की प्रारंभिक पूंजी से शुरू किये गए व्यवसाय को यह महिला आज 700 करोड़ रुपये के अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड में बदल चुकी है।
बेकरी व स्नैक्स निर्माता कंपनी क्रीमिका की मैनेजिंग डायरेक्टर रजनी बेक्टर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। पाकिस्तान के कराची में आजादी से पहले जन्मी रजजी के पिता सरकारी नौकरी में थे जो विभाजन के बाद दिल्ली आ गए। 1957 में मात्र 17 वर्ष की उम्र में उनका विवाह लुधियाना के एक व्यवसाई के साथ हो गया।

जल्द ही रजनी के बनाए केक और कुकीज़ के अलावा उनकी बनाई आइसक्रीम मिलने वालों में मशहूर हो गई। दूसरों द्वारा इन चीजों को बनाकर बेचने के सुझाव को मानते हुए उन्होंने स्थानीय मेलों में स्टाॅल लगाने शुरू कर दिये जिसके बाद उन्हें दोबारा पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा।
रजनी बताती हैं कि उनके बनाए स्नैक्स खासकर आइसक्रीम को लोगों ने बहुत पसंद किया और उन्हें कैटरिंग के आॅफर मिलने लगे। इसके बाद उन्होंने अपने घर की रसोई के छोटे से ओवन और मात्र 300 रुपये की प्रारंभिक पूंजि के साथ अपने शौक को व्यवसायिक रूप दिया। जल्द ही उनके बनाए स्नैक्स की ख्याति आस-पास के इलाकों में फैल गई और उनके पास पार्टियों के आर्डर भी मिलने लगे।

‘‘1978 में मात्र 20 हजार रुपये के निवेश के साथ मैंने अपने घर के गैराज में एक छोटा सा आइसक्रीम यूनिट लगाया। इस यूनिट को लगाने के बाद मैं बड़े आॅर्डर भी लेने लगी और मेरी कार्यक्षमता में भी इजाफा हुआ। चूंकि मैं अधिकतर चीजों में क्रीम का इस्तेमाल बहुत करती थी इसलिये मैंने कंपनी का नाम ‘‘क्रेमिका’’ रखा।’’
रजनी की बनाई आइसक्रीम को भारी सफलता मिली और उन्होंने जीटी रोड पर खाली पड़ी एक पुश्तैनी जगह पर ब्रेड और बिस्किट बनाने की भी यूनिट खोल ली। इस काम के लिये उन्होंने बैंक से लोन लिया और दिल्ली से उपकरण मंगवाए। रजनी बताती हैं कि उन्होंने हमेशा से ही गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया और वे इस्तेमाल होनेवाली हर सामग्री पर पूरी नजर रखती हैं।

जल्द ही पूरे परिवार की मदद और लगन के चलते उनका यह व्यवसाय 20 करोड़ की सालाना की आय को पार करते हुए आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा। 1995 में भारतीय बाजार में खाने-पीने के विदेशी ब्रांड का आगमन होने लगा था और यहीं से ‘‘क्रेमिका’’ और रजनी बेक्टर ने दुनिया को अपने बनाए खाने का गुलाम बना लिया।
‘‘1995 में मैकडाॅनल्ड भारतीय बाजार में प्रवेश करते हुए स्थानीय सप्लायर्स की तलाश में था। हमने काफी मेहनत की और हमारे द्वारा बनाये गए बर्गर के बन को उन्होंने चयनित किया। इतनी बड़ी कंपनी के सााि करार करने के बाद हमारा आत्मविश्वास सातवे आमान पर था और जल्द ही हम उनके लिये ब्रेड और टमाटर की साॅस भी बनाने और सप्लाई करने लगे।’’
रजनी मानती हैं कि खाने-पीने के काम में क्वालिटी के उच्च स्तर को पाना और बनाए रखना बहुत कठिन है। लेकिन एक बार आप सामग्री के लिये चयनित हो जाएं और गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता न करें तो यह आपके व्यापार को दिन दूनी रात चैगुनी तरक्की देता है।

व्यापार जगत में अपने योगदान के लिये रजनी को राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों से नवाजा गया है लेकिन 2005 में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के हाथों मिले पुरस्कार और उनके शब्दों को वे कभी भूल नहीं सकती। रजनी बताती हें कि अब्दुल कलाम ने उनसे कहा, ‘‘ओह…. तो आप ही आइसक्रीम लेडी हैं।’’
Source – Yourstory






