स्वास्थ्य का अर्थ:
स्वास्थ्य शब्द स्वस्थ शब्द से बना है जो व्यक्ति के स्वस्थ होने के गुण या विशेषता को दर्शाता है। स्वस्थ शब्द स्व+स्थ से मिलकर बना है जिसका अर्थ है जो स्वयं में स्थित हो। तात्पर्य यह है कि वह अवस्था जिसमें व्यक्ति अपने में स्थित हो, स्वास्थ्य कहलाता है। जब हम अपने मूल स्वरूप में नहीं होते हैं तो हमारे अन्दर कई प्रकार की विकृत आने लगती है, तो हम अस्वस्थ हो जाते हैं। अस्वस्थ होने पर नाना प्रकार की बीमारियाँ हमें घेर लेती है, और शरीर की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण होने लगती है और हम काम करने के अयोग्य हो जाते है।
खान पान का स्वास्थ्य पर प्रभाव:
हम जो भी चीजें खाते हैं वो या तो हमें पोषण देता है या हमें नुकसान पहुंचाता है। खाने पीने की ऐसी चीजें, जैसे डिब्बाबंद पदार्थ, जिन्हें आवश्यकता से ज्यादा समय संरक्षित करके रखा जाता है, वो हमारे लिए घातक होता है।
आधुनिक प्रकिया से तैयार हुई खाने-पीने की चीजें जिसे लंबे समय तक रखने के हिसाब से तैयार किया जाता है वो खाने को एक तरह के जहर में बदल देता है, जिससे हमारे शरीर को नुकसान पहुँचता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त आहार, जिसमें हरी सब्जियां, दाल, सेम, दूध से बनी चीजें और प्रोटीन जरूरी है। स्वस्थ भोजन के अलावा, हमें अच्छी नींद, ताजी हवा और शारीरिक व्यायाम, जैसे- योगासन या अन्य खेलों की भी जरूरत होती है।
स्वास्थ्य के प्रकार:
- शारीरिक स्वास्थ्य
- मानसिक स्वास्थ्य
- सामाजिक स्वास्थ्य
- आध्यात्मिक स्वास्थ्य
1. शारीरिक स्वास्थ्य – यदि सामान्य रूप से शरीर के बाह्य तथा आन्तरिक अंग कार्य करते रहते हैं, तो शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा माना जाता है।
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स्वास्थ्य की आवश्यकता:
मनुष्य का स्वास्थ्य बैंक की पूंजी के समान समझा जाता है। यह हमारे शरीरिक बैंक का हिसाब है। यदि हम शरीर का ध्यान नहीं रखेंगे तो कोई बीमारी, दुःख विकार शरीर में आ जाता है। तथा व्यक्ति शारीरिक बैंक से उनको दूर करने के लिए कर्च लेता है। किन्तु यदि स्वास्थ्य रूपी बैंक की पूंजी ही नहीं ह तो मनुष्य कठिनाई में पड़ जाता है।
अतः जो व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टि से स्वस्थ है वही व्यक्ति शारीरिक रूप से हष्ट-पुष्ट होने के कारण जीवनशक्ति से पूर्ण, भावात्मक रूप से सहनशील व चिंतारहित होता है और सामाजिक दृष्टि से सहयोगी, परोपकारी, निःस्वार्थी तथा दूसरों का सम्मान करने वाला होता है। वह अपने जीवन को तो सुखमय एवं आनंद से पूर्ण बनाता ही है, साथ ही सुखी जीवन व्यतीत करते हुए वह समाज और राष्ट्र अमूल्य योगदान दे सकता है।