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भारतीय रागों और सुर में बसती है चित्रा श्रीकृष्णा और शोभा नारायण की आत्मा 2

भारतीय रागों और सुर में बसती है चित्रा श्रीकृष्णा और शोभा नारायण की आत्मा

मशहूर संगीतकार एआर रहमान कहते हैं कि संगीत अगर शरीर है तो उसकी आत्मा भारतीय शास्त्रीय संगीत और उनके रागों में बसती है । रागों के बिना आप मधुर संगीत की कल्पना तक नहीं कर सकते हैं

आधुनिक संगीत और पाश्चात्य संगीत के इस दौर में भारतीय शास्त्रीय संगीत कहीं विलुप्त न हो जाए इसलिए दो महिलाओं ने एक ऐसा कदम उठाया जिससे न सिर्फ भारतीय प्राचीन संगीत परंपरा को एक नया जीवन मिला बल्कि वह आम जन मानस तक आसानी से अपनी पहुंच भी बनाने में सफल हो रहा है । आपको बता दें कि इन महिलाओं ने न सिर्फ शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है बल्कि ये हमारे देश की बेशकीमती जीवित धरोहर भी हैं जिन्होंने हमारी प्राचीन संगीत परंपरा को सहेजकर रखा हुआ है ।

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कहते हैं कि भारत की प्राचीन परंपराओं और इसकी संस्कृति के बारे में यदि आपको गहराई से जानना है तो आप यहां के क्लासिकल या शास्त्रीय संगीत के बारे में जानिए । ऐसा इसलिए कि यहां पर जन्म से लेकर मृत्यु तक गाए जाने वाले गीत आपको मिल जाएंगे । आप उन गीतों के माध्यम से हर्ष और उल्लास का आभास कर सकते हैं । भोर काल की सुबह हो या अमावस की घनी काली रात , आप किसी भी परिस्थिति और समय का अनुमान मात्र रागों को सुनकर ही लगा सकते हैं । यही नहीं भारती जैसे देश में कहा जाता है कि हर 100 कोस पर पानी बदल जाता है और हर 10 कोस पर यहां का संगीत। देश के प्रत्येक हिस्से के लिए उसका अपना एक अलग संगीत होता है और उसका एक अपना संगीतमय इतिहास ।

इंडियन क्लासिकल म्यूजिक या भारतीय शास्त्रीय संगीत के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनका उद्भव वेदों से हुआ है जिसको हमारे ऋषि-मुनियों ने देवों से प्राप्त किया था । शास्त्रीय संगीत विभिन्न प्रकार के रागों पर आधारित होते हैं । प्रत्येक राग एक खास समय , उत्सव या ऋतु विशेष के लिए बना होता है । हमारी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लगभग हर संगीत में आपको भारतीय प्राचीन रागों का समावेश मिल ही जाएगा । लेकिन समस्या ये थी कि आम जनमानस के बीच में आज हमारी ये प्राचीन संगीत की परंपरा अपना अस्तित्व खोती जा रही है । बस इसी चिंता और क्लासिकल संगीत के प्रति अगाध प्रेम ने एक शाम चित्रा श्रीकृष्णा और शोभा नारायण को शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में कुछ ऐसा करने पर विविश किया जिससे भारतीय शास्त्रीय संगीत को आम जनमानस तक सुलभता के साथ एक नए अनुभव व आकर्षक तरीके से पहुंचाया जा सके और इसी सोच ने प्रेरणा दी ‘हमराग’ को जन्म देने की ।

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चित्रा श्रीकृष्णा दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत अर्थात कार्नेटिक संगीत में दक्ष हैं । उन्होंने पांच साल की उम्र से ही संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी और पढ़ाई के दौरान कॉलेज में अपनी संगीत कला का प्रदर्शन भी किया करतीं थीं । विश्व के प्रसिद्ध व निपुण शिक्षकों से चित्रा ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की हुई है । वर्तमान में वह कई अखबारों के लिए लेख लिखतीं हैं । वहीं दूसरी तरफ शोभा नारायण की बात करें तो वह एक मशहूर पत्रकार हैं साथ ही ‘मानसून डायरी’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक की लेखिका भी हैं जिसे कई पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं । शोभा नारायण कई पत्रिकाओं व अखबारों में निरंतर लेखन का कार्य भी करतीं हैं ।

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दोनो ही शख्सियतों का शास्त्रीय संगीत के प्रति प्रेम व अनुभव हमराग को उसके मूल उद्देश्यों के प्रति और भी विश्वसनीय बना सकने में सफल रहा । ‘हमराग’ का मकसद वर्तमान समय के प्रचलित संगीतों में से भारतीय पुरातन रागों को तलाशना व उसको लोगों के सामने एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत करना था । आप इसे ऐसा भी कह सकते हैं कि ‘हमराग’ दरअसल आज के संगीत से उसकी आत्मा को एक नई पहचान देने की एक अनोखी पहल थी ।

चित्रा आजकल के प्रचलित किसी एक संगीत में रागों की पहचान करतीं हैं और फिर उन रागों पर आधारित एक शास्त्रीय गीत को अपनी आवाज़ में सुरबद्ध करतीं हैं । जबकि शोभा एक सूत्रधार के तौर पर उस गीत , राग-विशेष और उससे संबंधित अन्य जानकारियों को एक कहानी या कविता के माध्यम से लोगों को बताती हैं । शोभा नारायण बतातीं हैं कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की सुरबद्ध विधा का ही एक रूप है राग , जिसमें संगीत के चार से पांच स्वरों का समायोजन होता है और इनसे मिलकर एक धुन की रचना होती है ।

भारतीय शास्त्रीय संगीत में ऐसी ही अनेकों धुनों की रचना की गई है जिनमें विभिन्न रागों को सुना जा सकता है । हिंदी फिल्मों में विभिन्न रागों पर आधारित कई मशहूर गीत लिखे गए हैं । उदाहरण के लिए मशहूर हिंदी फिल्म ‘देवदास’ का एक प्रसिद्ध गीत ‘ काहे छेड़ छेड़ मोहे …’ यह संगीत शास्त्रीय संगीत के बसंत राग पर आधारित है । या फिर मशहूर फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ का गीत ‘अलबेला सजन आयो रे ‘ शास्त्रीय संगीत के दो रागों भैरव व अहिर राग से मिलकर बना है ।

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वाकई ‘हमराग’ के द्वारा एक अनोखी और रोचक प्रक्रिया को लोगों के सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है । इससे न सिर्फ हम आजकल के गानों में शास्त्रीय संगीत की पहचान कर सकते हैं बल्कि उससे संबंधित नए पहलुओं को भी विस्तार से जान सकने में समर्थ होते हैं ।

हालांकि ‘हमराग’ अभी शुरूआती स्तर पर ही है लेकिन इसके माध्यम से श्रोताओं को शास्त्रीय संगीत , भक्ति गीत , लोकगीत को जानने व सुनने का अवसर मिल रहा है । यही नहीं कविता और कहानी के माध्यम से संगीत का प्रस्तुतिकरण लोगों को और भी ज्यादा रोचकता व नयापन प्रदान करता है ।

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‘हमराग’ का जनता के बीच पहला प्रदर्शन पिछले वर्ष मार्च के महीने में बंगलुरू इंटरनेश्नल सेंटर में संपन्न हुआ था । लोगों ने ‘हमराग’ के इस कांसेप्ट को हाथों हाथ लिया और इसकी सराहाना भी की । चित्रा व शोभा जनता से मिली इस प्रतिक्रिया से काफी उत्साहित हुईं । उन्होंने सितंबर 2014 से इस सफ़र की शुरआत की और ‘हमराग’ के इस कांसेप्ट को देशभर के विभिन्न स्थानों पर प्रस्तुत किया जिसे हर जगह लोगों ने पसंद किया । अब तक ‘हमराग’ के अंतर्गत दोनों ने मुंबई , हैदराबाद , चैन्नई , बंगलुरू और पुणे में अपनी प्रस्तुती दी है और सुनने वालों ने उनका उत्साहवर्धन किया है ।

 

Source – Yourstory

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