मणिपुर के चंदेल में 4 जून को इंडियन आर्मी के 18 जवानों की शहादत का बदला सेना के एलीट कमांडोज ने ले लिया। बार्डर पार करके आर्मी के कमांडोज ने स्पेशल सर्जिकल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। इस ऑपरेशन की खास बात है कि सेना ने अपने सबसे ट्रेंड कमांडोज को आतंकियों के खात्मे का जिम्मा सौंपा था। पूरे ऑपरेशन में एक भी कमांडो को खरोंच तक नहीं आई। आपको बता रहा है इंडियन आर्मी की बड़ी ताकत बनीं इन कमांडो फोर्सेस के बारे में।
देश की 8 कमांडो फोर्स, इन्हें कठोर ट्रेनिंग के साथ मिलते हैं आधुनिक हथियार
इंडियन आर्मी के एलीट पैराकमांडोज ने इंडो-म्यांमार बॉर्डर पर सर्जिकल मिशन को अंजाम दिया। इस यूनिट में कुछ हजार स्पेशल ट्रेन्ड कमांडोज होते हैं। यह कमांडोज पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं। इसमें स्पेशल फोर्सेस की 7 बटालियंस शामिल हैं। इस कमांडो यूनिट का निर्माण भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 में हुई जंग के दौरान हुआ था।
इंडियन आर्मी के ट्रेंड कमांडो दुश्मनों को छलने के लिए विशेष ड्रेस का इस्तेमाल करते हैं। इन ड्रेसों का हल्का रंग रेगिस्तान में और गाढ़ा रंग हरियाली के बीच उन्हें छिपने में मदद करता है। कमांडो एक खास झिल्लीदार सूट भी पहनते हैं, जिन्हें किसी वातावरण में छिपने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। स्पेशल फोर्स पर्पल बैरेट पहनते हैं और इनकी इजरायली टेओर असॉल्ट राइफल इन्हें पैरामिलिट्री फोर्स से अलग बनाती है।
एनएसजी देश के सबसे अहम कमांडो फोर्स में एक है जो गृह मंत्रालय के अंदर काम करता है। आतंकवादियों की ओर से आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे पर लड़ने के लिए इन्हें विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। 26/11 मुंबई हमलों के दौरान एनएसजी की भूमिका को सभी ने सराहा था। इसके साथ ही वीआईपी सुरक्षा, बम निरोधक और एंटी हाइजैकिंग के लिए इन्हें खासतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इनमें आर्मी के लड़ाके शामिल किए जाते हैं। हालांकि, दूसरे फोर्सेस से भी लोग शामिल किए जाते हैं। इनकी फुर्ती और तेजी की वजह से इन्हें “ब्लैक कैट” भी कहा जाता है।
एसपीजी को प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है। हालांकि वह अपनी ट्रेडमार्क सफारी सूट में हमेशा दिखते हैं, लेकिन कुछ खास मौकों पर एसपीजी कमांडोज को बंदूकों के साथ काली ड्रेस में भी देखा जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में इसे बनाया गया, अब यह कमांडो फोर्स पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
इंडियन एयरफोर्स ने 2004 में अपने एयर बेस की सुरक्षा के लिए इस फोर्स की स्थापना की। मगर गरुड़ को युद्ध के दौरान दुश्मन की सीमा के पीछे काम करने के लिए ट्रेंड किया गया है। आर्मी फोर्सेस से अलग ये कमांडो काली टोपी पहनते हैं। हालांकि, अब तक इन्होंने कोई भारी लड़ाई नहीं लड़ी है और इन्हें मुख्य तौर पर माओवादियों के खिलाफ मुहिम में शामिल किया जाता रहा है।
इंडियन नेवी के स्पेशल कमांडोज जिन्हें आम नजरों से बचा कर रखा गया है। मार्कोस को जल, थल और हवा में लड़ने के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। समुद्री मिशन को अंजाम देने के लिए इन्हें महारत है। हाल ही में उन्हें अमरीकी मरीन जैसे ड्रेस में देखा गया है। अधिकारियों का कहना है कि अभी फाइनल ड्रेस को लेकर एक्सपेरिमेंट चल रहा है। 26/11 हमले में आतंकवादियों से निपटने में इनकी खास भूमिका थी।
सीआरपीएफ की कमांडो फोर्स कोबरा (COBRA) कमांडो बटालियन फॉर रिज्योल्यूट एक्शन, नक्सल समस्या से लड़ने के लिए बनाई गई है। ये दुनिया के बेस्ट पैरामिलिट्री फोर्सेस में से एक है, जिन्हें विशेष गोरिल्ला ट्रेनिंग दी जाती है। दिल्ली में संसद और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए भी इन्हें तैनात किया गया है।
आईटीबीपी के स्पेशल कमांडोज ने मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के बाद मुख्य अभियुक्त अजमल कसाब को मुंबई जेल में रखने में अहम भूमिका निभाई थी. दिल्ली की तिहाड़ जेल की निगरानी की कमान भी इन्हीं के हाथों में है। इसके साथ ही ये भारत-चीन सीमा की भी विशेष निगरानी करते हैं।
सीआईएसएफ के कमांडोज को आमतौर पर वीवीआईपी, एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल इलाकों के लिए खास तौर पर तैनात किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट्स जैसे दिल्ली और मुंबई इन्हीं की निगरानी में सुरक्षित रहते हैं। मुंबई के 26/11 हमले के बाद इनका इस्तेमाल प्राइवेट सेक्टर की सिक्युरिटी के लिए भी होने लगा है। इसका अपना स्पेशल फायर विंग भी है। साथ ही, यह फोर्स दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा भी करती है।