उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां के छह पूर्व मुख्यमंत्री लगभग दो करोड़ रुपए का पेट्रोल पी गए। पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने तो 2010-11 में वाहन संख्या यूके-076ए0777 में एक साल में 22,87,100 रुपए का पेट्रोल खर्च किया जो उत्तराखंड सरकार से मिला। यह जानकारी गुरविंदर चड्ढा ने सूचना के अधिकार कानून के तहत हासिल की है।
इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के बारे में कहा जाता था कि वे खिचड़ी खाते थे और तख्त पर सोते थे। उनके समर्थक उनकी सादगी की खूब चर्चा करते थे। लेकिन कोश्यारी ने 12 साल में अपने दो वाहनों में 21,13,847 का खर्च किया है। अपने वाहन संख्या यूके 07 जी ए 0792 में 2011-12 से 14-15 तक रखरखाव में 6,19,179 खर्च किया था जो एक नए वाहन के मूल्य से अधिक है।
पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने सिर्फ चार साल में पेट्रोल पर 56,15,926 और रखरखाव में 9,13,372 खर्च किए थे। यह सब खर्च उत्तराखंड सरकार से प्राप्त किया था, मतलब जनता की जेब से गया था। नारायण दत्त तिवारी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री रहे हैं। इसलिए उप्र की सुविधा के अलावा उत्तराखंड सरकार से भी सात सालों में पेट्रोल के लिए 12,19,780 और रखरखाव के लिए 2,93,771 खर्च किए थे। उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी ने सिर्फ सात सालों में ही 38,16,975 रुपए पेट्रोल पर खरचे थे।
उत्तराखंड के सबसे ईमानदार माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री ने भी एक साल में 25,42,377 रुपए पेट्रोल व रखरखाव में 6,04,670 खर्च किए थे। याद रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री को दो वाहन रखने के अलावा 55,000 रुपए प्रति माह वेतन और 15,000 रुपए प्रतिमाह नियत वेतन में निजी सचिव रखने की सुविधा है। विजय बहुगुणा जो अल्पकाल के लिए मुख्यमंत्री रहे उन्होंने भी 2013-14 में एक साल में र्इंधन में 5,92,295 व रखरखाव में 1,16,640 खर्च किया था। मजे की बात है कि खिचड़ी खाने वाले कोश्यारी राज्यसभा सदस्य होने के बाद भी यह सुविधा लेते रहे।
Source – जनसत्ता