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शादी की रस्‍मों के पीछे छुपे हैं ये वैज्ञानिक रहस्‍य- पढ़ें 2

शादी की रस्‍मों के पीछे छुपे हैं ये वैज्ञानिक रहस्‍य- पढ़ें

भारतीय शादियों में कई रस्में निभाई जाती है। हालाँकि कई लोग ऐसा मानते हैं कि ये रस्में केवल अंधविश्वास हैं परंतु आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि इनमें से कई रस्मों के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है।

जैसे जैसे वैज्ञानिक इन पारंपरिक रस्मों की गहराई में गए उन्होंने देखा कि इन रस्मों के साथ तर्क और विज्ञान जुड़े हुए हैं। भारतीय शादियों में निभाई जाने वाली इन रस्मों का उद्देश्य शरीर, दिमाग और आत्मा के बीच पवित्र संबंध स्थापित करना है।

तो वे सभी लोग जो इन रस्मों के महत्व और प्रासंगिकता पर आश्चर्य करते हैं, उनके लिए यह बताना आवश्यक है कि इन रस्मों को निभाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण है। हमें पूरा यकीन है कि आपने इन तथ्यों के बारे में पहले कभी सुना नहीं होगा!

1. मेहंदी लगाना

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मेहंदी में शांतिदायक और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। इसमें ठंडक प्रदान करने का गुण होता है जो वर वधू को तनाव, सिरदर्द और बुखार से आराम दिलाता है। यह नाखूनों की वृद्धि में भी सहायक होता है। और क्या? मेंहदी कई प्रकार के वायरल और फंगल इन्फेक्शन (संक्रमण) से रक्षा करने में भी सहायक होती है।

2. हल्दी लगाना

 

पारंपरिक रूप से हल्दी का उपयोग वर वधू के चेहरे पर प्राकृतिक निखार लाने के लिए किया जाता है। इसके पीछे एक अन्य पारंपरिक कारण वर वधू को बुरी नज़र से बचाना होता है। यदि इस रस्म के पीछे वैज्ञानिक कारण की बात करें तो आप जानते ही हैं कि हल्दी को चमत्कारिक जडी बूटी कहा जाता है क्योंकि इसमें बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। और इस प्रकार इस पूरी प्रक्रिया में शरीर को हल्दी का उत्तम औषधीय लाभ मिलता है। हल्दी त्वचा के बैक्टीरिया को नष्ट कर देती है तथा वर वधू पर निखार लाती है। आमतौर पर हल्दी में तेल मिलाकर पेस्ट बनाया जाता है।

3. चूड़ियाँ पहनना

 

चूड़ियाँ कलाईयों में पहनी जाती हैं। कलाईयों में कई एक्युप्रेशर पॉइंट्स होते हैं। चूड़ी पहनने पर इन पॉइंट्स पर दबाव पड़ता है जो आपको स्वस्थ रखने में सहायक होता है। चूड़ियों और आपकी त्वचा के बीच होने वाला घर्षण रक्त के परिसंचरण में सुधार लाता है।

4. मांग में सिन्दूर भरना

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हिंदू स्त्री के लिए शादीशुदा होने की निशानी होने के अलावा सिन्दूर के कुछ स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। इसमें हल्दी, चूना, कुछ धातु और पारा होता है। जब वधू की मांग में सिन्दूर भरा जाता है तो पारा शरीर को ठंडा करता है तथा शरीर को आराम महसूस होता है। इससे उनमें यौन इच्छा भी उत्पन्न होती है। और यही कारण है कि विधवा या कुंआरी स्त्रियों को सिन्दूर लगाने की अनुमति नहीं है।

5. बिछुए पहनना

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अनेक संस्कृतियों में हिंदू दुल्हनों को पैर की दूसरी उंगली में रिंग पहनना अनिवार्य होता है। परन्तु इसके पीछे भी दो वैज्ञानिक कारण हैं। पहला यह कि पैर की दूसरी उंगली में एक विशेष नस होती है जो गर्भाशय से गुज़रती है तथा हृदय तक जाती है। बिछुए गर्भाशय को मज़बूत बनाते हैं तथा मासिक धर्म के चक्र को नियमित करते हैं। दूसरा, ये बिछुए चांदी के बने होते हैं जो ध्रुवीय उर्जा को पृथ्वी से शरीर में स्थानांतरित करती है

6. पवित्र अग्नि

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वर वधू जिस पवित्र अग्नि के चारों ओर अपने वचन लेते हैं उसका भी विशेष महत्व है। अग्नि आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है। यह नकारात्मक उर्जा को दूर करती है तथा सकारात्मकता फैलाती है। जब विभिन्न प्रकार के घटक जैसे विभिन्न प्रकार की लकडियाँ, घी, चांवल तथा अन्य वस्तुएं इसमें डाली जाती हैं तो यह एक शक्तिशाली शुद्धिकारक बन जाती है। उस शुद्ध वातावरण में जो भी लोग उपस्थित होते हैं उनके स्वास्थ्य पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से उस जोड़े पर जो इसके सबसे अधिक नज़दीक होते हैं।

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