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श्रावण मास: 19 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, इन धाराओं से करें जलाभिषेक मुर्ख भी हो जायेंगे बुद्धिमान

हिन्दू धर्म में सावन का खास महत्व :-

हिन्दू धर्म में सावन या श्रावण महीने का खास महत्व है। इस साल श्रावण महीने की शुरुआत 27 जुलाई से हो रही है। 26 अगस्त को श्रावण मास का आखिरी दिन होगा। यानि पूरे तीस दिन ,19 साल बाद बना ऐसा दुर्लभ संयोग। इस महीने में भगवान शंकर की पूजा की जाती है।

ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में सोमवार को व्रत रखने और भगवान शंकर की पूजा करने वाले जातक को मनवांछित जीवनसाथी प्राप्त होता है। और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। बहुत से लोग सावन के महीने में आने वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं।  सावन महीने मे मंगलवार का व्रत देवी पार्वती के लिए किया जाता है। इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है।

श्रावण मास: 19 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, इन धाराओं से करें जलाभिषेक मुर्ख भी हो जायेंगे बुद्धिमान 1

श्रावण मास की मान्यता :-

सावन मास के लिए यह भी मान्यता है, कि भगवान शिव सावन के महीने में धरती पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे। और वहां उनका स्वागत अर्घ्य देकर, जलाभिषेक कर किया गया था।  सावन माह को शि‍व भक्ति के लिए उत्तम माना गया है।

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श्रावण मास मे सबसे अधिक वर्षा :-

महादेव को श्रावण वर्ष का सबसे प्रिय महीना लगता है। क्योकि श्रावण मास मे सबसे अधिक वर्षा होने के आसार होते है। जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक प्रदान करती एवं हमारी कृषि के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस साल श्रावण मास में 4 सोमवार पड़ेंगे। अगर आप सावन के महीने में सोमवार व्रत रखते हैं। तो इस साल आपको सिर्फ चार ही व्रत रखने होंगे।

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शास्त्रों में सावन मास का विशेष महत्व का वर्णन है। मान्यता के अनुसार, इस महीने भगवान शिव की वंदन से समस्त दुख का नाश होता है। साथ ही शिवजी को एक बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। साथ ही शिव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म, भांग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय होने के कारण यह सभी चीजों खास तौर पर अर्पित की जाती है।

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अलग-अलग धाराओं से जलाभिषेक :-

1-भगवान शिव को दूध की धारा से अभिषेक करने से मुर्ख भी बुद्धिमान हो जाता है, घर की कलह शांत होती है।

2-जल की धारा से अभिषेक करने से विभिन्न कामनाओं की पूर्ति होती है।

3- घी की धारा से अभिषेक करने से वंश का विस्तार, रोगेां का नाश तथा नपुंसकता दूर होती है।

4-गंगाजल से भोग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सावन सोमवार के व्रत :-

30 जुलाई 2018: सावन का पहला सोमवार व्रत

06 अगस्त 2018: सावन सोमवार व्रत

13 अगस्त 2018: सावन सोमवार व्रत और हरियाली तीज

20 अगस्त 2018: सावन सोमवार व्रत

3 thoughts on “श्रावण मास: 19 साल बाद बना दुर्लभ संयोग, इन धाराओं से करें जलाभिषेक मुर्ख भी हो जायेंगे बुद्धिमान”

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