पीपल की पूजा :
हमारे शास्त्रों के अनुसार कल्पवृक्ष के नीचे खड़े होकर जिस वस्तु की भी कामना की जाती है वह अवश्य पूरी हो जाती है। कलियुग में लोगों के लिए कल्पवृक्ष तो सुलभ नहीं है परंतु सर्वदेवमय वृक्ष पीपल पर सच्चे भाव से संकल्प लेकर नियमित रूप से जल चढ़ाने, पूजा एवं अर्चना करने से मनुष्य वह सब कुछ सरलता से पा सकता है जिसे पाने की उसकी इच्छा हो।
पीपल के पेड़ का पूजन खासतौर पर शनि दोष को दूर करने के लिए :
इसीलिए पीपल को कलियुग का कल्पवृक्ष माना जाता है। पीपल एकमात्र पवित्र देववृक्ष है जिसमें सभी देवताओं के साथ ही पितरों का भी वास रहता है। पीपल के पेड़ पर सभी देवताओं की कृपा मानी जाती है। पीपल के पेड़ का पूजन खासतौर पर शनि दोष को दूर करने के लिए किया जाता है।
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माना जाता है कि शनिवार को पीपल के पेड़ में जल देने से शनि को शांत किया जा सकता है। पीपल के पेड़ की परिक्रमा का भी विशेष महत्व गिना जाता है। वहीं पीपल के पत्तों के उपाय भी बताए जाते हैं जो आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं।
यदि आपके सामने लगातार आर्थिक परेशानियां आ रही हैं तो आप इस उपाय को आजमा सकते हैं। हालांकि इस उपाय का प्रयोग लालच के चलते ना करें। आपको पता लालच जीवन का अंत है।
शनिदेव की विधिवत पूजा करें :
शनिवार की शाम को शनिदेव की विधिवत पूजा करें। इसके बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों तेल का दिया जलाकर रखें। अब उसी पीपल के पेड़ से उसके कुछ पत्ते तोड़कर घर ले आएं और इनको गंगाजल से धो लें। अब पानी में हल्दी डालकर एक गाढ़ा घोल तैयार करें और दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से इस घोल को लेकर पीपल के पत्ते पर ह्रीं लिखें।
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अब अपने घर के पूजास्थल पर इसे ले जाकर रखें और धूप-बत्ती आदि से इसकी पूजा करें। अपने ईष्टदेव का ध्यान करते हुए प्राथना करें कि आपकी मनोकामना पूर्ण हो।
अगर आपके घर में पूजास्थल ना हो तो किसी साफ स्थान पर चटाई बिछाकर पद्मासन में बैठ जाएं। किसी साफ प्लेट में इस पत्ते को रखें और उसी प्रकार धूप बत्ती दिखाते हुए पूजा करें।
हर शनिवार को पुराना पत्ता बदलें :
पूजन के बाद पीपल के पत्ते को पर्स या तिजोरी में रखें। हर शनिवार को पुराना पत्ता किसी मंदिर में जाकर चढ़ा आएं और पहले बताई गई विधि के अनुसार नया पत्ता लेकर आएं। कुछ हफ्ते तक इस उपाय को करने धन की समस्या दूर होने लगेगी।
इन बातों का जरुर रखें ध्यान :
शास्त्रानुसार शनिवार को पीपल पर लक्ष्मी जी का वास माना जाता है तथा उस दिन जल चढ़ाना जहां श्रेष्ठ है वहीं रविवार को पीपल पर जल चढ़ाना निषेध है। शास्त्रों के अनुसार रविवार को पीपल पर जल चढ़ाने से जीव दरिद्रता को प्राप्त करते हैं। पीपल के वृक्ष को कभी काटना नहीं चाहिए। ऐसा करने से पितरों को कष्ट मिलते हैं तथा वंशवृद्धि की हानि होती है। किसी विशेष प्रयोजन से विधिवत नियमानुसार पूजन करने तथा यज्ञादि पवित्र कार्यों के लक्ष्य से पीपल की लकड़ी काटने पर दोष नहीं लगता।