नेताजी सुभाषचंद्र बोस की फाइलों से खुलासा हुआ है कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) का खजाना लूटने वाले को सम्मानित किया था। इससे इस बात की भी पुष्टि हुई कि आईएनए का खजाना लूटा गया था।
दस्तावेजों के मुताबिक 1951 से 1955 के बीच टोक्यो और नई दिल्ली के बीच हुई बातचीत में इस बात का खुलासा हुआ कि नेहरू सरकार खजाना लूटे जाने की बात से वाकिफ थी। यह खजाना करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का था। नेशनल आर्काइव में रखी खुफिया दस्तावेजों के मुताबिक सरकारी अधिकारियों को सुभाष चंद्र बोस के दो सहयोगियों पर शक था।
इनमें से एक संदिग्ध को जवाहर लाल नेहरू ने बाद में पंचवर्षीय योजना का प्रचार सलाहकार बना दिया था। खजाने में हुए घोटाले के बारे में सबसे पहले लेखक अनुज धर ने अपनी पुस्तक ‘इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप’ में जिक्र किया था। यह पुस्तक 2012 में प्रकाशित हुई थी।
1951 से 1955 के बीच टोक्यो और नई दिल्ली के बीच इस बारे में पत्राचार भी हुआ था। टॉप सीक्रेट फाइल्स के मुताबिक, खजाने से 7 लाख डॉलर की लूट हुई थी। इस बात का पहली बार जिक्र रिसर्चर अनुज धर ने अपनी किताब इंडियाज बिगेस्ट कवरअप में किया था।
नेशनल आर्काइव की गोपनीय रिकॉर्ड्स के मुताबिक, नेताजी करीब 80 किलो सोने की ज्वैलरी लेकर सफर कर रहे थे। 1945 में इनकी कीमत करीब 1 करोड़ रुपए थी। प्लेन क्रैश में नेताजी का सामान बुरी तरह जल गया। उसका कुछ ही हिस्सा बचा था। जिसे जापान भेज दिया गया। 1952 में इसे जापान से नई दिल्ली लाया गया। इसमें उस वक्त केवल 11 किलो ज्वैलरी का हिस्सा मिला था।
नेशनल आर्काइव की गोपनीय फाइलों के जरिए पता चलता है कि सरकारी अधिकारियों को नेता जी के दो पूर्व सहयोगियों पर शक था। उनमें से एक सहयोगी को सम्मान दिया गया और नेहरू की पंचवर्षीय योजना कार्यक्रम का पब्लिसिटी अडवाइजर बनाया गया।