भारतीय वायु सेना पूरी दुनिया के उन कुछेक वायु सेनाओं में से एक है, जिनसे दुनिया के दूसरे देश थर्राते हैं. सन् 1933 में इसकी शुरुआत से ही भारतीय वायुसेना ने युद्ध के मैदान में और मैदान के बाहर अपनी उपयोगिता को सिद्ध किया है. भारत सरकार की ऐसी पूरी कोशिश है कि, वे भारतीय वायु सेना को अत्याधुनिक, आक्रामक और दुनिया की सबसे मजबूत वायु सेना में तब्दील करना चाहते हैं.
1. हालांकि भारतीय वायु सेना के जाबांजों का दुनिया में कोई सानी नहीं है. मगर सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्च पराक्रम सम्मान “परम वीर चक्र” सिर्फ़ निर्मल जीत सिंह सेखों को मिला है. जो उन्हें 1971 में बांग्लादेश मुक्ति को लेकर भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहादत के पश्चात् दिया गया था. उनकी वीरता के किस्से आज भी उनके दोस्तों द्वारा कहे-सुने जाते हैं.
2. भारतीय वायु सेना ने 1947 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी वायु सेना को कभी सीधे-सीधे शामिल नहीं किया. मगर भारतीय थल सेना के लड़ाकों को जंग के मैदान में लाने-लौटाने में उनकी अहम भूमिका थी.
3. सन् 1965 तक भारतीय वायु सेना, पाकिस्तानी वायु सेना से तकनीकी रूप से पीछे थी. मगर सन् 65 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारते के बहादुर अफ़सरों ने पाकिस्तान के “सबरे” युद्धक विमानों से कुछ इस कदर लोहा लिया कि, उन्हें “सबरे का कातिल” की संज्ञा दी गई थी.
4. भारतीय वायु सेना रूस की मदद से पांचवीं पीढ़ी का सुखोई पी.ए.के.एफ.ए का निर्माण कर रही है. इसके निर्माण के पूरे होने के बाद यह पूरी दुनिया के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में शुमार हो जाएगा, जो इसे अमेरिका के एफ-22 की श्रेणी में ला खड़ा करेगा. सन् 2015 में इसके निर्माण के पूरे हो जाने के अनुमान हैं.
5. अपनी चरम अवस्था में भारतीय वायु सेना लगभग 224 टुकड़ियों का संचालन करती है. अगर वर्तमान के आकड़ों पर नज़र डालें तो वायु सेना के पास 1,473 वायवीय बेड़ें हैं, जिसमें ट्रेनर, मालवाहक और हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं.
6. भारतीय वायु सेना को इसकी पहली एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय के रूप में मिली थीं. वे वायु सेना मेडिकल सर्विस (एयर हेडक्वार्टर्स) की डायरेक्टर जनरल थीं.
7. भारतीय वायु सेना के प्रथम कमांडर-इन-चीफ, एयर मार्शल सर थॉमस वाकर एमहिस्ट ने भारतीय वायु सेना को एक स्वतंत्र सेवा बनाया, जिससे वायु सेना आर्मी के सीधे कंट्रोल में न रहे. आजादी से पहले भारतीय थल सेना का कमांडर-इन-चीफ ही भारतीय वायु सेना पर कंट्रोल रखता था. एयर मार्शल एमहिस्ट को इस बात का भी श्रेय जाता है कि उन्होंने आधे-अधूरी वायु सेना को एक मारक और युद्धक अभियान में बदल डाला.
8. मार्शल भारतीय वायु सेना की हासिल की जाने वाली सबसे ऊंची मानद् उपाधि है, जो भारतीय थल सेना के फील्ड मार्शल के समान होती है. अर्जन सिंह एक मात्र वायु सेना ऑफिसर हैं, जिन्हें यह मानद् उपाधि दी गई है.
9. भारतीय वायु सेना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी पेशेवर और सामरिक वायु सेना है.
10. भारतीय वायु सेना के पूरे भारत में 60 एयर बेस हैं. साथ ही इन्हें 7 कमांड्स में बांटा गया है.
11. 16 एयर बेसों के साथ, पश्चिमी एयर कमांड भारत का सबसे बड़ा एयर कमांड है. इनमें से सबसे छोटा सेंट्रल एयर कमांड है, जिसमें 7 एयर बेस हैं.
12. यह ख़बर और जानकारी आपके सुखद आश्चर्य हेतु है. भारतीय वायु सेना के बेस विदेशी सरज़मीं में भी हैं. भारतीय वायुसेना का विदेशी बेस फरखोर, तजाकिस्तान में है.
13. 22,000 फीट अर्थात् (6,706 मीटर) पर सियाचिन ग्लेशियर का एयरफोर्स स्टेशन, भारतीय वायु सेना का सबसे ऊंचा एयर फोर्स स्टेशन है. यहां इतनी बर्फ पड़ती है कि ख़ून भी जम जाए.
14. भारतीय वायु सेना का लोगो जो हमें आज दिखलाई देता है, वो 1933 से अब-तक चार बार बदला जा चुका है. सन् 1947 से 1950 तक अशोक चक्र को ही बतौर लोगो इस्तेमाल किया जाता था.
15. भारतीय वायु सेना को सन् 1945 से 1950 के दौरान रॉयल इंडियन एयर फोर्स के नाम से जाना जाता था. सन् 1945 में किंग जॉर्ज षष्ठम् ने “रॉयल” उपाधि को इसके साथ जोड़ा था, जिसे आजादी के बाद 1950 में भारतीय गणराज्य बनने पर ड्रॉप कर दिया गया.
16. भारतीय वायु सेना देश से बाहर सन् 1960 में लड़ चुकी है, जब बेल्जियम का कांगो के ऊपर 75 साल चलने वाला राज अचानक से खत्म हो गया था. भारतीय वायु सेना ने कांगो में संयुक्त राष्ट्र के अभियान में मदद हेतु 5 नंबर बेड़े को लगाया था.
17. भारतीय वायु सेना ने 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान 29 पाकिस्तानी टैंकों, 40 ए.पी.सी और एक ट्रेन को नेस्तोनाबूत कर दिया था, साथ ही कई पेचीदा जगहों पर भारतीय थल सेना को मदद पहुंचाई थी. पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण करने से पहले भारतीय लड़ाकों ने पाकिस्तान वायु सेना के 94 लड़ाकू विमानों को मार गिराया था, जिसमें से पाकिस्तान के कुख्यात “सबरे लड़ाकू विमानों” की संख्या 54 थी.
18. भारतीय वायु सेना ने लद्दाख की सबसे ऊंची हवाई पट्टी दौलर बेग ओल्डी हवाई पट्टी जो 16,614 फीट अर्थात् (5,065 मीटर) पर स्थित है, पर (सी-130J) की सुरक्षित लैंडिंग कराके विश्व रिकॉर्ड बनाया है. आख़िर भारतीय वायु सेना का लोहा पूरी दुनिया यूं ही थोड़े न मानती है. यह उपलब्धि भारतीय वायु सेना ने अगस्त 2013 में हासिल की थी.
19. SEPECAT Jaguar और Mikoyan MIG-27 भारतीय वायु सेना के लिए प्राथमिक थल प्रहार का काम करती हैं. भारतीय वायु सेना वर्तमान में लगभग 139 जगुआर और 100 मिग-27 का इस्तेमाल करती है.
20. हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा भारतीय वायु सेना के लिए बनाया गया पहला फाइटर प्लेन HF-24 Marut था. इसे जर्मनी के मशहूर एरोस्पेस इंजीनियर कर्ट टैंक ने डिजाइन किया था, यह भारतीय वायु सेना में सन् 1961 से 1985 के बीच कार्यरत रहा था.
21. “तेजस” भारतीय वायु सेना के लिए काम करने वाला दूसरा लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट है, जिसे हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ने निर्मित किया है.
22. भारतीय वायु सेना के मालवाहक एयरक्राफ्ट ने सन् 1984 में चले ऑपरेशन मेघदूत के दौरान सैकड़ों भारतीय टुकड़ियों को सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जे हेतु और कब्जे के बाद उन्हें सुरक्षित बेस तक पहुंचाया था.
23. हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा देशी तकनीक से बनाये जाने वाले हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर दिसम्बर 2015 तक भारतीय वायु सेना की सेवा में लग जाएंगे.
24. भारतीय वायु सेना के लिए काम करने वाला Sukhoi Su-30 MKI हवा से ज़मीन पर मार करने वाला प्राथमिक लड़ाकू विमान है.
25. भारतीय वायु सेना दुनिया की एक मात्र ऐसी वायु सेना है, जो C-17 Globemaster III, C-130J Super Hercules और II-76 नामक सबसे बड़े मालवाहक एयरक्राफ्टों का संचालन करती है.
26. भारतीय वायु सेना Air Force Network ( AFNet), a state-of-the-art नेटवर्क संचालित करती है, जो सबसे अधिक सुरक्षित और जिम्मेदार (Intranet) नेटवर्क है, साथ ही ये gigabyte digital information grid भी चलाते हैं.
27. भारतीय वायु सेना द्वारा चलाया गया “ऑपरेशन राहत” पूरी दुनिया का सबसे बड़ा ऑपरेशन था, जिसमें भारतीय वायु सेना ने हेलिकॉप्टर की मदद से बड़ी संख्या में आम जनता को सुरक्षित उनके ठिकाने तक पहुंचाया था.
यह बचाव राहत ऑपरेशन सन् 2013 में बाढ़ में फंसे उत्तर भारतीयों के लिए चलाया गया था. भारतीय वायु सेना ने लगभग 19,600 लोगों को इस विभीषिका से बचाया था. इसके लिए उन्होंने 2,140 छोटी-बड़ी उड़ानें भरी थीं, और साथ ही 3,82,400 किलोग्राम तक के खाद्यान्न और राहत सामग्री का भी वितरण किया था.
इस सरहद की निगेहबान हैं ये आंखें, और जब हमारे सरहद इन नज़रों की नज़र में हैं तो फ़िर हमारा कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता. भारतीय वायु सेना से दूसरे देश और ख़ास तौर से हमारे दुश्मन देश यूं ही थोड़े न थर्राते हैं. तो आप भी इन जानकारियों को अपने संगी-साथियों तक पहुंचाने हेतु इस लेख को अधिक-से-अधिक साझा करें. आख़िर उन जाबांज लड़ाकों की उपलब्धि और प्रशस्ति को चहुंओर फैलाने का हमारा भी तो कर्तव्य बनता है.
Source – Gazab Post