हवा महल भारत के जयपुर शहर में स्थित एक महल है। हवा महल को 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। हवामहल को किसी महल नहीं बल्कि राजमुकुट की तरह डिजाइन करवाया गया।
ये पहला ऐसा महल होगा। जिसे महल की तरह नहीं बल्कि भगवान कृष्ण के मुकुट की तरह से बनवाया गया। इसका नाम हवा महल इसलिये रखा गया। क्योकि महल में महिलाओ के लिये ऊँची दीवारे बनी हुई है। ताकि वे आसानी से महल के बाहर हो रहे उत्सवो का अवलोकन कर सके और उन्हें देख सके।
महल में 953 खिड़किया :
यह महल लाल और गुलाबी बलुआ पत्थरो से बना हुआ है। इस पाँच मंजिला ईमारत के बाहर समान आकर के शहद के छत्ते भी लगे हुए है। और महल में 953 छोटी खिड़कियां भी है।
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जिन्हें झरोखा कहा जाता है। और इन झरोखो को बारीक़ कलाकृतियों से सजाया भी गया है। उस समय महिलाओ को चेहरे पर “परदा” ढकना अनिवार्य था। कहा जाता है की इन जालियों की मदद से उन्हें चेहरे को ठंडी हवा भी लगती थी। और तपती धुप में भी उनका चेहरा ठंडा रहता था।
हवा महल बनाने का मकसद :
हवा महल को बनाने का कोई खास मकसद नहीं था। लेकिन शाही परिवार की महिलाओं के मनोरंजन को ध्यान में रखकर ये महल बनाया गया।
ताकि राजघराने की महिलाएं बिना किसी डर के पर्दा प्रथा का पालन करते हुए बाजरों और महल के आसपास होने वाले उत्सवों का आनंद ले सके। पांच मंजिला हवा महल आज भी 87 डिग्री के एंगल पर ज्यों का त्यों खड़ा है। इस महल को ‘पैलेस ऑफ़ विंड्स’ के नाम से भी जाना जाता है।
हवा महल की पहली मरम्मत :
हवा महल को डिजाइन करने का श्रेय लाल चंद उस्ताद को जाता है। जिन्होंने खास शाही महिलाओं की पसंद को ध्यान में रखकर महल डिजाइन किया। हवा महल की सबसे पहली मरम्मत इसके बनने के 50 साल बाद यानी 2006 में हुई।
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इस महल की कीमत फिलहाल 4568 मिलियन रूपयों के आसपास है। महल में एक और आकर्षित करने वाली बात दीवार के मुड़े हुए किनारे है। हवा महल में पर्यटकों को काफी कुछ ऐतिहासिक चीजें देखनें को मिलेंगी। साथ ही बहुत सी चीजें उन्हें आकर्षित करेंगी।