अपना इरादा पक्का हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। सफलता पाने के लिए व्यक्ति को निरंतर मेहनत और लगन के साथ प्रयास करना पड़ता है। ऐसी ही मेहनत और लगन के साथ इंदौर के सब्जी बेचने वाले अशोक नागर की 25 साल की बेटी अंकिता नागर ने सिविल जज की परीक्षा में पांचवा स्थान प्राप्त किया है। अंकिता नागर ने यह स्थान एससी कोटे के तहत प्राप्त किया है।
बचपन से ही अंकिता को पढ़ाई करने का बेहद शौक था, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी, जिस कारण अंकिता को अपने माता-पिता के काम में निरंतर हाथ बटाना पड़ता था। इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ने की इच्छा को हमेशा जगाए रखा और अपने पढ़ने की ललक के कारण ही उन्होंने सिविल जज की परीक्षा में पार्टिसिपेट किया और इस परीक्षा में पांचवा स्थान हासिल कर अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिखाया।
परिवार की आर्थिक स्थिति के अनुसार ही अपने पढ़ाई के शौक को रखा जारी:
अंकिता पहले डॉक्टर बनना चाहती थी। पढ़ाई का खर्चा काफी ज्यादा है। इसलिए सिविल जज परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने ज्यादातर पढ़ाई सरकारी स्कॉलरशिप पर की। अंकिता ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति के अनुसार ही अपने पढ़ाई के शौक को जारी रखा था वह अपनी मम्मी के साथ घर के कामों में हाथ बटाया करती थी।
अंकिता हर रोज 8 घंटे पढ़ाई करती थी:
अंकिता रोज 08 घंटे पढ़ाई करती थी और जब कभी शाम को ठेले पर भीड़ अधिक हो जाती थी तो वह पिता का हाथ बटाने को पहुंच जाती थीं। कई बार तो रात के 10 बजे घर लौट पाती थी और उसके बाद पढ़ाई करती थी। बीते तीन साल से सिविल जज की तैयारी कर रही थी। उसका मानना है कि किसी परीक्षा में नंबर कम ज्यादा आते रहते हैं लेकिन छात्रों को हौसला रखना चाहिए, अगर असफलता मिलती है तो नए सिरे से कोशिश करनी चाहिए।
हर मुश्किल का किया सामना:
अंकिता जिस घर में रहती हैं उसके कमरे बहुत छोटे हैं और गर्मी के मौसम में तो तपिश के कारण घर के भीतर रहने पर पानी की तरह पसीना टपकता है, तो वहीं बारिश के मौसम में, पानी उनके घर के भीतर आसानी से आ जाता है।अंकिता का एक भाई है जिसने मजदूरी करके पैसे जमा किए और एक दिन कूलर लगवा दिया, जिससे उसके लिए पढ़ना आसान हो गया।
पिता ने उधार लेकर कॉलेज की फीस जमा की, दो बार हाथ लगी नाकामयाबी:
अंकिता ने इंदौर के वैष्णव कॉलेज से एलएलबी की और उन्होंने वर्ष 2021 में एलएलएम की परीक्षा पास की, पिता ने उधार लेकर कॉलेज की फीस जमा की और वे सिविल जज की तैयारी में जुट गईं। दो बार उन्होंने परीक्षा दी मगर सफलता हाथ नहीं लगी, इसके बाद भी उनके माता-पिता ने उन्हें आगे तैयारी करने के लिए प्रेरित किया।
नाकाम होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए अपने सफर पर चलती रही। इस सफर के दौरान मेरे लिए रास्ते खुलते गए और मैं इस तरह अपनी मंजिल पर पहुंचने में कामयाब रही।
माता-पिता का सपना हकीकत में बदला:
बेटी की इस उपलब्धि पर मां और पिता दोनों खुश हैं। हमने बेटे बेटियों को पढ़ाने का सपना देखा था जो आज सच हो गया है। 28 साल से सब्जी का ठेला लगा रहे अंकिता के पिता अशोक कुमार नागर ने कहा कि हमारी बेटी एक मिसाल है क्योंकि उसने जीवन में कड़े संघर्ष के बावजूद हिम्मत नहीं हारी।
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