दोस्तो आज भाई दौज हे और आज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक के लिए निमन्त्रण देती हैं और भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, इस दिन भाई का ही बहन के पास जाने का विधान है और लोक कथाओ के अनुसार जो भाई आज के दिन अपनी बहन के पास जाकर तिलक करवाता है उसे यम का भय नहीं रहता और लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है|
दोस्तों आज एक और बात बताता हूँ जो आप सभी ने सुनी तो होगी अपनी मम्मी के मुंह से परन्तु मम्मी क्यों बोलती थी ऐसा वो शायद उन्हें नही पता होगा ” चन्दा मामा” के बारे में तो दोस्तों आपने सुना होगा बचपन में “चन्दा मामा दूर के पुए पकाये बूर के ” और आपने इस लोरी को सुन कर बचपन में कई बार नींद के हिलोरे लिए होंगे पर चन्दा को मामा कहने की प्रथा आखिर चली कैसे ये शायद आप सबको नही पता होगा|
बात असल में यह है कि जब भाई दौज वाले दिन जो भाई बहुत दूर होते थे अपनी बहन से और दौज वाले दिन तिलक कराने नही आ पाते थे तब बहने चाँद को अपना भाई मान कर उसका ही सांकेतिक तिलक कर देती थी इस तरह चाँद को भाई मान लेने पर बच्चों को वह उसे चन्दा मामा कह कर बताती थी और इस तरह चाँद हमारा चन्दा मामा हो गए|
तो दोस्तों आज आपको दो बाते स्पष्ट की ” कि आज के दिन सभी भाइयो को कोशिश करनी चाहिए कि अपनी विवाहित बहनों को उनके ससुराल में ही जाकर मिले, जिस तरह बहने रक्षा बन्धन पर मायके आती हे उसी तरह दौज वाले दिन बहने अपने भाई को अपने ससुराल में निमन्त्रित करें और भाई उसकी ससुराल में जाकर तिलक करवाए| और दूसरी बात यह स्पष्ट हुई कि चन्दा मामा लोक कथाओ में आखिर मामा क्यों हैं|
आपको भाई दौज की बहुत बहुत शुभकामनाएँ, सब भाइयों और बहनों में कृष्ण और सुभद्रा सा प्रेम बना रहे…!!
जय श्री राम..!!