समुद्र के किनारे सोमनाथ मंदिर नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर स्थापित है। यह गुजरात प्रान्त के काठियावाड़ क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र को पहले प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से सोमनाथ पहला ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ का अर्थ “सोम के भगवान” से है। यह एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान और दर्शनीय स्थल है। नवंबर 1947 में इसकी मरम्मत करवाई गयी थी।
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल :-
इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थल है। मंदिर प्रांगण में रात साढ़े सात से साढ़े आठ बजे तक एक घंटे का साउंड एंड लाइट शो चलता है, जिसमें सोमनाथ मंदिर के इतिहास का बड़ा ही सुंदर सचित्र वर्णन किया जाता है।
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यह मंदिर रोज़ सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। यहाँ रोज़ तीन आरतियाँ होती है, सुबह 7 बजे, दोपहर 12 बजे और श्याम 7 बजे। ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार आक्रमणकारियों ने इस मंदिर पर 6 बार आक्रमण किया। इसके बाद भी इस मंदिर का वर्तमान अस्तित्व इसके पुनर्निर्माण के प्रयास और सांप्रदायिक सद्भावना का ही परिचायक है।
सातवीं बार यह मंदिर कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया है। इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं। यह मंदिर तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका शिखर 150 फुट ऊंचा है। इस शिखर पर स्थित कलश का वजन दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है।
तीन नदियों का महासंगम :-
चैत्र, भाद्रपद, कार्तिक माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।
मंदिर की चोटी पर 37 फ़ीट लंबा एक खम्बा है जो दिन में तीन बार बदलता है। वर्तमान सोमनाथ मंदिर का निर्माण 1950 में शुरू हुआ था। मंदिर में ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठान का कार्य भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने किया था।