fbpx
Rabindranath tagore

1861 को एक बांग्ला परिवार में पैदा हुए, रबीन्द्रनाथ टैगोर को आज भी क्यों याद करते हैं, जानिए..

रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को एक बांग्ला परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर था और उनकी माता का  नाम शारदा देवी था। रबीन्द्रनाथ अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे। बचपन में उन्‍हें प्‍यार से ‘रबी’ बुलाया जाता था। आठ वर्ष की उम्र में उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्‍होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था

1861 को एक बांग्ला परिवार में पैदा हुए, रबीन्द्रनाथ टैगोर को आज भी क्यों याद करते हैं, जानिए.. 1

रबीन्द्रनाथ टैगोर की शिक्षा:

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी स्कूली पढ़ी सेंत जेवियर स्कूल से की टैगोर को बचपन से ही कविता और कहानियां लिखने का बहुत शौक था उन्होंने १८७८ में बैरिस्टर इंग्लैंड के ब्रिजटोन पब्लिक स्कूल में नाम दर्ज करवाया, उसके बाद लंदन कॉलेज विश्विद्यालय में क़ानूनी शिक्षा पर अध्ययन किया।

यह भी पढ़ें : Birthday Special : क्‍लास छोड उपन्‍यास लिखते थे ‘हिंदी के शेक्सपीयर

लेकिन १८८० में बिना डिग्री हासिल किए बिना ही वापिस आ गए वापिस आकर उन्होंने फिर से लिखना शुरू किया उन्हें अंग्रेजी संगीत बांग्ला चित्रकला आदि की शिक्षा देने के लिए घर पर ही अलग अलग अध्यापक नियुक्त किए गये थे। रबीन्द्रनाथ मानवतावादी विचारक थे। उनके गीत हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से प्रभावित मानवीय भावनाओं के विभिन्न रंग पेश करते है। टैगोर के इन्हीं महान कार्यों के कारण इन्हें ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी गयी।

1861 को एक बांग्ला परिवार में पैदा हुए, रबीन्द्रनाथ टैगोर को आज भी क्यों याद करते हैं, जानिए.. 2

रबीन्द्रनाथ टैगोर का साहित्य में योगदान

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला शास्त्रीय संस्कृति पर आधारित पारम्परिक  प्रारूपों से मुक्ति दिलाई।

१८८० में टैगोर ने अपनी कविताओं की पुस्तकें प्रकाशित की ,जिसमें उनकी अधिकांश रचनाएँ बांग्ला में थी।

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने बांग्ला साहित्य में नए गद्य और छंद की शुरुआत की।

भारत का राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ रवीन्द्रनाथ टैगोर  द्वारा बांग्ला भाषा में लिखा गया था जिसे संविधान सभा ने भारत के राष्ट्रगान के रूप में 24 जनवरी 1950  को अपनाया था टैगोर ने न केवल भारत बल्कि श्रीलंका और बांग्लादेश (आमार सोनार बांग्ला) के लिए भी राष्ट्रगान लिखे।

रबीन्द्रनाथ टैगोर को प्राप्त नोबेल पुरस्कार:

रबीन्द्रनाथ टैगोर की महान काव्यरचना गीतांजलि १९१० में प्रकाशित हुई जिसमे कुल 157 कविताओं का संग्रह है इस काव्यरचना को मैकमिलन एंड कम्पनी लन्दन द्वारा प्रकाशित किया गया था जिसके बाद 13 नवम्बर १९१३को नोबेल पुरस्कार की घोषणा से पहले दस संस्करण छापे गये।

गीतांजलि के लिए उन्हें वर्ष १९१३ साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था टैगोर ने नोबेल पुरस्कार सीधा स्वीकार नही किया उनकी ओर से ब्रिटेन के राजदूत ने पुरस्कार स्वीकार किया था वह पहले ऐसे गैर यूरोपी जिन्हें साहित्य नोबेल पुरस्कार मिला था

 

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

बदलते मौसम में अक्सर हो जाती है गले में खराश, गर्मियों में ये उपाय करें! क्या आप भी अपने बच्चे की स्किन पर white patches देख कर हैं परेशान,जानिए इसकी वजह! चीनी को कर दें ना, वर्ना हो सकता है बहुत बड़ा नुक्सान ! पूरी बनाने के बाद, अक्सर तेल बच जाता है,ऐसे में महंगा तेल फैंक भी नही सकते और इसका reuse कैसे करें! रक्तदान है ‘महादान’ क्या आपने करवाया, स्वस्थ रहना है तो जरुर करें, इसके अनेकों हैं फायदे! गर्मियों में मिलने वाले drumstick गुणों की खान है, इसकी पत्तियों में भी भरपूर है पोषण! क्या storage full होने के बाद मोबाइल हो रहा है हैंग, तो अपनाएं ये तरीके!