मस्तिष्क से जुड़ी इस बीमारी और इसके उपचार :
अगर सुबह आपकी नींद तेज सिरदर्द के कारण खुल रही है। धीरे-धीरे कान से सुनने की क्षमता या आंखों से भेंगा दिखने की शिकायत या रोशनी घट रही है, इसके अलावा धीरे-धीरे प्रमुख अंग का सुन्न पडऩा यानी लकवे के लक्षण लगें तो अलर्ट हो जाएं।
ये दिक्कतें ब्रेन ट्यूमर की हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत न्यूरोसर्जन से संपर्क करें। जानते हैं
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ब्रेन ट्यूमर क्या है :
ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं का एक संग्रह या पिंड है। खोपड़ी(स्कल) के अंदर असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि समस्या पैदा कर सकती है। ब्रेन ट्यूमर कैंसरजन्य (मैलिग्नेंट) या कैंसर रहित (बिनाइन) हो सकता है। जब मैलिग्नेंट ट्यूमर बढ़ते हैं, तो वे आपकी खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ा सकते हैं, ये मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं और ये जीवन को खतरे में डाल सकते हैं। ब्रेन ट्यूमर वयस्कों और बच्चों दोनों में हो सकता है।
ब्रेन ट्यूमर कैसे पहचानें :
ट्यूमर के लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं। बे्रन में ट्यूमर के आकार, स्थान और प्रकार के आधार पर लक्षण सामने आते हैं। अक्सर सुबह-सुबह तेज सिरदर्द, उल्टी, चलते समय लडख़ड़ाना, याद्दाश्त घटना, घबराहट, दौरे पडऩा, मिर्गी आना, सुनने व देखने में दिक्कत आना लक्षण होते हैं।
ब्रेन ट्यूमर उपचार :
ब्रेन ट्यूमर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन, कीमोथेरेपी जैसे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके किया जाता रहा है, लेकिन ओपन ब्रेन सर्जरी से मस्तिष्क में अंदरूनी रक्तस्राव, याद्दाश्त में कमी या संक्रमण जैसे कई खतरे भी सामने आते थे। यहां तक कि थोड़ी सी त्रुटि के भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं और स्थायी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
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न्यूरोनेविगेशन से सर्जरी
इन दिनों डायग्नोसिस और इलाज के अत्याधुनिक तरीकों की बदौलत ब्रेन ट्यूमर को हटाना और रोगी के जीवन काल को बढ़ाना संभव हो चुका है। न्यूरोनेविगेशन तकनीक सर्जन को मस्तिष्क में ट्यूमर को हटाने में कहीं ज्यादा सक्षम बनाती है। यह तकनीक जीपीएस के समान है। यह एक कंप्यूटर आधारित प्रोग्राम है जो कंप्यूटर सिस्टम पर एमआरआई और सीटी स्कैन की छवियों को दर्ज करता है।
एक बार जब सूचना को एक विशेष वर्क-स्टेशन में फीड कर दिया जाता है, तब सिस्टम एमआरआई छवियों के साथ-साथ ऑपरेटिंग रूम में रोगी के नाक और भौंह जैसे बाहरी क्षेत्रों के विकारों को पहचानने का काम करता है और आंकड़ों को दो सेट में मिलान करता है।
इस तकनीक से सर्जन्स को सटीक चीरा लगाने में मदद मिलती है, जिससे सिर से पूरी तरह से बाल हटाने की जरूरत नहीं पड़ती है। न्यूरोनेविगेशन का मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की सर्जरी के दौरान धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है।