‘अम्मा’ के नाम से देशभर में लोकप्रिय तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जयललिता का ५ नवम्बर २०१६ को रात लगभग ११:३० बजे निधन हो गया ! उनकी गिनती देश की सबसे ताकतवर महिलाओं में होती है जो अपने आपमें महिलाओं के लिए एक मिसाल बनीं और अनगिनत लोगों की ज़िन्दगी उनके कारन बदल गयी ।
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वो तमिल और आस पास के राज्यों में सबसे लोकप्रिय चेहरा रहीं हैं, उनके प्रसंशकों में उनकी लोकप्रियता का अंदाज आप इसी से लगा सकते हैं कि वह जब खुश होती हैं तो वो सब भी खुश होते हैं और अगर वह किसी तकलीफ में होती हैं तो लोग उनकी तकलीफ को अपनी तकलीफ मानते हैं। इसका प्रमाण हम कई बार देख चुके हैं।
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२४ फरबरी 1948 को एक तमिल परिवार में जन्मी जयललिता के सिर से महज दो साल की उम्र में ही उनके डॉक्टर पिता नहीं रहे और उनकी मां उन्हें बेंगलुरु लेकर आ गईं। उनकी माँ कन्नड़ फिल्मों में काम करने लगीं और यहीं से उनके फिल्मों में जाने का रास्ता खुल गया।
[/nextpage] [nextpage title=”कला की धनी : २” ]कलाकार जयललिता :
जयललिता अपनी स्कूली शिक्षा ले रही थी, तभी उनकी मां के कहने पर उन्होंने फिल्मों की ओर कदम बढ़ा दिया। उनकी पहली फिल्म जो पर्दे पर आई उसका नाम था ‘एपिसल’ जो एक अंग्रेजी फिल्म थी। यह फिल्म 1961 में आई जब वो केवल १३ साल की थीं!
फिल्म का निर्देशन और निर्माण शंकर गिरि द्वारा किया गया था, जिसके पिता “वी वी गिरि” बाद में भारत के राष्ट्रपति बने। 1964 में, जब वो स्कूल में थीं, उन्होंने अपनी पहली कन्नड़ फिल्म, चिन्नाडा गोम्बे में मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म गर्मी छुतियों के दौरान बनी थी ताकि जया को स्कूल से छुट्टी न लेनी पड़े क्योंकि वो एक होनहार छात्रा भी थीं !
15 साल की उम्र में ही जयललिता को भरतनाट्यम् में प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन वो मोहिनी अट्टम, कत्थक और मणिपुरी में समान रूप से कुशल थीं। उन्होंने आगे चलकर कर्नाटक संगीत सीखा और उनकी फिल्मों में कई गीत गाये । 1972 में, तमिलनाडु सरकार ने कलैममानी पुरस्कार उन्हें दिया, जो कला, नृत्य और नाटक के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए तमिलनाडु इयल इसाई नाटक मंराम द्वारा दिया जाता है।
[/nextpage][nextpage title=”फ़िल्मी सफ़र : ३ ” ]जयललिता का फ़िल्मी सफ़र :
जयललिता मुख्य अभिनेत्री के रूप में कन्नड़ फिल्मों में काम करने लगीं और उसके बाद कई तमिल फिल्मों में भी उन्होंने काम किया।
कहा जाता है कि जयललिता अपने दौर की पहली ऐसी अभिनेत्री थीं, जिन्होंने पर्दे पर स्कर्ट पहन अभिनय किया जो उस दौर में एक बड़ी बात थी। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता राजनीति में आने से पहले फ़िल्मी जगत की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में शुमार रही हैं। उन्होंने कई तेलुगू, कन्नड़, और तमिल फिल्मों के अलावा हिन्दी फिल्मों में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है।
जयललिता ने बॉलीवुड में भी एक फिल्म में धर्मेंद्र के साथ काम किया जिसका नाम ‘इज्ज़त’ था, इसमें उनके काम को सराहा गया।
[/nextpage] [nextpage title=”राजनीतिक पारी : ४ ” ]जयललिता का राजनीति में प्रवेश :
उस दौर के तमिल सिनेमा के सुपरस्टार एम. जी रामचंद्रन के साथ जयललिता ने कई फिल्में दी। जयललिता ने रामचंद्रन के साथ 28 फिल्मों में काम किया। रामचंद्रन मशहूर अभिनेता तो थे ही, साथ ही भारतीय राजनीति के सम्मानित नेताओं में से एक भी थे।
एम जी रामचंद्रन के साथ ही उन्होंने अपनी दूसरी पारी राजनीति में शुरू की और रामचंद्रन ही जयललिता को राजनीति में लेकर आए थे।
रामचंद्रन ने अन्नाद्रमुक पार्टी का गठन कर, साल 1983 में जयललिता को पार्टी का सचिव बना दिया और उन्हें राज्यसभा के लिए भी मनोनित कर दिया गया। इसके बाद जयललिता 1984-1989 तक राज्यसभा सदस्य रहीं।
लोगों का ये मानना है कि जयललिता अच्छी अग्रेज़ी बोलती थीं और MGR को ऐसे किसी व्यक्ति को राज्यसभा में भेजना था जो अंग्रेजी में उनकी पार्टी की बात राज्यसभा में रख सकें ! [/nextpage][nextpage title=”अम्मा का उदय : ५ ” ]
जयललिता “अम्मा” का उदय :
जब 1987 में रामचद्रंन का निधन हुआ और अन्नाद्रमुक पार्टी दो खेमों में बंट गई! एक तरफ रामचंद्रन की पत्नी तो दूसरी ओर जयललिता थीं। एक दिन रामचंद्रन की करीबी माने जाने वाली जयललिता ने खुद को उनकी विरासत का वारिस घोषित कर दिया।
जनता के बीच जयललिता काफी लोकप्रिय रहीं। यहीं कारण है कि वह 1991 में पहली बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री चुनी गईं। वह पहली तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री और सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं ! हालाँकि वर्ष 1996 के चुनाव में वह हार गईं।
उनपर आय से ज्यादा संपत्ति का मुकदमा चला। बेंगलुरु की अदालत ने जयललिता को इस मामले में दोषी पाते हुए चार साल की सजा भी सुनाई। १९९८ में अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार बनवाने में उनकी बड़ी भूमिका रही !
देवी जयललिता :
सभी विवादों के बावजूद 2001 में जयललिता ने गैर चुने हुए मुख्यमंत्री के तौर पर फिर से राज्य के मुख्यमंत्री की कमान संभाली। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध करार दिया। इसके बाद उनके विश्वासपात्र मंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम को मुख्यमंत्री की कमान सौपी गई।
बाद में मद्रास हाई कोर्ट से राहत की खबर आने के बाद वह मार्च 2002 में फिर से मुख्यमंत्री बनीं। जयललिता ने गरीबों के लिए कई योजनाओं शुरु की जिसमें “अम्मा थाली” जिसके तहत गरीब सस्ते में भोजन कर सकता है भारत भर में लोकप्रिय हुई और कई राज्यों ने उनकी नक़ल कर अपने यहाँ ये सुविधा देने की कोशिश की!
इन योजनाओं से गरीबों को लाभ देने के कारण वह आम जनता के बीच लोकप्रिय रहीं और लोग उन्हें देवी की तरह पूजने भी लगे ! यही कारन है की वो बार बार जनता द्वारा चुनी गयी और सत्ता पर काबिज रहीं !
[/nextpage][nextpage title=”आखरी पड़ाव : ७ ” ]जयललिता युग का अंत :
जयललिता का एक खूबसूरत अभिनेत्री से लेकर ‘आयरन लेडी’”अम्मा” बनने तक का सफर मुश्किलों और संघर्षों से भरा रहा पर ये उनका असाधारण व्यक्तित्व ही था जो उन्होंने हर चुनौती से लड़ कर अपना मुकाम बनाया ।
AIADMK प्रमुख जयललिता को हम उनके कठोर निर्णय लेने क्षमता और मजबूत दृढ़ संकल्प के लिए हमेशा याद रखेंगे और उनके समर्थक उन्हें भगवान की तरह पूजते रहेगे।
उनकी पार्टी ने उनकी समाधी बनाने का निर्णय लिया है इसलिए उन्हें जलाया नहीं गया ! उन्हें MGR मेमोरियल में ही रखा जायेगा जहाँ उनकी समाधी उनके गुरु एम. जी रामचंद्रन के पास होगी !
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