नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिवस :
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की बात नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बिना पूरी नहीं हो सकती है। 23 जनवरी 1897 को भारत के इस सपूत का जन्म बंगाल में प्रभावति देवी और जानकीनाथ बोस के घर पर हुआ था। 14 भाई-बहनों में बोसा का स्थान 9वां था। स्वतंत्रता के जुनून ने उन्हें लोगों के दिलों में एक हीरो बना दिया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के ओजस्वी भाषणों को सुनकर युवा देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए निकल पड़ते थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक युवा नेता थे। जिनकी विचारधारा कांग्रेस से अलग थी इसलिए बाद में वे पार्टी से अलग हो गए थे। मगर 1938-39 तक उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभाला था।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर किया एक वीडियो शेयर :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा- नेताजी सुभाष चंद्र बोस की वीरता हर भारतीय को गौरान्वित करती है। उनकी जयंती के मौके पर आज हम उन्हें शत-शत नमन करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस वीडियो को शेयर किया है उसमें नेताजी के भाषण शामिल हैं। बता दें कि नेताजी ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। इसमें शामिल नौजवान देश की आजादी के लिए मर-मिटने को तैयार थे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी से जुड़े कई रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए भारत सरकार ने उनसे जुड़ी फाइलों को पब्लिक कर दिया था। हालांकि एक सवाल जिसका जवाब आज तक नहीं मिला है वो है कि क्या वाकई हवाई दुर्घटना में नेताजी की मौत हो गई थी या वे वेश बदलकर रह रहे थे। उनका नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा आज भी युवाओं की रगों में जोश पैदा कर देता है।
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सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही थे, एक तीव्र बुद्धि वाले छात्र :
नेताजी सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही एक तीव्र बुद्धि वाले छात्र थे और पूरे कलकत्ता प्रांत में मैट्रिक परीक्षा में अव्वल रहे थे। उन्होंने पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में स्थित स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्र में प्रथम श्रेणी की डिग्री के साथ स्नातक किया। स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रभावित वे एक छात्र के रूप में अपने देशभक्ति के उत्साह के लिए जाने जाते थे।
अपने माता-पिता की ‘भारतीय सिविल सेवा’ में बैठने की इच्छा को पूरा करने के लिए वे इंग्लैंड चले गये। 1920 में वे प्रतियोगी परीक्षा के लिए बैठे और ऑर्डर ऑफ मेरिट में चौथा स्थान अर्जित किया। पंजाब में जलियावालां बाग नरसंहार से द्रवित होकर सुभाष चंद्र बोस ने अपने सिविल सेवा शिक्षुता को मध्य में ही छोड़ दिया और भारत लौट आए।
The valour of Netaji Subhas Chandra Bose makes every Indian proud. We bow to this great personality on his Jayanti. pic.twitter.com/Qrao1dnmQZ
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2018