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कैसे एक कैंसर पीड़ित ने खड़ा किया हवाईजहाजों के बेडा 2

कैसे एक कैंसर पीड़ित ने खड़ा किया हवाईजहाजों के बेडा

डॉक्टर – “ आपके पास बहुत कम समय है ”

22 साल की एक लड़की डॉक्टर की इस बात से थोड़ा सोच में पड़ जाती है और फिर गहरी सांस लेने के बाद डॉक्टर से कहती है “ सच में डॉक्टर साहब , ( हंसते हुए ) मैं आप से 40 साल बाद फिर मिलने आउंगी लेकिन इलाज के लिए नहीं बल्कि आपकी इस बात को गलत ठहराने और साबित करने कि मैं जिंदादिली के साथ अपनी ज़िंदगी जी रही हूं । ”

लड़की का जवाब सुनकर डॉक्टर हैरान था ।

उसी वक्त इस लड़की ने तय किया कि वह किसी ऐसे डॉक्टर से अपना इलाज करवाएगी जो सकारात्मक सोच रखता हो, जिसे अपने प्रोफ़ेशन पर यकीन हो और सबसे अहम बात जो मरीज़ के आत्मविश्वास की क़द्र करता हो।

 

88ये वाक्य किसी उपन्यास के काल्पनिक पात्र का हिस्सा नहीं है बल्कि एक ऐसी लड़की की सच्ची कहानी है जिसने मौत को बिलकुल क़रीब पाकर भी उससे हारने नहीं बल्कि लड़ने का जज़्बा पैदा किया। ये जानने के बाद भी कि उसके जीवन में चंद सांसें बची हैं इससे निराश होने के बजाय इस सत्य का ज़िंदादिली के साथ सामना करने का दृढ़ संकल्प लिया। उनके इसी जुनून और आत्मविश्वास ने उनको कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से निजात दिला दी। मौत को मुंह के बल गिराने वाली, आत्मविश्वास से लबरेज़ और हज़ारों लोगों को प्रेरणा देने वाली लड़की का नाम है कनिका टेकरीवाल। एक कुशल तैराक, धावक और साथ ही सफल बिजनेस वुमेन कनिका टेकरीवाल। अपनी किस्मत को जोश और जुनून से बदल देने वालीं कनिका आज जेट-सेट-गो कंपनी का सफलता पूर्वक संचालन कर रहीं हैं।

जिंदादिली का दूसरा नाम हैं कनिका

55कनिका को जब डॉक्टरों ने उनके असाध्य रोग को लेकर निराशाजनक उत्तर देना शुरू किया तो उन्होंने सबसे पहले इस बात का फैसला किया कि वह किसी ऐसे डॉक्टर से अपना इलाज कराएंगी जो डर और आत्मविश्वास के फ़र्क को समझता हो। जिसका जज़्बा उनकी ही तरह पुख़्ता हो। इस फैसले के बाद अब उनकी नजरें ऐसे डॉक्टर की तलाश कर रहीं थीं जिसकी सहायता से वो कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से निजात पा सकें लेकिन ये काम उनके लिए आसान नहीं था। कनिका बतातीं हैं कि डॉक्टर की तलाश करने के लिए उन्हें पूरे भारत का भ्रमण करना पड़ा और तमाम जाने-माने स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स से भी वो मिलीं। उनका मानना है कि एक योग्य व्यक्ति की तलाश करना बहुत ही ज़रूरी होता है और जब तक आप उस योग्य व्यक्ति तक पहुंच नहीं जाते तब तक प्रयास जारी रखना चाहिए।

 

सबसे महत्वपूर्ण बात कि आपको उस पर पूरा भरोसा होना चाहिए साथ ही उसे भी आप पर उतना ही विश्वास होना चाहिए। कनिका की ये तलाश काफी जद्दोजहद के बाद पूरी हुई। उन्हें उनके मुताबिक एक डॉक्टर मिला। डॉक्टर और कनिका दोनों ने इस असाध्य बीमारी को एक चुनौती की तरह लिया और एक टीम की तरह इसका सामना किया। एक साल इलाज चला और इस दौरान कनिका को कीमोथैरेपी की प्रक्रिया से भी गुज़रना पड़ा लेकिन इस एक साल के अंदर उनको जो वक़्त मिला उसमें वो पुरानी चीजें भूलकर एक नयी शुरूआत करने के लिए अपने आपको तैयार करती रहीं। अबतक कैंसर से लड़ते-लड़ते कनिका इतनी मज़बूत हो गईं कि वो किसी भी चुनौती का सामना कर सकने में अपने आपको समर्थ महसूस करने लगीं । कनिका का कहना है कि “आपका सबसे बड़ा डर मृत्यु होता है, लेकिन जब आप उस मृत्यु के निकट जाकर उसका अनुभव ले लेतें हैं तो वह डर भी आपके अंदर से खत्म हो जाता है, मेरे अंदर भी वह डर खत्म हो चुका था । मैंने कैंसर को मात देने की ठान ली थी और मैं इसमें कामयाब भी हुई । इसके बाद मुझे अपने ऊपर पहले से भी ज्यादा भरोसा हो गया और मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया था। ”

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मौत से सीधा टक्कर लेने और उससे जीतकर लौटने के बाद कनिका ने अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी की । अपनी रुचि और समझ के अनुसार उन्होंने फिर से जेट-सेट-गो की शुरुआती की। काम के दौरान जब भी कनिका को असफलता हाथ लगती तो वो हताश व निराश होने की बजाए इस बात पर ज्यादा ध्यान देतीं कि अगली बार वो और बेहतर कैसे कर सकतीं हैं। उनकी सोच पूरी तरह सकारात्मक हो चुकी थी और वह किसी भी समस्या का हल खोजने में अपना वक्त देतीं । कनिका का कहना है कि “ अगर मैं अपना 6 महीने का समय देने के बाद भी सिर्फ इसलिए कोई प्लान नहीं बेंच पाती हूं कि मेरे ग्राहक को रेट पसंद नहीं है या उसने अपना मूड बदल लिया है, तो मुझे निराशा नहीं होती है। बल्कि मैं फिर से अपने काम में पूरे जोश के साथ लग जाती हूं। मैं ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों की तलाश में लग जाती हूं। मैं कोशिश करती हूं कि मेरे ग्राहकों को मैं और भी सस्ते प्लान दे सकूं जिसे वो खरीद सकें। मैं हर रात सोने से पहले अपने आपसे ये वादा करतीं हूं कि मुझे विश्व की 100 शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल होना है। ”

कनिका का ये आत्मविश्वास और उनकी सकारात्मक सोच ही उन्हें आज इस मुकाम तक लेकर आई है। आज न सिर्फ वह एक सफल बिजनेस वुमेन हैं बल्कि कुशल मैराथन धावक, एक चित्रकार, ज़िंदादिल ट्रैवेलर और भी बहुत कुछ खूबियां उनके अंदर हैं और हर दिन वह अपनी एक नई परिभाषा लिख रही हैं ।

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जेट सेट गो का सफर

कनिका बतातीं हैं कि जब वह 17 साल की थीं तब से एविएशन इंडस्ट्री में काम कर रहीं थीं। इस फील्ड में उन्हें 8 साल का अनुभव था। उन्होंने जब काम करना शुरू किया था तब भारत में प्राइवेट जेट प्लेन काफी कम हुआ करते थे और इसका प्रचलन भी ख़ास नहीं था। भारत के अतिरिक्त उन्होंने विदेशों में भी काम किया था और इस दौरान उन्होंने इस इंडस्ट्री के उतार-चढ़ाव को काफी करीब से महसूस किया था। इंडस्ट्री के बारे में उनकी जानकारी बहुत ही पुख्ता हो चुकी थी और जेट-सेट-गो इन्हीं अनुभवों का परिणाम था। जब ग्राहक, चार्टर ब्रोकर्स या ऑपरेटर्रस से डील किया करते थे तो उस दरमयान ग्राहकों को होने वाली समस्याओं से कनिका अच्छी तरह से वाक़िफ थीं।

यदि किसी ग्राहक को प्राइवेट जेट का उपयोग करना होता है तो वह सामान्यतः ऑन लाइन वेबसाइट्स की मदद से या फिर किसी के माध्यम से ब्रोकर अथवा एयरक्रॉफ्ट ऑपरेटर से संपर्क करता है। ये ब्रोकर्स ग्राहक को महंगे जेट या हेलीकॉप्टर्स देते हैं जिनमें इनका कमीशन सबसे ज्यादा होता है । ग्राहक के लिए ये काफी महंगा सौदा पड़ता है । चूंकि इसके बारे में लोगों को कम जानकारी थी और अधिक संख्या में चार्टर प्लेन्स उपलब्ध नहीं थे इसलिए ग्राहकों के लिए ज्यादा पेमेंट करना उनकी मजबूरी हो जाती थी । इस असुविधा के कारण ग्राहक लगातार यह महसूस करते थे कि उन्हें एक प्रोफेश्नल व उनके बजट के अनुरूप चार्टर सर्विस मिलनी चाहिए जहां पर उन्हें उनकी पसंद के प्लेन मिले और साथ ही पेमेंट के मामले में एक पारदर्शिता भी रहे। भारत में अभी भी एविएशन के क्षेत्र में लोगों की जानकारी कम है और इसी कारण ग्राहकों को मजबूरी में ऐसे चार्टड प्लेन लेने पड़ते हैं जिसमें ब्रोकर्स की मनमानी चलती है।

कनिका टेकरीवाल की जेट-सेट-गो कंपनी ने ग्राहकों की इस समस्या को दूर करने का निश्चय किया। ग्राहकों को प्राइवेट जेट विमान काफी सस्ते में मुहैया कराना शुरू किया।

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ऑन लाइन सुविधा

जेट-सेट-गो लोगों के बीच पिछले वर्ष के मार्च महीने में आया था। बहुत सारे बदलावों व उतार-चढ़ाव के बाद इस क्षेत्र की भारत की यह पहली ऑन लाइन वेबसाइट है जिसे सफलता के साथ लांच किया गया। कनिका बतातीं हैं कि उनके दिमाग में इस खास वेबसाइट को और भी बेहतरीन बनाने के लिए कई सारे आइडियाज़ थे। उन्होंने आगामी 3 सालों में चार्टड विमानों और उससे संबंधित सभी स्थितियों के लिए पूरी प्लानिंग कर ली थी लेकिन दुर्भाग्य ने उनके दरवाज़े पर एक बार फिर दस्तक दी और इसी बीच पता चला कि उन्हें कैंसर जैसी असाध्य बीमारी हो गई है। जिस वक्त कनिका अपने सपनों को पंख देने की कोशिश में जी जान से लगी थीं, जब वो पूरे जोश के साथ जेट-सेट-गो की लांचिंग कर चुकीं थीं और उसको विस्तार देने में लगी थीं, उसी समय उनकी राह में कैंसर रूपी अवरोध आकर खड़ा हो गया।

इस असाध्य बीमारी के कारण उन्हें एक साल तक अपनी कंपनी व वेबासाइट से संबंधित कार्यों से दूर रहना पड़ा लेकिन वह अपने आपको खुशनसीब मानतीं हैं कि इस एक साल के अंदर अन्य किसी ने इस तरह का कोई काम शुरू नहीं किया था । कहते हैं जब आपका आत्मविश्वास आपके साथ है, लगन और मेहनत में कोई कोताही नहीं है और ऐसे में अगर समय भी आपके अनुकूल हो तो फिर रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं। मंज़िल पाने में थोड़ी देरी हो सकती है पर मुश्किल नहीं है। कैंसर से उबरकर कनिका एक बार फिर से ग्राहकों की सेवा में अपनी कंपनी जेट-सेट-गो को और सशक्त तरीके से लाने में सफल रही हैं। जे

ट-सेट-गो एक ऐसा ऑन लाइन माध्यम है जहां पर ग्राहकों को एक जगह बैठे-बैठे पूरे भारत में चार्टड विमान और हेलिकॉप्टर्स से संबंधित सारी जानकारियां सरलता से उपलब्ध होतीं हैं। जेट-सेट-गो के पास वर्तमान में पूरे भारत के 80 प्रतिशत प्राइवेट जेट विमान और उनसे संबंधित सारी जानकारियां उपलब्ध हैं। इस कांसेप्ट को भारतीय ग्राहकों ने बहुत सराहा और यही कारण है कि आज जेट-सेट-गो के माध्यम से प्राइवेट जेट बुक कराने वालों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। इसका विशेष लाभ उन लोगों को मिला जिन्हें पहले ब्रोकर्स या ऑपरेटर्स को भारी भरकम कमीशन देना पड़ता था ।

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कई बार ऐसा होता है कि ऊंचाई पर पहुंचने के बाद वक़्त के थपेड़े लोगों को अपने आगोश में ले लेते हैं और नामोनिशान मिटा देते हैं। कनिका टेकरीवाल एक अपवाद हैं जिन्हें वक़्त अपनी रौ में नहीं बहाता बल्कि इनके साथ बह जाता है।

मौत और ज़िंदगी के इस खेल को नज़दीक से महसूस करने के बाद भी खुद के लिए जिस तरह का रास्ता कनिका टेकरीवाल ने बनाया है वो हमसब के लिए प्रेरणा है। ऐसी प्रेरणा जिससे डिगते और बिखरते आत्मविश्वास को संवारा जा सकता है, जीने के इस नये जज़्बे को आत्मसात किया जा सकता है, उम्मीद को नई पहचान दी जा सकती है। कनिका टेकरीवाल के इस अदम्य साहस को सलाम।

 

Source – Yourstory

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