प्रत्येक मनुष्य को प्रतिवर्ष कीड़े की औषधि जरूर लेनी चाहिए। एलोपैथिक औषधियों में अधिकतर कीड़े मर जाते हैं, but जो अधिक खतरनाक कीड़े होते हैं, जैसे- गोलकृमि, फीताकृमि, कद्दूदाना आदि, जिन्हें पटार भी कहते हैं, वे नहीं मरतें हैं। इन कीड़ों पर एलोपैथिक औषधियों को कोई प्रभाव नहीं पडता है, इन्हें केवल Ayurvedic Aushdhiya से ही खत्म हो सकता है।
ये कीड़े मरने के बाद फिर से हो जाते हैं। इसका कारण खान-पान की अनियमितता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिये प्रत्येक वर्ष कीड़े की औषधि अवश्य लेनी चाहिए।
1- बायबिरंग, नारंगी का सूखा छिलका, चीनी को समभाग के साथ पीस लें और रख लिजिएं। 6 Grams चूर्ण (Powder) को सुबह में खाली पेट सादे जल के साथ 10 दिन तक Daily लिजिएं। दस दिन बाद कैस्टर आयल (अरंडी का तेल) 25 grams की मात्रा में शाम को बीमार व्यक्ति को पिला दें। सुबह में मरे हुए कीड़े निकल जायेंगे।
2- पिसी हुई अजवायन 5 grams को चीनी के साथ लगातार 10 दिन तक सादे जल से खिलाते रहने से भी कीड़े शौच के साथ मरकर निकल जाते हैं।
3- पका टमाटर दो नग, कालानमक डालकर morning-morning 15 दिन लगातार खाने से बालकों के चुननू आदि कीड़े मरकर शौच के साथ निकल जाते हैं। सुबह में खाली पेट ही टमाटर खिलायें, खाने के एक घंटे बाद ही कुछ खाने को दें।
4- बायबिरंग का पिसा हुआ चूर्ण (Powder) तथा त्रिफला चूर्ण (Powder) समभाग को 5 grams की मात्रा में चीनी या गुड़ के साथ सुबह में खाली पेट और रात को खाने के आधा घंटे बाद सादे जल से लगातार 10 दिन दें। सभी प्रकार के कृमियों के लिए लाभदायक है।
5- नीबू के पत्तों का रस 2 grams में 5 या 6 नीम के पत्ते के साथ पीस लें और शहद के साथ 9 दिन खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
6- पीपरा मूल और हींग को मीठे बकरी के दूध के साथ 2 grams की मात्रा में 6दिन खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।